नई दिल्ली: जरा-जरा सी बातों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शासित केंद्र सरकार को कोसने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी वर्ष में अपना तेवर अचानक बदल लिया है. सरकारी समारोह में नहीं बुलाने से नाराज व बदले में भाजपा नेताओं को भी दिल्ली सरकार के कार्यक्रम से दूर रखने वाले केजरीवाल अब नई मिसाल बनाने की ओर चल पड़े हैं.
केंद्रीय मंत्री ने ली चुटकी
सोमवार को राजधानी के ओखला इलाके में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के शिलान्यास समारोह के मौके पर आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने न केवल केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को आमंत्रित किया बल्कि मंच से उन्हें यह भरोसा दिया कि अब वे मिलजुल कर काम करेंगे. केजरीवाल केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के कदमों पर चलते दिखाई दिए. वे बोले कि सरकार की योजनाएं तभी पूरी हो सकती हैं जब केंद्र व राज्य सरकार के रिश्ते ठीक हों. यहां तक कि समारोह में केंद्रीय मंत्री की चुटकी पर भी केजरीवाल ने मुस्कुराते हुए गलती मानी.
हमेशा मोदी सरकार पर हमलावर रहे केजरीवाल
दरअसल, बीते साढ़े साल के कार्यकाल में अरविंद केजरीवाल ने हमेशा मोदी सरकार को कोसा. उनके समारोहों से दूरी बनाई और दिल्ली सरकार के समारोह में भी केंद्र सरकार के प्रतिनिधि भाजपा के स्थानीय सांसदों को भी आने का न्योता नहीं दिया. पिछले वर्ष आईटीओ चौराहे पर बने स्काई वॉक योजना के पूरे होने के बाद इसके उद्घाटन में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री को उनके बगावती तेवर के चलते नहीं बुलाया. तुरंत दिल्ली सरकार ने यमुना के वजीराबाद पर बने सिगनेचर ब्रिज का उद्घाटन किया तो किसी भी केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेताओं को उसमें नहीं बुलाया. जिस पर काफी विवाद भी हुआ था.
चुनाव में बचे 6 महीने
इसके बाद लगातार चाहे फ्लाईओवर, फुटओवर ब्रिज, यहां तक कि मेट्रो सेवा का भी विस्तार हुआ तो इसके आयोजन पर केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार के बीच में दूरियां दिखाई दी.
दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने में अब 6 महीने का समय बचा है तब अचानक अब केजरीवाल ने अपने तेवर बदल दिए हैं.
बता दें कि रविवार को भी अपने विधानसभा क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुरक्षा को लेकर केंद्र तथा दिल्ली पुलिस पर ठीकरा फोड़ते हुए मिलीजुली प्रतिक्रिया दी. यह भी केजरीवाल के बदले तेवर का ही नतीजा था. अन्यथा सुरक्षा के मसले पर सारा ठीकरा वे केंद्र सरकार पर फोड़ते रहे हैं. क्योंकि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है.