नई दिल्ली: जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत अन्य 9 छात्रों पर देशद्रोह के मुकदमे से संबंधित मामले में केजरीवाल सरकार कोई हड़बड़ी नहीं दिखाते हुए अभी अन्य वरिष्ठ वकीलों से कानूनी राय लेगी.
मंगलवार को इस मामले की दिल्ली के जिला अदालत में सुनवाई हुई. स्टैंडिंग काउंसिल ने अपनी रिपोर्ट भी दे दी है. लेकिन दिल्ली सरकार की तरफ से साफ कहा गया है कि अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.
दिल्ली सरकार वरिष्ठ वकीलों से लेगी राय
किसी को देशद्रोही का आरोपी बनाने से पहले दिल्ली सरकार की अनुमति अनिवार्य होती है. इस मामले में पुलिस ने बिना किसी इजाजत के अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दिया है. मामला दर्ज करने में पुलिस ने जो देरी की और चार्जशीट दायर करने में जिस तरह 3 साल का समय लगाया. यह कई सवाल खड़े करता है.
ऐसे ही कई पहलू हैं जिस पर विचार करने के लिए दिल्ली सरकार वरिष्ठ वकीलों से राय लेगी तब जाकर के कोई फैसला लिया जाएगा. 9 फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में हुई इस घटना के सभी साक्ष्य का जिक्र उसमें नहीं है. इसलिए सरकार जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं लेना चाहती है.
भाजपा ने उपराज्यपाल से की थी हस्तक्षेप की गुजारिश
बता दें कि देशद्रोह के मामले में केजरीवाल सरकार के अभी तक कोई निर्णय नहीं लिए जाने पर भाजपा ने पिछले दिनों एतराज जताया था और उपराज्यपाल से भी हस्तक्षेप करने की गुजारिश की थी.
भाजपा ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से कहा था कि वह दिल्ली सरकार को निर्देश दें कि अविलंब जेएनयू छात्रों के देशद्रोह मामले में अभियोजन की अनुमति दें.
जेएनयू परिसर में देशद्रोही नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने जो चार्जशीट अदालत में सौंपी है. उसमें 10 छात्रों के नाम हैं. इन्हें पुलिस ने देशद्रोही नारे व गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया है.
- चार्जशीट में छात्रों के नाम
- कन्हैया कुमार
- सैयद उमर खालिद
- अनिर्बान भट्टाचार्य
- अक़ीब हुसैन
- मुजीब हुसैन
- मुनीब हुसैन
- उमर गुल
- रईस रसूल
- बसरत अली
- खालिद बशीर भट्ट
बता दें कि अभी तक फ़ाइल मंत्री सत्येंद्र जैन के पास लंबित पड़ी है. भाजपा का आरोप है कि कन्हैया के प्रति समर्थन और सहानुभूति के कारण केजरीवाल ने फाइल को रोके रखने के निर्देश दे रखे हैं. वे नहीं चाहते हैं कि दिल्ली सरकार कन्हैया के अभियोजन की अनुमति दे.