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चीनी कंपनी से CCTV लगाने पर असमंजस में केजरीवाल सरकार - Delhi chinese product Ban

केजरीवाल सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन की कंपनी से ही सीसीटीवी लगवाए थे. अब दोबारा जब डेढ़ लाख कैमरे दिल्ली की सार्वजनिक स्थानों पर लगाने की कवायद शुरू हुई. लेकिन अब सीमा विवाद और चीन के सामानों के बहिष्कार व अन्य राज्य सरकारों की ओर से भी कई ठेके निरस्त किए जाने का फैसला लिया गया.

CCTV from Chinese company
सीसीटीवी लगाने पर असमंजस में केजरीवाल सरकार
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Published : Jul 11, 2020, 11:55 AM IST

नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा विवाद का असर सरकार की योजनाओं को भी प्रभावित करता हुआ दिखाई दे रहा है. केजरीवाल सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में महिला सुरक्षा के नाम पर दिल्ली में डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए थे. प्रत्येक विधानसभा में लगभग दो-दो लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम गत विधानसभा चुनाव से ठीक पहले संपन्न हुआ था. उसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने दिल्ली में और डेढ़ लाख सीसीटीवी सार्वजनिक स्थानों पर लगाने बात कही की. लेकिन अब ये योजना खटाई में पड़ सकती है.

केजरीवाल सरकार की सीसीटीवी योजना लटकी




चीनी कंपनी से सीसीटीवी लगाने को असमंजस

दरअसल, केजरीवाल सरकार ने जो सीसीटीवी कैमरे लगाए थे. उसमें चीन की कंपनी हिकविजन को सरकार ने टेंडर दिया था. क्योंकि दिल्ली मेट्रो समेत केंद्र सरकार के मंत्रालयों में भी चीन की कंपनी हिकविजन के ही सीसीटीवी लगाए गए हैं. तो उस मानक को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने भी पिछली बार चीनी कंपनी को ही वो ठेका दिया था.



पिछले कार्यकाल में केजरीवाल सरकार ने चीनी कंपनी से लगाये थे सीसीटीवी

केजरीवाल सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन की कंपनी से ही सीसीटीवी लगवाए थे. अब दोबारा जब डेढ़ लाख कैमरे दिल्ली की सार्वजनिक स्थानों पर लगाने की कवायद शुरू हुई. तब सीमा विवाद और चीन के सामानों के बहिष्कार व अन्य राज्य सरकारों की ओर से भी कई ठेके निरस्त किए जाने का फैसला लिया गया. चीनी कंपनियों के कई ठेके निरस्त जाने के बाद दिल्ली सरकार ने भी केंद्र से सुझाव मांगा है और भी मंत्रालय से भी पूछा है कि वो चीनी कंपनी से सीसीटीवी लगाएं या नहीं?


चीन की कंपनी हिक विजन के कैमरे लगाए गए

बता दें कि दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का चुनावी वादा था. इसलिए केजरीवाल सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में जब दोबारा चुनाव मैदान में उतरने वाली थी, तो उससे पहले लोक निर्माण विभाग को दिसंबर तक पहले चरण में डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा. कैमरे लगा भी दिए गए. सीसीटीवी लगाने के लिए जितने भी टेंडर निकाले, उसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने हिस्सा लिया था. मगर जो कैमरे लगे थे वो सब चीन की कंपनी हिक विजन के कैमरे लगाए गए हैं.

नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा विवाद का असर सरकार की योजनाओं को भी प्रभावित करता हुआ दिखाई दे रहा है. केजरीवाल सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में महिला सुरक्षा के नाम पर दिल्ली में डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए थे. प्रत्येक विधानसभा में लगभग दो-दो लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम गत विधानसभा चुनाव से ठीक पहले संपन्न हुआ था. उसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने दिल्ली में और डेढ़ लाख सीसीटीवी सार्वजनिक स्थानों पर लगाने बात कही की. लेकिन अब ये योजना खटाई में पड़ सकती है.

केजरीवाल सरकार की सीसीटीवी योजना लटकी




चीनी कंपनी से सीसीटीवी लगाने को असमंजस

दरअसल, केजरीवाल सरकार ने जो सीसीटीवी कैमरे लगाए थे. उसमें चीन की कंपनी हिकविजन को सरकार ने टेंडर दिया था. क्योंकि दिल्ली मेट्रो समेत केंद्र सरकार के मंत्रालयों में भी चीन की कंपनी हिकविजन के ही सीसीटीवी लगाए गए हैं. तो उस मानक को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने भी पिछली बार चीनी कंपनी को ही वो ठेका दिया था.



पिछले कार्यकाल में केजरीवाल सरकार ने चीनी कंपनी से लगाये थे सीसीटीवी

केजरीवाल सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन की कंपनी से ही सीसीटीवी लगवाए थे. अब दोबारा जब डेढ़ लाख कैमरे दिल्ली की सार्वजनिक स्थानों पर लगाने की कवायद शुरू हुई. तब सीमा विवाद और चीन के सामानों के बहिष्कार व अन्य राज्य सरकारों की ओर से भी कई ठेके निरस्त किए जाने का फैसला लिया गया. चीनी कंपनियों के कई ठेके निरस्त जाने के बाद दिल्ली सरकार ने भी केंद्र से सुझाव मांगा है और भी मंत्रालय से भी पूछा है कि वो चीनी कंपनी से सीसीटीवी लगाएं या नहीं?


चीन की कंपनी हिक विजन के कैमरे लगाए गए

बता दें कि दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का चुनावी वादा था. इसलिए केजरीवाल सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में जब दोबारा चुनाव मैदान में उतरने वाली थी, तो उससे पहले लोक निर्माण विभाग को दिसंबर तक पहले चरण में डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा. कैमरे लगा भी दिए गए. सीसीटीवी लगाने के लिए जितने भी टेंडर निकाले, उसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने हिस्सा लिया था. मगर जो कैमरे लगे थे वो सब चीन की कंपनी हिक विजन के कैमरे लगाए गए हैं.

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