नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों में साजिश रचने की आरोपी और यूएपीए के तहत जेल में बंद कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने अगली सुनवाई 27 सितंबर को करने का आदेश दिया.
एक सितंबर को सुनवाई के दौरान इशरत जहां की ओर से वकील परवेज हैदर ने कहा था कि पिछले पांच-छह महीने से वे उनके द्वारा दलीलें रखी जा रही हैं, लेकिन अब दिल्ली पुलिस कह रही है कि जमानत याचिका जिस धारा के तहत दायर की गई है वो सुनवाई योग्य नहीं है.
पिछले 26 अगस्त को सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इस मामले में धारा 437 के तहत याचिका दायर की जानी चाहिए थी. अमित प्रसाद ने गुवाहाटी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वताली वाले मामले के फैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि धारा 439 के तहत दायर याचिका वापस लेनी चाहिए.
अमित प्रसाद की दलील का इशरत जहां के वकील प्रदीप तेवतिया ने विरोध करते हुए कहा था कि कोर्ट पहले धारा 439 के तहत सुनवाई कर चुकी है. तब अमित प्रसाद ने कहा था कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, ये कानूनी अवरोध है. तब तेवतिया ने कहा था कि ये सवाल पहले क्यों नहीं उठाया गया, ये तो मेरे साथ अत्याचार है.
इस पर कोर्ट ने कहा था कि हम आपकी बात से सहमत हैं, लेकिन कानूनी सवाल का क्या करें. अगर वे छह महीने पहले कहे होते तो मैं विरोध नहीं करता, लेकिन वे ऐसा कर आरोपी की जेल की अवधि बढ़ाना चाहते हैं. तेवतिया ने कहा था कि जमानत तो मौखिक सुनवाई पर भी दी जाती है और ये यूएपीए में भी लागू होता है.
तब अमित प्रसाद ने कहा था कि कानूनी प्रावधान है. इशरत जहां खुद एक वकील हैं. तब कोर्ट ने कहा था कि मैं भी इस बारे में अनभिज्ञ था, लेकिन अगर वकील अमित प्रसाद ने कुछ खास फैसले उद्धृत किए हैं तो उन्हें देखने दीजिए.
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16 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अमित प्रसाद ने कहा था कि उन्हें तथ्यों को देखने के लिए समय चाहिए. वे दलीलें पेश नहीं कर सकते हैं. इसका इशरत जहां की ओर से पेश वकील प्रदीप तेवतिया ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये मामला लंबे समय से लंबित है. तब अमित प्रसाद ने कहा कि मैं हवा में बात नहीं कर सकता हूं.
पिछले 23 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. पिछले 12 जुलाई को सुनवाई के दौरान इशरत जहां की ओर से वकील प्रदीप तेवतिया ने पूछा था कि क्या राजनीतिक जुड़ाव होना गलत बात है. इशरत जहां ने क्या गलत किया. उन्होने कहा था कि यूएपीए लगाने का मकसद आवाज को दबाना है. यूएपीए की समीक्षा होनी चाहिए.
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तेवतिया ने कहा था कि सह-आरोपी के साथ इशरत जहां का संबंध दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है और गवाह असली नहीं हैं. उन्होंने दिल्ली पुलिस की ओर से लगाए गए इन आरोपों पर आपत्ति जताई कि इशरत जहां ने विरोध प्रदर्शनों के लिए फंडिंग में मदद की. उन्होंने कहा कि अभियोजन की यह कहानी मनगढ़ंत है और हिंसा से पहले और उसके दौरान उनके खर्च के पैटर्न में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
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बता दें कि कोर्ट ने 30 मई 2020 को इशरत जहां को शादी करने के लिए दस दिनों की अंतरिम जमानत दिया था. इशरत जहां को 26 फरवरी 2020 को गिरफ्तार किया गया था. इशरत जहां के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 147, 148, 149, 186, 307, 332, 353 और 34 और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है. पुलिस के मुताबिक इशरत जहां ने भीड़ को उकसाते हुए कहा कि हम चाहें मर जाएं, लेकिन हम यहां से नहीं हटेंगे, चाहे पुलिस कुछ भी कर ले हम आजादी लेकर रहेंगे. पुलिस के मुताबिक 26 फरवरी 2020 को जगतपुरी में न केवल पुलिस पर पथराव हुआ, बल्कि गोलियां भी चलाई गई थीं.