ETV Bharat / state

दिल्ली हिंसा: 63 साल के आरोपी की जमानत याचिका कोर्ट ने की खारिज

दिल्ली हिंसा मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने 63 वर्षीय बुजुर्ग की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी की कॉल डिटेल की रिपोर्ट भी 25 फरवरी को दंगे के दौरान मौके पर उनकी मौजूदगी को दर्शा रहा है.

author img

By

Published : Aug 27, 2020, 1:16 PM IST

karkardooma court dismissed bail plea of 63 old man in delhi violence
आरोपी की जमानत याचिका कोर्ट ने की खारिज

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में 63 साल के एक बुजुर्ग की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे काफी भयंकर थे, जिसमें 53 लोगों की जान चली गई और बड़े पैमाने पर निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान हुआ.

बड़े पैमाने पर रची गई साजिश का हिस्सा

कोर्ट ने कहा कि ये दंगे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बनने के बाद दिल्ली में अलग-अलग स्तर पर बड़े पैमाने पर रची गई, साजिश का हिस्सा थे और स्वाभाविक नहीं थे. कोर्ट ने कहा कि आरोपी की पहचान एक गवाह ने दंगाई के रुप में की है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी की कॉल डिटेल की रिपोर्ट भी 25 फरवरी को दंगे के दौरान मौके पर उनकी मौजूदगी को दर्शा रहा है. दंगे में उसकी कथित भूमिका साफ जाहिर हो रही है कि वह एक-दूसरे समुदाय के लोगों पर पत्थर फेंकने वाला पहला व्यक्ति था. समुदाय का वरिष्ठ सदस्य होने के चलते उसने भावनाओं को भड़काने में अहम भूमिका निभाई.


एफआईआर दर्ज करने में की गई देरी

सुनवाई के दौरान लियाकल अली की ओर से वकील दिनेश तिवारी ने कहा कि कथित घटना 25 फरवरी को चार बजे दिन की है. लेकिन एफआईआर छह दिनों की देरी के बाद 1 मार्च को दर्ज किया गया. आरोपी की गिरफ्तारी 7 अप्रैल को हुई. उन्होंने कहा कि आरोपी एक वरिष्ठ नागरिक है, जिसकी उम्र 63 साल की है. 63 साल के व्यक्ति से ऐसे काम की उम्मीद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि आरोपी अपने परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य है. आरोपी के पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है.

एक गवाह और दो कांस्टेबल ने की पहचान

दिनेश तिवारी ने कहा कि आरोपी की पहचान परेड नहीं कराई गई है. ऐसे में एक गवाह और एक कांस्टेबल द्वारा पहचाने जाने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में घायल व्यक्ति का बयान 1 मार्च को क्यों नहीं दर्ज किया गया, जब एफआईआर दर्ज की गई थी. गवाह प्रदीप वर्मा एक खास समुदाय के प्रति दुश्मनी का भाव रखता है. इसलिए उसने ऐसा बयान दर्ज करवाया. गवाह का बयान दूसरे मामलों में दयालपुर और खजूरी खास थाने में दर्ज हुए थे जिसमें उसने आरोपी का नाम नहीं लिया.

कई स्थानों पर धरने आयोजित किए गए

दिल्ली पुलिस ने लियाकत अली की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया. उसके बाद 13 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी में हिंसा हुई. 15 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी और अन्य स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें 29 बसों को नुकसान पहुंचाया गया. उसके बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई स्थानों पर धरने दिए गए. उन्होंने कहा कि धरना अचानक नहीं हुआ बल्कि इसके लिए एक सुनियोजित साजिश रची गई.



ट्रंप के आने से जानबूझकर करवाए दंगे

दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये दंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने से समय जानबूझकर करवाए गए ताकि पुलिस उस समय व्यस्त रहेगी. ये एक गहरी साजिश की ओर इशारा करता है. उन्होंने कहा कि दंगों की शुरुआत 22 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास हुआ, जहां सबसे पहले हिंसा को अंजाम दिया गया. 25 फरवरी को घायल अजय गोस्वामी के रिश्तेदार दयालपुर थाने आए और बताया कि उनका बेटे को गोली मारी गई. जो हिन्दू राव अस्पताल में भर्ती हैं. एएसआई विजयंत कुमार हिन्दू राव अस्पताल पहुंचे लेकिन अजय गोस्वामी बयान दर्ज कराने की स्थिति में नहीं थे. अजय गोस्वामी को आपरेशन थियेटर ले जाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि आरोपी की पहचान कार्ड की जरुरत इसलिए नहीं थी क्योंकि उसे एक गवाह और दो कांस्टेबल ने पहचाना था.

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में 63 साल के एक बुजुर्ग की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे काफी भयंकर थे, जिसमें 53 लोगों की जान चली गई और बड़े पैमाने पर निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान हुआ.

बड़े पैमाने पर रची गई साजिश का हिस्सा

कोर्ट ने कहा कि ये दंगे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बनने के बाद दिल्ली में अलग-अलग स्तर पर बड़े पैमाने पर रची गई, साजिश का हिस्सा थे और स्वाभाविक नहीं थे. कोर्ट ने कहा कि आरोपी की पहचान एक गवाह ने दंगाई के रुप में की है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी की कॉल डिटेल की रिपोर्ट भी 25 फरवरी को दंगे के दौरान मौके पर उनकी मौजूदगी को दर्शा रहा है. दंगे में उसकी कथित भूमिका साफ जाहिर हो रही है कि वह एक-दूसरे समुदाय के लोगों पर पत्थर फेंकने वाला पहला व्यक्ति था. समुदाय का वरिष्ठ सदस्य होने के चलते उसने भावनाओं को भड़काने में अहम भूमिका निभाई.


एफआईआर दर्ज करने में की गई देरी

सुनवाई के दौरान लियाकल अली की ओर से वकील दिनेश तिवारी ने कहा कि कथित घटना 25 फरवरी को चार बजे दिन की है. लेकिन एफआईआर छह दिनों की देरी के बाद 1 मार्च को दर्ज किया गया. आरोपी की गिरफ्तारी 7 अप्रैल को हुई. उन्होंने कहा कि आरोपी एक वरिष्ठ नागरिक है, जिसकी उम्र 63 साल की है. 63 साल के व्यक्ति से ऐसे काम की उम्मीद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि आरोपी अपने परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य है. आरोपी के पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है.

एक गवाह और दो कांस्टेबल ने की पहचान

दिनेश तिवारी ने कहा कि आरोपी की पहचान परेड नहीं कराई गई है. ऐसे में एक गवाह और एक कांस्टेबल द्वारा पहचाने जाने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में घायल व्यक्ति का बयान 1 मार्च को क्यों नहीं दर्ज किया गया, जब एफआईआर दर्ज की गई थी. गवाह प्रदीप वर्मा एक खास समुदाय के प्रति दुश्मनी का भाव रखता है. इसलिए उसने ऐसा बयान दर्ज करवाया. गवाह का बयान दूसरे मामलों में दयालपुर और खजूरी खास थाने में दर्ज हुए थे जिसमें उसने आरोपी का नाम नहीं लिया.

कई स्थानों पर धरने आयोजित किए गए

दिल्ली पुलिस ने लियाकत अली की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया. उसके बाद 13 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी में हिंसा हुई. 15 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी और अन्य स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें 29 बसों को नुकसान पहुंचाया गया. उसके बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई स्थानों पर धरने दिए गए. उन्होंने कहा कि धरना अचानक नहीं हुआ बल्कि इसके लिए एक सुनियोजित साजिश रची गई.



ट्रंप के आने से जानबूझकर करवाए दंगे

दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये दंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने से समय जानबूझकर करवाए गए ताकि पुलिस उस समय व्यस्त रहेगी. ये एक गहरी साजिश की ओर इशारा करता है. उन्होंने कहा कि दंगों की शुरुआत 22 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास हुआ, जहां सबसे पहले हिंसा को अंजाम दिया गया. 25 फरवरी को घायल अजय गोस्वामी के रिश्तेदार दयालपुर थाने आए और बताया कि उनका बेटे को गोली मारी गई. जो हिन्दू राव अस्पताल में भर्ती हैं. एएसआई विजयंत कुमार हिन्दू राव अस्पताल पहुंचे लेकिन अजय गोस्वामी बयान दर्ज कराने की स्थिति में नहीं थे. अजय गोस्वामी को आपरेशन थियेटर ले जाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि आरोपी की पहचान कार्ड की जरुरत इसलिए नहीं थी क्योंकि उसे एक गवाह और दो कांस्टेबल ने पहचाना था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.