नई दिल्ली: दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी को रविवार को जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इस दौरान दानिश की झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. हालांकि इस दौरान पुलिस ने लगातार लोगों से कोरोना महामारी का हवाला देकर कोरोना दिशा निर्देशों को पालन करने की अपील की.
दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में सरकार और तालिबान के बीच चल रहे युद्ध के कवरेज के लिए गए हुए थे. इसी दौरान उनकी मौत हो गई थी. जिसके बाद रविवार को उनका पार्थिव शरीर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा. जहां से उनके शव को पहले उनके घर ले जाया गया और बाद में जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलपति ने दिवंगत फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के परिवार की उस अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने दानिश सिद्दीकी के शव को जामिया कब्रिस्तान में दफनाए जाने का अनुरोध किया. जामिया मिलिया इस्लामिया के पास बने कब्रिस्तान में विशेष रूप से विश्वविद्यालय के कर्मचारियों, उनके जीवनसाथी, नाबालिग बच्चों के शवों को सुपुर्द-ए-खाक किया जाता है.
सिद्दीकी को वर्ष 2018 में समाचार एजेंसी रॉयटर के लिए काम करने के दौरान पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और गत शुक्रवार को पाकिस्तान की सीमा से लगते अफगानिस्तान के कस्बे स्पीन बोल्दक में उनकी हत्या कर दी गई थी. हत्या के समय वह अफगान विशेष बल के साथ जुड़े थे.
बता दें कि दानिश सिद्दीकी जामिया मिल्लिया इस्लामिया एमसीआरसी के वर्ष 2005-2007 तक छात्र भी थे. सिद्दीकी मुंबई में रहा करते थे. उन्हें रॉयटर के फोटोग्राफी स्टाफ के सदस्य के तौर पर पुलित्जर पुरस्कार मिला था. उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था और 2007 में जामिया के एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से जनसंचार का अध्ययन किया था. वह 2010 में रॉयटर से जुड़े थे.
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत संवाददाता के तौर पर की थी, जिसके बाद वह फोटो पत्रकारिता में चले गये और 2010 में इंटर्न के तौर पर रॉयटर में शामिल हुए. दानिश सिद्दीकी 2018 में फीचर फोटोग्राफी के लिए प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार मिला था. म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय द्वारा सामना किये जाने वाली हिंसा को तस्वीरों में उतारने का काम करने को लेकर उन्हें अपने एक सहकर्मी और पांच अन्य के साथ पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था.