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JNU पोस्टर विवाद: छात्रों ने कैंपस में लगाए पोस्टर, कहा- प्रशासन की कार्रवाई से नहीं डरने वाले - administration

जेएनयू प्रशासन द्वारा पोस्टर न लगाने के नोटिस जारी करने के विरोध में छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. छात्रों का कहना है कि जेएनयू में पोस्टर लगाना उनका मूलभूत अधिकार है और ये जेएनयू की संस्कृति का हिस्सा है.

जेएनयू प्रशासन के रोक के बावजूद छात्र संघ ने लगाए पोस्टर etv bharat
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Published : Jul 24, 2019, 5:45 AM IST

Updated : Jul 24, 2019, 7:09 AM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 की शुरुआत हो गई है. वहीं एक बार फिर जेएनयू प्रशासन और छात्रसंघ आमने सामने आ गए हैं.

जेएनयू प्रशासन के रोक के बावजूद छात्र संघ ने लगाए पोस्टर


दरअसल इस बार जेएनयू प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया है. जिसके मुताबिक अब जेएनयू की दीवारों पर कोई नए पोस्टर नहीं लगेंगे और जो पोस्टर लगे हैं. उन्हें हटाया जाएगा. इसी के विरोध में जेएनयू छात्र संघ ने विरोध प्रदर्शन किया और स्कूल ऑफ लैंग्वेज, स्कूल ऑफ सोशल साइंस की दीवारों पर पोस्टर लगाए.

'प्रशासन छात्रों की आवाज दबाना चाहता है'
इस दौरान छात्रों ने जेएनयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की. वहीं प्रशासन के डिफेसमेंट एक्ट के तहत पोस्टर नहीं लगाने के आदेश को लेकर जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाना चाहता है, लेकिन जेएनयू के छात्र प्रशासन के इन आदेशों से डरने वाले नहीं है.

JNU student union protest against JNU administration
जेएनयू प्रशासन के रोक के बावजूद छात्र संघ ने लगाए पोस्टर


उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जिस स्वच्छ जेएनयू का हवाला देकर इन पोस्टरों को हटाने और कैंपस की दीवारों पर नहीं लगाने का आदेश जारी किया है. इससे केवल यही पता चलता है कि प्रशासन नहीं चाहता है कि छात्र प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें और अपने विचारों को व्यक्त कर सकें.

'पहले खराब पड़े वाटर कूलर, टूटी सड़कें बनवाएं'
सारिका चौधरी ने कहा कि अगर प्रशासन वाकई जेएनयू परिसर को स्वच्छ करना चाहता है तो परिसर में खराब पड़े वाटर कूलर, टूटी सड़कें और जगह-जगह फैली अव्यवस्था को दूर करना चाहिए. तभी सही मायने में जेएनयू स्वच्छ होगा.


प्रदर्शन कर रहे काउंसलर साकेत ने कहा कि जेएनयू में पोस्टर लगाना छात्रों का एक मूलभूत अधिकार है. ये जेएनयू की संस्कृति का एक हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जब से जेएनयू बना है तब से पोस्टर लगाए जा रहे हैं.


साथ ही साकेत ने कहा कि हर पोस्टर किसी ना किसी मुद्दे पर आधरित होता है. पोस्टर के जरिए समाज में हो रहे अन्याय को दिखाने की कोशिश की जाती है. साकेत ने कहा कि प्रशासन ने जो नियम निकाला है. वह नियम तर्कसंगत नहीं है.


साकेत ने कहा कि पोस्टर में छात्र सरकार की गलत नीतियों को उजागर करते हैं जिसे प्रशासन बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. इसी के चलते उसने डिफेसमेंट एक्ट का हवाला देते हुए जेएनयू की दीवारों पर लगे पोस्टर हटाने और नए पोस्टर नहीं लगाने का आदेश जारी किया है.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 की शुरुआत हो गई है. वहीं एक बार फिर जेएनयू प्रशासन और छात्रसंघ आमने सामने आ गए हैं.

जेएनयू प्रशासन के रोक के बावजूद छात्र संघ ने लगाए पोस्टर


दरअसल इस बार जेएनयू प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया है. जिसके मुताबिक अब जेएनयू की दीवारों पर कोई नए पोस्टर नहीं लगेंगे और जो पोस्टर लगे हैं. उन्हें हटाया जाएगा. इसी के विरोध में जेएनयू छात्र संघ ने विरोध प्रदर्शन किया और स्कूल ऑफ लैंग्वेज, स्कूल ऑफ सोशल साइंस की दीवारों पर पोस्टर लगाए.

'प्रशासन छात्रों की आवाज दबाना चाहता है'
इस दौरान छात्रों ने जेएनयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की. वहीं प्रशासन के डिफेसमेंट एक्ट के तहत पोस्टर नहीं लगाने के आदेश को लेकर जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाना चाहता है, लेकिन जेएनयू के छात्र प्रशासन के इन आदेशों से डरने वाले नहीं है.

JNU student union protest against JNU administration
जेएनयू प्रशासन के रोक के बावजूद छात्र संघ ने लगाए पोस्टर


उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जिस स्वच्छ जेएनयू का हवाला देकर इन पोस्टरों को हटाने और कैंपस की दीवारों पर नहीं लगाने का आदेश जारी किया है. इससे केवल यही पता चलता है कि प्रशासन नहीं चाहता है कि छात्र प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें और अपने विचारों को व्यक्त कर सकें.

'पहले खराब पड़े वाटर कूलर, टूटी सड़कें बनवाएं'
सारिका चौधरी ने कहा कि अगर प्रशासन वाकई जेएनयू परिसर को स्वच्छ करना चाहता है तो परिसर में खराब पड़े वाटर कूलर, टूटी सड़कें और जगह-जगह फैली अव्यवस्था को दूर करना चाहिए. तभी सही मायने में जेएनयू स्वच्छ होगा.


प्रदर्शन कर रहे काउंसलर साकेत ने कहा कि जेएनयू में पोस्टर लगाना छात्रों का एक मूलभूत अधिकार है. ये जेएनयू की संस्कृति का एक हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जब से जेएनयू बना है तब से पोस्टर लगाए जा रहे हैं.


साथ ही साकेत ने कहा कि हर पोस्टर किसी ना किसी मुद्दे पर आधरित होता है. पोस्टर के जरिए समाज में हो रहे अन्याय को दिखाने की कोशिश की जाती है. साकेत ने कहा कि प्रशासन ने जो नियम निकाला है. वह नियम तर्कसंगत नहीं है.


साकेत ने कहा कि पोस्टर में छात्र सरकार की गलत नीतियों को उजागर करते हैं जिसे प्रशासन बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. इसी के चलते उसने डिफेसमेंट एक्ट का हवाला देते हुए जेएनयू की दीवारों पर लगे पोस्टर हटाने और नए पोस्टर नहीं लगाने का आदेश जारी किया है.

Intro:नई दिल्ली । जेएनयू

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 की शुरुआत हो गई है. वही एक बार फिर जेएनयू प्रशासन और छात्रसंघ आमने सामने आ गए हैं. दरअसल इस बार जेएनयू प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया है जिसके मुताबिक अब जेएनयू की दीवारों पर कोई नए पोस्टर नहीं लगेंगे और जो पोस्टर लगे हैं उन्हें हटाया जाएगा. इसी के विरोध में जेएनयू छात्र संघ ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया और स्कूल ऑफ लैंग्वेज, स्कूल ऑफ सोशल साइंस आदि दीवारों पर पोस्टर लगाए. इस दौरान छात्रों ने जेएनयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की.



Body:वहीं प्रशासन के डिफेसमेंट एक्ट के तहत पोस्टर नहीं लगाने को लेकर जारी किए गए आदेश को लेकर जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाना चाहती है लेकिन जेएनयू छात्र प्रशासन के इन आदेशों से डरने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जिस स्वच्छ जेएनयू का हवाला देकर इन पोस्टरों को हटाने और कैंपस की दीवारों पर नहीं लगाने का आदेश जारी किया है इससे केवल यही प्रतीत होता है कि प्रशासन नहीं चाहता है कि छात्र प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें और अपने विचारों को व्यक्त कर सकें. साथ ही कहा कि अगर प्रशासन वाकई जेएनयू परिसर को स्वच्छ करना चाहता है तो उसे खराब पड़े वाटर कूलर, टूटी सड़कें और जगह-जगह फैली अव्यवस्था को दूर करना चाहिए तभी सही मायने में जेएनयू स्वच्छ होगा.

प्रदर्शन कर रहे काउंसलर साकेत ने कहा कि जेएनयू में पोस्टर लगाना छात्रों का एक मूलभूत अधिकार है, जेएनयू की संस्कृति का एक हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जब से जेएनयू बना है तब से पोस्टर लगाए जा रहे हैं. साथ ही कहा कि हर पोस्टर किसी ना किसी मुद्दे पर आधरित होता है. पोस्टर के जरिए समाज में हो रहे अन्याय को दिखाने की कोशिश की जाती है. साकेत ने कहा कि प्रशासन ने जो नियम निकाला है वह नियम तर्कसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि जो नियम गलत है उसे तोड़ना सही है. उन्होंने कहा कि यह बात डिफेसमेंट की नहीं है. पोस्टर में जो बातें लिखी होती हैं वह प्रशासन को सही नहीं लग रही है. साथ ही कहा कि पोस्टर में छात्र सरकार की गलत नीतियों को उजागर करते हैं जिसे प्रशासन बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. इसी के चलते उसने डिफेसमेंट एक्ट का हवाला देते हुए जेएनयू की दीवारों पर लगे पोस्टर हटाने और नए पोस्टर नहीं लगाने का आदेश जारी किया है. साकेत ने कहा कि पोस्टर लगाने की घटना के बाद वो जानते हैं कि उनके ऊपर कार्यवाई हो सकती है लेकिन वह कार्रवाई से नहीं डरने वाले हैं और वह लगातार छात्रों के हित की बात करते रहेंगे उसके लिए चाहे उन्हें प्रशासन के खिलाफ ही क्यों ना जाना पड़े.


Conclusion:बता दें कि जेएनयू प्रशासन द्वारा एक आदेश जारी किया गया है जिसमें लिखा है कि दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 2007 के तहत जेएनयू की दीवारों पर अब कोई पोस्टर नहीं लगेगा और अगर कोई छात्र पोस्टर लगाते हुए पाया जाएगा तो उस छात्र पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
Last Updated : Jul 24, 2019, 7:09 AM IST
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