नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 की शुरुआत हो गई है. वहीं एक बार फिर जेएनयू प्रशासन और छात्रसंघ आमने सामने आ गए हैं.
दरअसल इस बार जेएनयू प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया है. जिसके मुताबिक अब जेएनयू की दीवारों पर कोई नए पोस्टर नहीं लगेंगे और जो पोस्टर लगे हैं. उन्हें हटाया जाएगा. इसी के विरोध में जेएनयू छात्र संघ ने विरोध प्रदर्शन किया और स्कूल ऑफ लैंग्वेज, स्कूल ऑफ सोशल साइंस की दीवारों पर पोस्टर लगाए.
'प्रशासन छात्रों की आवाज दबाना चाहता है'
इस दौरान छात्रों ने जेएनयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की. वहीं प्रशासन के डिफेसमेंट एक्ट के तहत पोस्टर नहीं लगाने के आदेश को लेकर जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाना चाहता है, लेकिन जेएनयू के छात्र प्रशासन के इन आदेशों से डरने वाले नहीं है.
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जिस स्वच्छ जेएनयू का हवाला देकर इन पोस्टरों को हटाने और कैंपस की दीवारों पर नहीं लगाने का आदेश जारी किया है. इससे केवल यही पता चलता है कि प्रशासन नहीं चाहता है कि छात्र प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें और अपने विचारों को व्यक्त कर सकें.
'पहले खराब पड़े वाटर कूलर, टूटी सड़कें बनवाएं'
सारिका चौधरी ने कहा कि अगर प्रशासन वाकई जेएनयू परिसर को स्वच्छ करना चाहता है तो परिसर में खराब पड़े वाटर कूलर, टूटी सड़कें और जगह-जगह फैली अव्यवस्था को दूर करना चाहिए. तभी सही मायने में जेएनयू स्वच्छ होगा.
प्रदर्शन कर रहे काउंसलर साकेत ने कहा कि जेएनयू में पोस्टर लगाना छात्रों का एक मूलभूत अधिकार है. ये जेएनयू की संस्कृति का एक हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जब से जेएनयू बना है तब से पोस्टर लगाए जा रहे हैं.
साथ ही साकेत ने कहा कि हर पोस्टर किसी ना किसी मुद्दे पर आधरित होता है. पोस्टर के जरिए समाज में हो रहे अन्याय को दिखाने की कोशिश की जाती है. साकेत ने कहा कि प्रशासन ने जो नियम निकाला है. वह नियम तर्कसंगत नहीं है.
साकेत ने कहा कि पोस्टर में छात्र सरकार की गलत नीतियों को उजागर करते हैं जिसे प्रशासन बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. इसी के चलते उसने डिफेसमेंट एक्ट का हवाला देते हुए जेएनयू की दीवारों पर लगे पोस्टर हटाने और नए पोस्टर नहीं लगाने का आदेश जारी किया है.