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JNU: 'यहां छात्र नहीं आतंकवादी पढ़ते हैं, ये कहते उनको लज्जा नहीं आती'

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Published : Nov 20, 2019, 11:10 AM IST

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ी फीस और हॉस्टल मैनुअल का मामला अभी भी शांत नहीं हुआ. इस बीत ईटीवी भारत ने दिव्यांग (दृष्टिबाधित) छात्र शशि भूषण से खास बातचीत की.

दिव्यांग (दृष्टिबाधित) छात्र शशि भूषण

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ी हुई फीस और हॉस्टल मैनुअल को लेकर पिछले 23 दिनों से छात्रों का प्रदर्शन जारी है. आरोप है कि सोमवार देर शाम छात्रों ने संसद तक पैदल मार्च निकाला था जिसे रोकने के लिए पुलिस वालों ने लाठियां बरसानी शुरू कर दी.

ईटीवी भारत ने दिव्यांग (दृष्टिबाधित) छात्र शशि भूषण से खास बातचीत की

इस दौरान कई छात्रों को गंभीर चोटें आई. वहीं इस लाठीचार्ज में दिव्यांग छात्र को भी नहीं बख्शा गया. पुलिस की लाठीचार्ज से घायल दिव्यांग दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने कहा कि पुलिस ने सभी लाइटें बंद कर लाठीचार्ज किया और यह कहने पर भी कि मैं दृष्टिबाधित हूं तो कहा कि अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है.

'पुलिस ने बरसाई लाठियां'
वहीं पुलिस लाठीचार्ज का शिकार हुए दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के बारे में बताते हुए कहा कि सोमवार को अपने साथियों के साथ प्रदर्शन करते हुए वे संसद की ओर जा रहे थे, जहां उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ लाठियां बरसानी शुरू कर दी. उनके साथियों ने घेरा बनाकर उनका बचाव करने की कोशिश की तो उनके साथियों को भी पुलिस वालों ने खूब मारा और यह कहने पर की वह दृष्टिबाधित है, उसे किनारे पर खड़ा करने के लिए कह दिया.

'अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है'
शशि भूषण ने कहा कि मेरी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो मेरे साथियों ने जब मुझे एक तरफ खड़ा कर दिया, तब पुलिस वालों ने मुझे लाठियों से पीटना शुरू किया. पीठ पर लाठी मारकर जमीन पर गिरा दिया फिर जूतों से पेट और सीने पर मारने लगे जिसकी वजह से पसलियों में भी काफी चोटें आई हैं.

उन्होंने कहा कि मेरे यह कहने पर कि मैं ब्लाइंड स्टूडेंट हूं मुझे क्यों मार रहे हो पुलिस वालों ने कहा कि अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है. इसके बाद उन्हें गर्दन से उठाया और वहां से भाग जाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि जब दिव्यांग के साथ कोई रियायत नहीं की जा रही तो समझा जा सकता है कि आम छात्रों की पुलिस ने क्या हालत की होगी.

'छात्राओं को टॉयलेट से निकाल कर मारा'
उन्होंने कहा कि पुलिस बर्बरता यहीं नहीं रुकी. उन्होंने छात्राओं को पब्लिक टॉयलेट से बाल पकड़कर खींचते हुए बाहर निकाला और उनके साथ भी बदसलूकी की. शशि भूषण ने कहा कि छात्रों के हित की बात तो कोई नहीं करता लेकिन उनकी छवि धूमिल करने के लिए उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि जिस विश्वविद्यालय पर गर्व करना चाहिए उसके लिए कहा जाता है कि यहां आतंकवादी पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि जेएनयू के छात्र को नोबेल प्राइज दिया गया है उसका तो कहीं ज़िक्र नहीं हुआ बल्कि जेएनयू को आतंकियों का गढ़ कह दिया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में आतंकवादियों को नोबेल दिया जाता है.

बढ़ी हुई फीस पूरी तरह से रोलबैक हो
वहीं अपने प्रदर्शन को लेकर दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने कहा कि वह शेरो शायरी करके अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं. साथ ही अपनी पढ़ाई भी कर रहे हैं. ऐसे में कॉलेज की फीस बढ़ाए जाने पर पढ़ाई करना मुश्किल हो जाएगा. इसीलिए वह चाहते हैं कि हॉस्टल मैनुअल में दी गई शर्तें और बढ़ी हुई फीस पूरी तरह से रोलबैक कर ली जाए.

पुलिस से माफी की मांग
वहीं प्रदर्शन के दौरान दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण के साथ पुलिस के द्वारा की गई इस बर्बरता को लेकर सभी दिव्यांग छात्र काफी आक्रोशित है और वह दिल्ली पुलिस से इस पूरे घटनाक्रम को लेकर माफी मांगने की मांग कर रहे हैं.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ी हुई फीस और हॉस्टल मैनुअल को लेकर पिछले 23 दिनों से छात्रों का प्रदर्शन जारी है. आरोप है कि सोमवार देर शाम छात्रों ने संसद तक पैदल मार्च निकाला था जिसे रोकने के लिए पुलिस वालों ने लाठियां बरसानी शुरू कर दी.

ईटीवी भारत ने दिव्यांग (दृष्टिबाधित) छात्र शशि भूषण से खास बातचीत की

इस दौरान कई छात्रों को गंभीर चोटें आई. वहीं इस लाठीचार्ज में दिव्यांग छात्र को भी नहीं बख्शा गया. पुलिस की लाठीचार्ज से घायल दिव्यांग दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने कहा कि पुलिस ने सभी लाइटें बंद कर लाठीचार्ज किया और यह कहने पर भी कि मैं दृष्टिबाधित हूं तो कहा कि अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है.

'पुलिस ने बरसाई लाठियां'
वहीं पुलिस लाठीचार्ज का शिकार हुए दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के बारे में बताते हुए कहा कि सोमवार को अपने साथियों के साथ प्रदर्शन करते हुए वे संसद की ओर जा रहे थे, जहां उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ लाठियां बरसानी शुरू कर दी. उनके साथियों ने घेरा बनाकर उनका बचाव करने की कोशिश की तो उनके साथियों को भी पुलिस वालों ने खूब मारा और यह कहने पर की वह दृष्टिबाधित है, उसे किनारे पर खड़ा करने के लिए कह दिया.

'अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है'
शशि भूषण ने कहा कि मेरी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो मेरे साथियों ने जब मुझे एक तरफ खड़ा कर दिया, तब पुलिस वालों ने मुझे लाठियों से पीटना शुरू किया. पीठ पर लाठी मारकर जमीन पर गिरा दिया फिर जूतों से पेट और सीने पर मारने लगे जिसकी वजह से पसलियों में भी काफी चोटें आई हैं.

उन्होंने कहा कि मेरे यह कहने पर कि मैं ब्लाइंड स्टूडेंट हूं मुझे क्यों मार रहे हो पुलिस वालों ने कहा कि अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है. इसके बाद उन्हें गर्दन से उठाया और वहां से भाग जाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि जब दिव्यांग के साथ कोई रियायत नहीं की जा रही तो समझा जा सकता है कि आम छात्रों की पुलिस ने क्या हालत की होगी.

'छात्राओं को टॉयलेट से निकाल कर मारा'
उन्होंने कहा कि पुलिस बर्बरता यहीं नहीं रुकी. उन्होंने छात्राओं को पब्लिक टॉयलेट से बाल पकड़कर खींचते हुए बाहर निकाला और उनके साथ भी बदसलूकी की. शशि भूषण ने कहा कि छात्रों के हित की बात तो कोई नहीं करता लेकिन उनकी छवि धूमिल करने के लिए उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि जिस विश्वविद्यालय पर गर्व करना चाहिए उसके लिए कहा जाता है कि यहां आतंकवादी पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि जेएनयू के छात्र को नोबेल प्राइज दिया गया है उसका तो कहीं ज़िक्र नहीं हुआ बल्कि जेएनयू को आतंकियों का गढ़ कह दिया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में आतंकवादियों को नोबेल दिया जाता है.

बढ़ी हुई फीस पूरी तरह से रोलबैक हो
वहीं अपने प्रदर्शन को लेकर दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने कहा कि वह शेरो शायरी करके अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं. साथ ही अपनी पढ़ाई भी कर रहे हैं. ऐसे में कॉलेज की फीस बढ़ाए जाने पर पढ़ाई करना मुश्किल हो जाएगा. इसीलिए वह चाहते हैं कि हॉस्टल मैनुअल में दी गई शर्तें और बढ़ी हुई फीस पूरी तरह से रोलबैक कर ली जाए.

पुलिस से माफी की मांग
वहीं प्रदर्शन के दौरान दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण के साथ पुलिस के द्वारा की गई इस बर्बरता को लेकर सभी दिव्यांग छात्र काफी आक्रोशित है और वह दिल्ली पुलिस से इस पूरे घटनाक्रम को लेकर माफी मांगने की मांग कर रहे हैं.

Intro:नई दिल्ली ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ी हुई फीस और हॉस्टल मैनुअल को लेकर पिछले 23 दिनों से छात्रों का प्रदर्शन जारी है. वहीं सोमवार देर शाम छात्रों ने संसद तक पैदल मार्च निकाला था जिसे रोकने के लिए पुलिस वालों ने बिना किसी चेतावनी के छात्रों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी. इस दौरान कई छात्रों को गंभीर चोटें आई. वहीं इस लाठीचार्ज में दिव्यांग छात्र को भी नहीं बख्शा गया. पुलिस की लाठीचार्ज से घायल दिव्यांग दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने कहा कि पुलिस ने सभी लाइटें बंद कर लाठीचार्ज किया और यह कहने पर भी कि मैं दृष्टिबाधित हूं कहा, 'अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है'.


Body:वहीं पुलिस लाठीचार्ज का शिकार हुए दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के बारे में बताते हुए कहा कि सोमवार को अपने साथियों के साथ प्रदर्शन करते हुए वे संसद की ओर जा रहे थे जहां उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ लाठियां बरसानी शुरू कर दी. उनके साथियों ने घेरा बनाकर उनका बचाव करने की कोशिश की तो उनके साथियों को भी पुलिस वालों ने खूब मारा और यह कहने पर की वह दृष्टिबाधित है, उसे किनारे पर खड़ा करने के लिए कह दिया. शशि भूषण ने कहा कि मेरी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो मेरे साथियों ने जब मुझे एक तरफ खड़ा कर दिया तब पुलिस वालों ने मुझे लाठियों से पीटना शुरू किया. पीठ पर लाठी मारकर जमीन पर गिरा दिया फिर जूतों से पेट और सीने पर मारने लगे जिसकी वजह से पसलियों में भी काफी चोटें आई हैं. उन्होंने कहा कि मेरे यह कहने पर कि मैं ब्लाइंड स्टूडेंट हूं मुझे क्यों मार रहे हो पुलिस वालों ने कहा कि 'अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है'. इसके बाद उन्हें गर्दन से उठाया और वहां से भाग जाने के लिए कहा.उन्होंने कहा कि जब दिव्यांग के साथ कोई रियायत नहीं की जा रही तो समझा जा सकता है कि आम छात्रों की पुलिस ने क्या हालत की होगी.

उन्होंने कहा कि पुलिस बर्बरता यहीं नहीं रुकी. उन्होंने महिला छात्राओं को पब्लिक टॉयलेट से बाल पकड़कर खींचते हुए बाहर निकाला और उनके साथ भी बदसलूकी की. शशि भूषण ने कहा कि छात्रों के हित की बात तो कोई नहीं करता लेकिन उनकी छवि धूमिल करने के लिए उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि जिस विश्वविद्यालय पर गर्व करना चाहिए उसके लिए कहा जाता है कि यहां आतंकवादी पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि जेएनयू के छात्र को नोबेल प्राइज दिया गया है उसका तो कहीं ज़िक्र नहीं हुआ बल्कि जेएनयू को आतंकियों का गढ़ कह दिया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में आतंकवादियों को नोबेल दिया जाता है.

वहीं अपने प्रदर्शन को लेकर दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने कहा कि वह शेरो शायरी करके अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं. साथ ही अपनी पढ़ाई भी कर रहे हैं. ऐसे में कॉलेज की फीस बढ़ाए जाने पर पढ़ाई करना मुश्किल हो जाएगा. इसीलिए वह चाहते हैं कि हॉस्टल मैनुअल में दी गई शर्तें और बढ़ी हुई फीस पूरी तरह से रोलबैक कर ली जाए.


Conclusion:वहीं प्रदर्शन के दौरान दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण के साथ पुलिस के द्वारा की गई इस बर्बरता को लेकर सभी दिव्यांग छात्र काफी आक्रोशित है और वह दिल्ली पुलिस से इस पूरे घटनाक्रम को लेकर माफी मांगने की मांग कर रहे हैं.

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