नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU University) में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' की स्क्रीनिंग को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है. इसे लेकर जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) और जेएनयू प्रशासन आमने-सामने है. खबर है कि चेतावनी के बावजूद स्क्रीनिंग पर अड़े छात्रों के रूख को देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मंगलवार रात कैंपस की लाइट कटवा दी.
इसके बाद स्क्रीनिंग वाली जगह छात्र जुट गए और नारेबाजी करने लगे. साथ ही यहां पर पथराव करने की भी खबर है. प्रशासन जहां डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग होने से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का अंदेशा जता रहा है, वहीं छात्र संघ इससे इनकार कर रहा है. उसका तर्क है कि जब कैंपस में द कश्मीर फाइल्स फिल्म की स्क्रीनिंग की गई थी तो उसे नहीं रोका गया था लेकिन इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को क्यों रोका जा रहा है.
वहीं मौजूद सभी छात्रों से यह अपील की गई कि भले ही प्रशासन ने लाइट काटवा दी हो और वह प्रोजेक्टर स्क्रीन पर इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग न कर पा रहे हों, लेकिन इस फिल्म को क्यूआर कोड के जरिए देखा जाएगा. इसके लिए छात्रों को क्यूआर कोड बांटा गया और यह निश्चय किया गया कि यहां मौजूद सभी छात्र इस मूवी को अपने मोबाइल और लैपटॉप पर देखकर सांकेतिक प्रोटेस्ट करेंगे. हालांकि कार्यक्रम स्थल पर ना तो लाइट थी और न ही इंटरनेट ढंग से चल रहा था. इससे नाराज होकर जेएनयू प्रेसिडेंट आईशी घोष ने ना सिर्फ प्रशासन बल्कि मोदी सरकार, बीजेपी, आरएसएस और एबीवीपी को जमकर खरी-खोटी सुनाई.
वहीं विवाद की संवेदनशीलता को देखते हुए जेएनयू प्रशासन द्वारा कार्यक्रम स्थल पर काफी संख्या में प्राइवेट सिक्योरिटी तैनात की गई थी. साथ ही साथ दिल्ली पुलिस के कई जवान और अधिकारी भी सिविल ड्रेस में कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे. फिलहाल इस पूरे विरोध को लेकर खबर लिखे जाने तक जेएनयू प्रशासन या दिल्ली पुलिस के तरफ से किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि छात्रों ने सांकेतिक स्क्रीनिंग कर कहीं ना कहीं एक नए विवाद को पैदा कर दिया है.
सोमवार को JNU प्रशासन ने दी थी चेतावनीः कुछ छात्र संगठनों ने मंगलवार को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए एक पैम्फलेट जारी किया था. इसके बाद JNU प्रशासन ने चेतावनी देते हुए कहा था कि चूंकि केंद्र ने इस डॉक्यूमेंट्री को देशभर में बैन कर दिया है, ऐसे में जो भी इस आदेश का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. एडवाइजरी में कहा गया है कि इस तरह के इवेंट के लिए जेएनयू प्रशासन से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है.
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क्या है डॉक्यूमेंट्री विवादः दो पार्ट में बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि उसने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की जांच की थी. हालांकि, इसे विदेश मंत्रालय ने प्रोपेगेंडा बताकर खारिज कर दिया था. मंत्रालय ने बताया कि इसमें निष्पक्षता की कमी है और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है. इसके बाद कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने YouTube वीडियो और डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था.