नई दिल्ली: कपिल सिब्बल ने कहा कि खाली करने का आदेश 2019 के आम चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 5 मार्च को करेगा. उन्होंने कहा कि 2014 में म्युजियम का मैनेजमेंट बदल गया और उसने मेमोरियल फंड को खाली करने के लिए सरकार को लिखा. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड पिछले 54 सालों से परिसर का इस्तेमाल कर रहा है. हमें 2018 में बताया जाता है कि यह अनाधिकृत है. जून 2018 तक म्युजियम के मैनेजमेंट और फंड के बीच खाली करने को लेकर एक बार भी बात नहीं हुई.
'सुनवाई लगातार टल रही थी'
पिछले 1 फरवरी को कोर्ट ने जल्द सुनवाई की केंद्र सरकार की मांग को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले पर 19 फरवरी को ही सुनवाई होगी. दरअसल इस मामले पर सुनवाई लगातार टल रही थी. पिछले 23 जनवरी को हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी. इसके पहले भी 9 जनवरी को भी कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी. 4 दिसंबर 2018 को भी कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई टाल दी थी.
'दस्तावेज़ देने मेंनाकाम'
16 नवंबर 2018 को केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया था. केंद्र सरकार ने कहा था कि नेहरू मेमोरियल फंड जिस जमीन पर है वह तब से सरकार की है जब से राष्ट्रीय राजधानी का गठन हुआ था. अपने जवाब में केंद्र सरकार ने कहा था कि नेहरू मेमोरियल फंड वैसा कोई भी दस्तावेज देने में नाकाम रहा जिससे यह साबित हो कि वह इस परिसर का इस्तेमाल कर सकता है. नेहरु मेमोरियल फंड तीन मूर्ति भवन इस्टेट पर स्थित है जो पूरे तरीके से केंद्र सरकार के अधिकार में है.
केंद्र सरकार के आदेश पर रोक
1 नवंबर 2018 को हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश पर रोक लगा दिया था. नेहरू मेमोरियल फंड ने केंद्र के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. नेहरू मेमोरियल फंड के अध्यक्ष वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी हैं. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 23 अक्टूबर 2018 को जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड को आदेश दिया था.15 दिन में तीन मूर्ति भवन का परिसर खाली करने के आदेश के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल पढ़ने हाई कोर्ट का रुख किया है.
संग्रहालय बनाने की योजना
आपको बता दें कि जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड की स्थापना 1964 में की गई थी और यह 1967 से तीन मूर्ति भवन में स्थित है. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड को हटाने के लिए दिए गए नोटिस दिया गया है. शहरी विकास मंत्रालय ने नोटिस में कहा है कि वह 25 एकड़ के तीन मूर्ति भवन के परिसर में देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का संग्रहालय बनाने की योजना बना रही है. इस संग्रहालय को बनाने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत होगी.