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दिल्लीः दंगा प्रभावितों को मुआवजा चाहिए, कमेटियां नहीं: अब्दुल वाहिद - उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा

जमात-ए-इस्लामी हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष ने दंगों को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए कमेटी पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए कि दोषियों को सजा मिले और बेकसूरों पर जुल्म ना हो.

jamaat-e-Islami hind delhi pradesh president said riots victims need help not any committee
अब्दुल वाहिद
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Published : Aug 15, 2020, 7:37 PM IST

नई दिल्लीः उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद दिल्ली सरकार पीड़ितों को न्याय और समय पर मुआवजा देने की बात कर रही है. इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा एक कमेटी भी बनाई गई. वहीं दिल्ली विधानसभा माइनॉरिटी कमेटी के चेयरमैन द्वारा बनाई गई सब कमेटी पर सवाल भी उठ रहे हैं.

इसी बीच जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी प्रभावितों को इंसाफ के साथ उचित और समय से मुआवजा दिए जाने की आवाज उठाई है. दिल्ली-हरियाणा जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल वाहिद ने कहा कि दंगा प्रभावितों को फौरी तौर मुआवजा मिलने की जरूरत है ना कि किसी कमेटी की.

अब्दुल वाहिद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में लोगों का जान-माल नुकसान हुआ है. दंगों के बाद स्थानीय जिला प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया और पीड़ितों से बातचीत कर नुकसान का आंकलन करने के बाद सरकार द्वारा मुआवजे की घोषणा की गई.

दंगा प्रभावितों को लेकर अब्दुल वाहिद ने की ईटीवी भारत से बात

उन्होंने कहा कि मुआवजे का कुछ हिस्सा लॉकडाउन लगने से पूर्व कुछ प्रभावितों को जरूर दिया गया. लेकिन लॉकडाउन के बाद से यह प्रक्रिया थम गई और पीड़ितों के सामने दर-दर भटकने के सिवा कोई चारा नहीं रहा. हालत यह है कि आज भी न जाने कितने लोग एफआईआर कराने के लिए घूम रहे हैं.

'एसडीएम ने पड़ताल के बाद दिया मुआवजा'

अब्दुल वाहिद ने सब कमेटी बनाए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब जिला प्रशासन की तरफ से एसडीएम ने पूरी पड़ताल के बाद मुआवजा दिए जाने की प्रक्रिया की, तो फिर इस सब कमेटी का क्या मतलब है. मुआवजा ना मिलने से जो लोग अबतक वंचित रह गए हैं, उन्हें सबसे पहले मुआवजा दिए जाने की जरूरत है, ताकि उनका जीवन पटरी पर लौट सके.

दर्जनों को सामान देकर शुरू कराया कारोबार

दंगों के बाद से लगातार हिंसा प्रभावितों के लिए काम करने वाले संगठनों में जमात-ए-इस्लामी हिंद भी शामिल है. अब्दुल वाहिद ने बताया कि जमात की टीम अब तक 60 प्रोजेक्ट को पूरा किया है, जिसके तहत मकान, दुकान का निर्माण कराया गया. वहीं छोटे-मोटे काम करने वाले पीड़ितों को उनकी जरूरत का सामान दिलवाकर कारोबार शुरू कराया. उन्होंने कहा कि कई लोगों की बाइक, लैपटॉप जल गए थे. जिसकी वजह से उनका काम बंद हो गया. ऐसे 15 लोगों को बाइक और कई को लैपटॉप भी दिलाए गए.

'दोषियों को मिले सजा, बेकसूरों पर ना हो जुल्म'

अब्दुल वाहिद ने कहा कि दंगों के बाद इंक्वायरी के नाम पर जिस तरह से नौजवानों को पकड़ा गया. पीड़ितों को ही आरोपी बताकर जेल भेज दिया गया, उसी की वजह से सरकारी मुआवजा भी लोगों नहीं दिया गया. लोग इंसाफ के लिए भटकने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि दोषियों को सजा दिलाएं और किसी बेकसूर पर जुल्म ना हो.

नई दिल्लीः उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद दिल्ली सरकार पीड़ितों को न्याय और समय पर मुआवजा देने की बात कर रही है. इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा एक कमेटी भी बनाई गई. वहीं दिल्ली विधानसभा माइनॉरिटी कमेटी के चेयरमैन द्वारा बनाई गई सब कमेटी पर सवाल भी उठ रहे हैं.

इसी बीच जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी प्रभावितों को इंसाफ के साथ उचित और समय से मुआवजा दिए जाने की आवाज उठाई है. दिल्ली-हरियाणा जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल वाहिद ने कहा कि दंगा प्रभावितों को फौरी तौर मुआवजा मिलने की जरूरत है ना कि किसी कमेटी की.

अब्दुल वाहिद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में लोगों का जान-माल नुकसान हुआ है. दंगों के बाद स्थानीय जिला प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया और पीड़ितों से बातचीत कर नुकसान का आंकलन करने के बाद सरकार द्वारा मुआवजे की घोषणा की गई.

दंगा प्रभावितों को लेकर अब्दुल वाहिद ने की ईटीवी भारत से बात

उन्होंने कहा कि मुआवजे का कुछ हिस्सा लॉकडाउन लगने से पूर्व कुछ प्रभावितों को जरूर दिया गया. लेकिन लॉकडाउन के बाद से यह प्रक्रिया थम गई और पीड़ितों के सामने दर-दर भटकने के सिवा कोई चारा नहीं रहा. हालत यह है कि आज भी न जाने कितने लोग एफआईआर कराने के लिए घूम रहे हैं.

'एसडीएम ने पड़ताल के बाद दिया मुआवजा'

अब्दुल वाहिद ने सब कमेटी बनाए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब जिला प्रशासन की तरफ से एसडीएम ने पूरी पड़ताल के बाद मुआवजा दिए जाने की प्रक्रिया की, तो फिर इस सब कमेटी का क्या मतलब है. मुआवजा ना मिलने से जो लोग अबतक वंचित रह गए हैं, उन्हें सबसे पहले मुआवजा दिए जाने की जरूरत है, ताकि उनका जीवन पटरी पर लौट सके.

दर्जनों को सामान देकर शुरू कराया कारोबार

दंगों के बाद से लगातार हिंसा प्रभावितों के लिए काम करने वाले संगठनों में जमात-ए-इस्लामी हिंद भी शामिल है. अब्दुल वाहिद ने बताया कि जमात की टीम अब तक 60 प्रोजेक्ट को पूरा किया है, जिसके तहत मकान, दुकान का निर्माण कराया गया. वहीं छोटे-मोटे काम करने वाले पीड़ितों को उनकी जरूरत का सामान दिलवाकर कारोबार शुरू कराया. उन्होंने कहा कि कई लोगों की बाइक, लैपटॉप जल गए थे. जिसकी वजह से उनका काम बंद हो गया. ऐसे 15 लोगों को बाइक और कई को लैपटॉप भी दिलाए गए.

'दोषियों को मिले सजा, बेकसूरों पर ना हो जुल्म'

अब्दुल वाहिद ने कहा कि दंगों के बाद इंक्वायरी के नाम पर जिस तरह से नौजवानों को पकड़ा गया. पीड़ितों को ही आरोपी बताकर जेल भेज दिया गया, उसी की वजह से सरकारी मुआवजा भी लोगों नहीं दिया गया. लोग इंसाफ के लिए भटकने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि दोषियों को सजा दिलाएं और किसी बेकसूर पर जुल्म ना हो.

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