नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में सेवा विभाग के सचिव पद से हटाए गए आईएएस अधिकारी आशीष मोरे बुधवार को विधानसभा की याचिका समिति के समक्ष पेश नहीं हुए. उन्होंने समिति से दो सप्ताह का समय मांगा, जिसे मंजूर कर लिया गया. अब मोरे अपना पक्ष दो सप्ताह बाद समिति के समक्ष रखेंगे.
आईएएस अधिकारी आशीष मोरे के खिलाफ भूमि हस्तांतरण में धोखाधड़ी के आरोपों के संबंध में एक याचिका की सुनवाई के बाद मंगलवार को विधानसभा की याचिका समिति ने समन था. गत वर्ष दिल्ली के झंगोला गांव में एक भूमि हस्तांतरण धोखाधड़ी के लिए पांच एसडीएम और एक एडीएम अजीत ठाकुर, हर्षित जैन, देवेंद्र शर्मा, पीसी ठाकुर, नागेंद्र त्रिपाठी, नितिन जिंदल को निलंबित कर दिया गया था.
यह लगा है आरोपः आरोप है कि आशीष मोरे ने उसी गांव में एक ही प्रकार की भूमि के हस्तांतरण के लिए उसी तरीके का इस्तेमाल किया. सरकार से संबंधित विस्थापित संपत्ति को अवैध रूप से हस्तांतरित किया गया और लोगों को भूमिधारी अधिकार दिए गए. आईएएस ने उत्तरी दिल्ली जिले के डीएम रहते हुए उन अपीलों का फैसला किया, जहां अवैध भूमि हस्तांतरण की गई थी.
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विधानसभा की याचिका समिति ने इस संबंध में फाइलें मांगीं थी, लेकिन सात दिन का समय बीत जाने के बाद भी फाइलें समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई. इस पर समिति ने बुधवार को दिल्ली के मुख्य सचिव, मंडलायुक्त आईएएस आशीष मोरे को तलब किया था. लेकिन उन्होंने समिति से दो सप्ताह का समय मांग लिया.
बता दें, गत माह दिल्ली सरकार में सर्विसेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के तुरंत बाद मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को हटाने का आदेश जारी किया था. इनकी जगह आईएएस अधिकारी एके सिंह को नियुक्त करने के प्रस्ताव को बाद में उपराज्यपाल ने मंजूरी दे दी थी.
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