नई दिल्ली: दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा गंभीर मुद्दा बना हुआ है. यहां कड़ी कानून व्यवस्था लागू होने के बाद भी रात को महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. बीते 6 महीने में दुष्कर्म, छेड़छाड़ समेत महिलाओं से जुड़े विभिन्न मामलों में रोजाना औसतन 27 आपराधिक घटनाएं सामने आई हैं. 'ETV भारत' ने दिल्ली की कुछ महिलाओं से जानने की कोशिश की, वो अपने आप को देश की राजधानी में कितना सुरक्षित महसूस करती है?
अपने पति के साथ शॉपिंग करने आई पूनम तरवानी ने बताया कि कई बार उनको ऑफिस से आने में देर हो जाती है, तो वह अपने पति को मेट्रो स्टेशन पर बुला लेती हैं. उनको रात में अकेले घर जाने में डर लगता है. उन्होंने कहा कि महिलाओं के संग बढ़ते आपराधिक मामलों के पीछे उनका ड्रेसिंग सेंस दोषी नहीं है, बल्कि लोगों की मानसिकता है. दिल्ली में कानून व्यवस्था ठीक होने के साथ लोगों को अपनी मानसिकता में सुधर लाने की जरुरत है.
ब्यूटीशियन आशिमा भारद्वाज ने बताया कि राजधानी में महिलाएं बिलकुल भी सुरक्षित नहीं हैं. दिल्ली में दो साल की बच्ची से लेकर 72 वर्ष की बुजुर्ग महिला के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं हुई है. इस तरह की घटना को रोकने के लिए निर्भया कानून बना, लेकिन उसको सही से लागू नहीं किया गया. उनकी मांग है कि दिल्ली में ऐसी कानून व्यवस्था लानी चाहिए, जिसमें आरोपी को जल्द सजा मिल सके. लोगों के अंदर कानून के प्रति डर पैदा करने की जरुरत है.
29 वर्षों से दिल्ली में रह रही मानसी दुआ ने बताया कि दिल्ली में महिलाएं और बच्चियां कोई भी सुरक्षित नहीं हैं. बात केवल बलात्कार या हिंसा की नहीं हैं बल्कि पुरुषों द्वारा गलत तरीके से देखने और भद्दी टिप्पणियां करने से महिलाओं के मन में भय आता है. वहीं, अपनी बेटी का अकेले लालन पालन करने वाली पूजा ने बताया कि दिल्ली में महिलाओं के प्रति कानून व्यवस्था बिलकुल ठीक नहीं हैं. आज भी रात को अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. यहां तक की वह अपनी बेटी को रात में अकेले कहीं भी नहीं जाने देती हैं.
दिल्ली महिला आयोग की रिपोर्ट: रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल में आयोग को 6,30,288 शिकायतें मिली. इसमें से 92,004 शिकायत पर मामले दर्ज किए गए हैं. दिल्ली महिला आयोग के चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि दिल्ली रेप कैपिटल बन गया है. जबसे DCW की अध्यक्ष बनी हैं, कई बार केंद्र सरकार से मांग की है कि दिल्ली पुलिस की जवाबदेही तय की जाए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली पुलिस सीधे रिपोर्ट करती है.
राजधानी में महिलाओं के खिलाफ हिंसक घटनाएं बढ़ रही है, लेकिन इसके रोक थाम के लिए एक भी बैठक नहीं की जाती है. महिला संबंधी हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन किया जाए. इस कमेटी में गृहमंत्री अमित शाह, दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली महिला आयोग शामिल किया जाना चाहिए. महीने में एक बार महिला संबंधी मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए.
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