नई दिल्ली: पेंटिंग-ड्रॉइंग हर किसी को पसंद होती है. यहां तक कि बच्चों का मनपसंद विषय भी पेंटिंग और ड्रॉइंग होता है. ऐसे में पेंटिंग-ड्रॉइंग के शौकीन उसे अपना व्यवसाय भी बना लेते हैं. जिससे शौक के साथ कैरियर भी पूरा हो जाता है.
पेंटिंग-ड्रॉइंग को एक करियर के रूप में चुनना कितना सही है और कितना गलत. इस बात को लेकर ईटीवी भारत ने पेंटर जतिन चौधरी से बात की.
जतिन ने बताया कि पहले पेंटिंग करना उनका शौक था. जिसे धीरे-धीरे उन्होंने अपना व्यवसाय बना लिया. जिससे ना सिर्फ वो अपने व्यवसाय से खुश हैं बल्कि उन्हें काम करने में मजा आता है. और इससे वो अच्छा खासा कमा भी लेते हैं.
'पेंटिंग-ड्रॉइंग एक कला'
जतिन चौधरी ने बताया की पेंटिंग एक आर्ट है. पेंटर या आर्टिस्ट अपने स्वभाव के अनुसार ही पेंटिंग करता है. यानी कि अपनी कला को अपने व्यवहार को वो पेंटिंग में उतारने की कोशिश करता है.
हर पेंटर की अलग-अलग पेंटिंग होती हैं. कोई प्राकृतिक चीजों को लेकर पेंटिंग बनाता है तो जीवित मनुष्य पर तो कोई रंगों की सुंदरता को पेंटिंग में उतारने की कोशिश करता है.
चित्रकार जतिन चौधरी का कहना था कि जब एक पेंटर खूबसूरत रंगों से पेंटिंग तैयार करता है तो वह एक कला है. जब कोई एक्टर अपनी एक्टिंग से एक सुंदर प्ले तैयार करता है. वह भी एक कला है. यानी कि इस संसार में किसी भी चीज को सुंदर तरीके से लोगों के सामने पेश करना एक कला होती है. वहीं लोगों को पसंद आती है.
'डिजिटल वर्ल्ड के पीछे भाग रहे है लोग'
जतिन चौधरी ने बताया कि आज के डिजिटल वर्ल्ड में लोग मोबाइल, फोन, कंप्यूटर में व्यस्त होते हैं. इसके कारण कई बीमारियों के शिकार भी हो जाते हैं.
इस बारे में अपनी राय व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पहले के समय में जब किसी व्यक्ति को सुकून चाहिए होता था तो वह किसी ना किसी कला को समय देता था. पेंटिंग करता था. गाना गाता था या गाना सुनता था. लेकिन आज हर एक व्यक्ति फोन में या कंप्यूटर में अपना समय देता है.