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दिल्ली में भूकंपः रेड जोन में आती है राजधानी, विशेषज्ञ जता चुके अनहोनी की आशंका - भूकंप से बचाव

दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में शुक्रवार रात में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान बताया गया है और इसकी तीव्रता 6.3 आंकी गई है.

earthquake in delhi
दिल्ली में भूकंप
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Published : Feb 13, 2021, 9:37 AM IST

Updated : Feb 13, 2021, 1:41 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में शुक्रवार रात में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान बताया गया है और इसकी तीव्रता 6.3 आंकी गई है.

भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में था जो जमीन से 74 किलोमीटर नीचे था. शुक्रवार रात करीब साढ़े 10 बजे आए इस भूकंप ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों के मन में डर बैठा दिया और भय के कारण लोग घर से बाहर निकल गए. हालांकि प्रकृति के इस आपदा से दिल्ली में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है.

भूकंप को लेकर रेड जोन में आती है राजधानी

राजधानी में कई बार आ चुके कम तीव्रता वाले भूकंप

भूकंप से एक बार फिर दिल्ली पर मंडरा रहे खतरे पर चिंताएं बढ़ गई हैं. रात 10 बजकर 36 मिनट पर आए इस भूकंप का केंद्र दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर ताजिकिस्तान में था. जमीन से 74 किलोमीटर नीचे और दिल्ली से बहुत दूर होने के चलते भूकंप का असर इतना प्रभावशाली नहीं रहा.

हालांकि जानकार अब भी दिल्ली पर मंडरा रहे संकट के लिए सतर्क रहने को कह रहे हैं. खबरों के अनुसार पिछले एक साल में दिल्ली-एनसीआर में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. हर बार भूकंप का केंद्र दिल्ली के आस-पास ही था. कुछ ही दिन पहले भी दिल्ली में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे.

यह भी पढ़ेंः-दिल्ली में भूकंप रोकने के उपायों पर अमल न करने के खिलाफ सुनवाई आज

सीएम ने सलामती की कामना की

राज्य में आए भूकंप के बाद दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एएनआई के हवाले से कहा, दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए. सीएम ने लोगों की सलामती की कामना भी की.

खतरनाक जोन में आती है दिल्ली

दरअसल राजधानी दिल्ली पहले ही खतरे के हिसाब से दूसरे सबसे खतरनाक जोन 4 (सीवियर इंटेंसिटी जोन) में आता है. दिल्ली के पूर्वी इलाके में कई सरकारी और निजी एजेंसियां खतरे की आशंकाएं जता चुकी हैं. ऐसे में भूकंप की संभावनाओं को दरकिनार कर बिना किसी जांच और भूकंपरोधी तकनीक के हो रहा विकास भूकंप की आशंकाओ को और बल दे देता है.

यह भी पढ़ेंः-दिल्ली भूकंप: डोलती धरती दे रही राजधानी में तबाही का संकेत

यमुना की रेतीली जमीन सुरक्षित नहीं

जानकारों का कहना है कि दिल्ली जोन 4 में आती है जो पहले ही भूकंप के लिए खतरनाक है. ऐसे में यमुना की रेतीली जमीन पर बसे हुए इलाके हाई राइज बिल्डिंग्स के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं है लेकिन यहां धड़ल्ले से इनका निर्माण हो रहा है.

जॉन विभाजन के नाम पर पहले ही दिल्ली मैं काम कर रही एजेंसीयां सवालों के घेरे में रहती है. अगर दिल्ली में एक बड़ी तीव्रता का भूकंप आ जाता है तो तबाही किस हद तक हो सकती है अंदाजा ही लगाया जा सकता है.

आने वाली पीढ़ियों पर मंडरा रहा खतरा..!

कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट में भारत के मशहूर डॉ. हर्ष गुप्ता ने भारत के 344 शहरों और नगरों को भूकंप के लिहाज से हाई रिस्क जोन 5 में बताया था. हिमालय से लेकर आर्कटिक तक फैली इंडियन प्लेट में अगर टकराव होता है तो जाहिर है कि दिल्ली समेत भारत के कई अन्य राज्य अधिक तीव्रता वाले भूकंप से प्रभावित हो सकते हैं.

ऐसे में लाखों लोगों की तो जान जाएगी ही साथ ही आने वाली पीढ़ियों को इसको कितना नुकसान होगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.

यह भी पढ़ेंः-भूकंप के ख़िलाफ़ तैयारी, आवासीय परिसरों को कराना होगा स्ट्रक्चर ऑडिट

भूकंप आने की क्या होती है वजह...

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है. इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग भी भूकंप की वजहें होती हैं.

जानें केंद्र और तीव्रता का मतलब..?

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है, तो 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है कंपन भी कम होते जाते हैं.

भूकंप आने पर ऐसे करें बचाव

अगर भूकंप के वक्त आप घर में हो तो फर्श पर बैठ जाएं. घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें. झटके आने तक घर में रहें और कंपन रुकने के बाद ही बाहर निकलें. अगर रात में भूकंप आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें.

अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढंक लें. अगर आपके पास कुछ ना हो तो जोर-जोर से चिल्लाते रहें ताकि आवाज सुनकर लोग मदद के लिए आ जाए.

भूकंप आने पर ये काम न करें

विशेषज्ञों के अनुसार भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हो तो ऊंची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें. अगर गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें. किसी पुल या फ्लाइओवर पर गाड़ी खड़ी ना करें. अगर आप मलबे में दब जाएं तो माचिस ना जलाएं.

कांच, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों से दूर रहें. लिफ्ट के इस्तेमाल से बचें.

नई दिल्लीः दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में शुक्रवार रात में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान बताया गया है और इसकी तीव्रता 6.3 आंकी गई है.

भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में था जो जमीन से 74 किलोमीटर नीचे था. शुक्रवार रात करीब साढ़े 10 बजे आए इस भूकंप ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों के मन में डर बैठा दिया और भय के कारण लोग घर से बाहर निकल गए. हालांकि प्रकृति के इस आपदा से दिल्ली में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है.

भूकंप को लेकर रेड जोन में आती है राजधानी

राजधानी में कई बार आ चुके कम तीव्रता वाले भूकंप

भूकंप से एक बार फिर दिल्ली पर मंडरा रहे खतरे पर चिंताएं बढ़ गई हैं. रात 10 बजकर 36 मिनट पर आए इस भूकंप का केंद्र दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर ताजिकिस्तान में था. जमीन से 74 किलोमीटर नीचे और दिल्ली से बहुत दूर होने के चलते भूकंप का असर इतना प्रभावशाली नहीं रहा.

हालांकि जानकार अब भी दिल्ली पर मंडरा रहे संकट के लिए सतर्क रहने को कह रहे हैं. खबरों के अनुसार पिछले एक साल में दिल्ली-एनसीआर में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. हर बार भूकंप का केंद्र दिल्ली के आस-पास ही था. कुछ ही दिन पहले भी दिल्ली में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे.

यह भी पढ़ेंः-दिल्ली में भूकंप रोकने के उपायों पर अमल न करने के खिलाफ सुनवाई आज

सीएम ने सलामती की कामना की

राज्य में आए भूकंप के बाद दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एएनआई के हवाले से कहा, दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए. सीएम ने लोगों की सलामती की कामना भी की.

खतरनाक जोन में आती है दिल्ली

दरअसल राजधानी दिल्ली पहले ही खतरे के हिसाब से दूसरे सबसे खतरनाक जोन 4 (सीवियर इंटेंसिटी जोन) में आता है. दिल्ली के पूर्वी इलाके में कई सरकारी और निजी एजेंसियां खतरे की आशंकाएं जता चुकी हैं. ऐसे में भूकंप की संभावनाओं को दरकिनार कर बिना किसी जांच और भूकंपरोधी तकनीक के हो रहा विकास भूकंप की आशंकाओ को और बल दे देता है.

यह भी पढ़ेंः-दिल्ली भूकंप: डोलती धरती दे रही राजधानी में तबाही का संकेत

यमुना की रेतीली जमीन सुरक्षित नहीं

जानकारों का कहना है कि दिल्ली जोन 4 में आती है जो पहले ही भूकंप के लिए खतरनाक है. ऐसे में यमुना की रेतीली जमीन पर बसे हुए इलाके हाई राइज बिल्डिंग्स के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं है लेकिन यहां धड़ल्ले से इनका निर्माण हो रहा है.

जॉन विभाजन के नाम पर पहले ही दिल्ली मैं काम कर रही एजेंसीयां सवालों के घेरे में रहती है. अगर दिल्ली में एक बड़ी तीव्रता का भूकंप आ जाता है तो तबाही किस हद तक हो सकती है अंदाजा ही लगाया जा सकता है.

आने वाली पीढ़ियों पर मंडरा रहा खतरा..!

कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट में भारत के मशहूर डॉ. हर्ष गुप्ता ने भारत के 344 शहरों और नगरों को भूकंप के लिहाज से हाई रिस्क जोन 5 में बताया था. हिमालय से लेकर आर्कटिक तक फैली इंडियन प्लेट में अगर टकराव होता है तो जाहिर है कि दिल्ली समेत भारत के कई अन्य राज्य अधिक तीव्रता वाले भूकंप से प्रभावित हो सकते हैं.

ऐसे में लाखों लोगों की तो जान जाएगी ही साथ ही आने वाली पीढ़ियों को इसको कितना नुकसान होगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.

यह भी पढ़ेंः-भूकंप के ख़िलाफ़ तैयारी, आवासीय परिसरों को कराना होगा स्ट्रक्चर ऑडिट

भूकंप आने की क्या होती है वजह...

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है. इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग भी भूकंप की वजहें होती हैं.

जानें केंद्र और तीव्रता का मतलब..?

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है, तो 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है कंपन भी कम होते जाते हैं.

भूकंप आने पर ऐसे करें बचाव

अगर भूकंप के वक्त आप घर में हो तो फर्श पर बैठ जाएं. घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें. झटके आने तक घर में रहें और कंपन रुकने के बाद ही बाहर निकलें. अगर रात में भूकंप आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें.

अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढंक लें. अगर आपके पास कुछ ना हो तो जोर-जोर से चिल्लाते रहें ताकि आवाज सुनकर लोग मदद के लिए आ जाए.

भूकंप आने पर ये काम न करें

विशेषज्ञों के अनुसार भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हो तो ऊंची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें. अगर गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें. किसी पुल या फ्लाइओवर पर गाड़ी खड़ी ना करें. अगर आप मलबे में दब जाएं तो माचिस ना जलाएं.

कांच, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों से दूर रहें. लिफ्ट के इस्तेमाल से बचें.

Last Updated : Feb 13, 2021, 1:41 PM IST
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