नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार के तीसरे कार्यकाल को एक साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में बीते एक साल के दौरान दिल्ली के निम्न और मध्यम वर्ग परिवारों पर क्या कुछ असर पड़ा? दिल्ली पिछले एक साल में कितनी महंगी और कितनी सस्ती हुई यह जानना बेहद आवश्यक है. इसके लिए ईटीवी भारत की टीम कालकाजी विधानसभा और ग्रेटर कैलाश विधानसभा पहुंची और यहां पर अलग-अलग परिवारों से बात की.
'हमने अपने विधायक को एक साल से नहीं देखा'
कालकाजी विधानसभा के गिरी नगर इलाके में रहने वाले निम्न वर्गीय परिवारों ने कहा पिछले एक साल में महंगाई ज्यादा बढ़ गई है, जिसका असर हम लोगों पर पड़ा है. महिला उमा देवी ने कहा कि कालकाजी विधानसभा से आतिशी विधायक हैं, लेकिन पिछले एक साल के दौरान हमने उन्हें अपने इलाके में नहीं देखा है और न ही लॉकडाउन के दौरान हमारे मोहल्ले में किसी प्रकार से कोई सैनिटाइजेशन कराया गया है. कई लोग संक्रमित भी हुए थे, लेकिन फिर भी सैनिटाइजेशन नहीं कराया गया.
'शिक्षा, बिजली, पानी में हुआ बेहतर काम'
अन्य व्यक्ति शिव प्रकाश कोइराला ने कहा बिजली-पानी और शिक्षा को लेकर सरकार ने पिछले एक साल में बेहतर काम किए हैं. पहले जहां लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ता था, लेकिन अब हर एक घर को पर्याप्त पानी मिल रहा है. हर घर में नल है. बिजली भी मुफ्त है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भले ही सरकार ने मुफ्त राशन और खाना लोगों में बंटवाया हो, लेकिन अब लगातार रोजमर्रा की चीजें महंगी हो रही हैं. दाल, सब्जी, तेल आदि के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. तेल के दामों में बड़ा इजाफा हुआ है. इसके साथ ही गैस सिलेंडर के दाम भी 720 रुपये तक पहुंच गए हैं. जिसके चलते हम निम्न वर्गीय परिवारों पर महंगाई की मार पड़ रही है.
'दिल्ली में पानी फ्री नहीं होना चाहिए'
लोगों का कहना है कि सरकार भले ही बिजली, पानी, महिलाओं के लिए बस यात्रा समेत तमाम चीजें फ्री कर रही है, लेकिन नौकरी आज भी लोगों के पास नहीं है. दिल्ली सरकार ने नौकरी को लेकर कुछ खास काम नहीं किए हैं. लोग आज भी बेरोजगार हैं और आर्थिक रूप से परेशानियां झेल रहे हैं. वहीं आप प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज की विधानसभा ग्रेटर कैलाश के लोग भी पिछले एक साल के दौरान केजरीवाल सरकार के कामों से कुछ खासा संतुष्ट नजर नहीं आए. ग्रेटर कैलाश पार्ट 2 के नीलगिरी अपार्टमेंट में रहने वाले प्रदीप पुरी ने कहा कि जो सरकार ने पानी का बिल हर किसी के लिए फ्री किया हुआ है. वह नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि कई ऐसे लोग हैं जो महीने में सात से आठ हजार तो अन्य चीजों में खर्च कर देते हैं. ऐसे में पांच सौ से छह सौ रुपए पानी का बिल अगर वह भरेंगे तो इससे कोई नुकसान नहीं होगा. इसीलिए पानी का बिल हर किसी के लिए फ्री नहीं होना चाहिए. इसकी जगह सरकार को चाहिए कि वह निम्न वर्ग के लोगों को ज्यादा सहायता और जरूरत की चीजें पहुंचाए.
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'सरकार को स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत'
नगरी अपार्टमेंट में रहने वाली डॉ. सुरभि कक्कड़ ने कहा कि हमारी सभी सरकारों को स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि आज भी कई लोग इलाज के अभाव में अपनी जान गंवा रहे हैं. मौजूदा समय में हमने देखा कि कोरोना के चलते किस प्रकार से लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ा. हालांकि दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे किए. कई अस्पतालों को कोरोना स्पेशल अस्पताल भी घोषित किया गया. बावजूद इसके हर किसी को बेहतर इलाज नहीं मिल सका.