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बेघर मानसिक रोगियों को घर वाले लोगों से कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा: इहबास - बेघर मानसिक रोगी

इहबास ने कहा कि मानसिक रुप से बीमार बेघर लोगों को कोरोना के संक्रमण का खतरा उन लोगों से ज्यादा है जिनके सर पर छत है.

Homeless mental patients
बेघर मानसिक रोगियों को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
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Published : Jul 9, 2020, 4:53 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहदरा स्थित मानसिक आरोग्यशाला इहबास ने कहा है कि मानसिक रुप से बीमार और बेघर लोग कोरोना टेस्ट कराने से लेकर दूसरी चिकित्सा के हकदार हैं. इहबास ने कहा कि मानसिक रुप से बीमार बेघर लोगों को कोरोना के संक्रमण का खतरा उन लोगों से ज्यादा है जिनके सर पर छत है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने आईसीएमआर को 24 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान इहबास ने कहा कि उसके अस्पताल ने बेघर मानसिक लोगों का दूसरे अस्पतालों से ज्यादा इलाज किया है.

बेघर मानसिक रोगियों को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
आईसीएमआर के दिशानिर्देश सबसे बड़ी बाधा

इहबास ने कहा कि बेघर मानसिक लोगों के इलाज में सबसे बड़ी बाधा उनका फोटो पहचान पत्र या वैध मोबाइल नंबर नहीं होना है. इहबास ने कहा कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के मुताबिक फोटो पहचान पत्र या वैध मोबाइल नंबर का होना अनिवार्य है. इहबास ने कहा कि मानसिक रुप से बीमार लोगों के साथ साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में परेशानी होती है जिसकी वजह से उन्हें इलाज के लिए भर्ती करना चुनौती भरा काम है.


आईसीएमआर से कोर्ट नाराज

इहबास की इस दलील के बाद कोर्ट ने आईसीएमआर ने नाराजगी जताई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव कुमार बंसल ने कहा कि आईसीएमआर के हलफनामे में साफ है कि वे बेघर मानसिक रुप से बीमार लोगों का इलाज करने में विफल हैं. उसके बाद कोर्ट ने आईसीएमआर को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.


दिल्ली सरकार के पास रखी थी अपनी बात

पिछले 25 जून को हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका वकील गौरव बंसल ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में मानसिक रुप से बीमार और बेघर लोगों का कोरोना टेस्ट करने के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं जारी किया गया है. याचिकाकर्ता ने इसके पहले भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने पिछले 9 जून को दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस याचिका पर विचार करें. उसके बाद उन्होंने 13 जून को दिल्ली सरकार के समक्ष अपनी बातें रखी थीं लेकिन दिल्ली सरकार ने इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई.



बीमार लोगों की देखभाल करना दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी

याचिका में कहा गया है कि मानसिक रुप से बीमार लोग समाज में तिरस्कृत हैं. इस समुदाय को समाज और सरकार के सहयोग की आवश्यकता है. कोरोना के वर्तमान संकट में सरकार को भी मानसिक रुप से बीमार और बेघर लोगों को बचाने के लिए योजना बनाकर उसे लागू करना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि मेंटल हेल्थकेयर एक्ट की धारा 3(3) के मुताबिक मानसिक रुप से बीमार लोगों की देखभाल करना दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है.

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहदरा स्थित मानसिक आरोग्यशाला इहबास ने कहा है कि मानसिक रुप से बीमार और बेघर लोग कोरोना टेस्ट कराने से लेकर दूसरी चिकित्सा के हकदार हैं. इहबास ने कहा कि मानसिक रुप से बीमार बेघर लोगों को कोरोना के संक्रमण का खतरा उन लोगों से ज्यादा है जिनके सर पर छत है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने आईसीएमआर को 24 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान इहबास ने कहा कि उसके अस्पताल ने बेघर मानसिक लोगों का दूसरे अस्पतालों से ज्यादा इलाज किया है.

बेघर मानसिक रोगियों को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
आईसीएमआर के दिशानिर्देश सबसे बड़ी बाधा

इहबास ने कहा कि बेघर मानसिक लोगों के इलाज में सबसे बड़ी बाधा उनका फोटो पहचान पत्र या वैध मोबाइल नंबर नहीं होना है. इहबास ने कहा कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के मुताबिक फोटो पहचान पत्र या वैध मोबाइल नंबर का होना अनिवार्य है. इहबास ने कहा कि मानसिक रुप से बीमार लोगों के साथ साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में परेशानी होती है जिसकी वजह से उन्हें इलाज के लिए भर्ती करना चुनौती भरा काम है.


आईसीएमआर से कोर्ट नाराज

इहबास की इस दलील के बाद कोर्ट ने आईसीएमआर ने नाराजगी जताई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव कुमार बंसल ने कहा कि आईसीएमआर के हलफनामे में साफ है कि वे बेघर मानसिक रुप से बीमार लोगों का इलाज करने में विफल हैं. उसके बाद कोर्ट ने आईसीएमआर को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.


दिल्ली सरकार के पास रखी थी अपनी बात

पिछले 25 जून को हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका वकील गौरव बंसल ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में मानसिक रुप से बीमार और बेघर लोगों का कोरोना टेस्ट करने के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं जारी किया गया है. याचिकाकर्ता ने इसके पहले भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने पिछले 9 जून को दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस याचिका पर विचार करें. उसके बाद उन्होंने 13 जून को दिल्ली सरकार के समक्ष अपनी बातें रखी थीं लेकिन दिल्ली सरकार ने इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई.



बीमार लोगों की देखभाल करना दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी

याचिका में कहा गया है कि मानसिक रुप से बीमार लोग समाज में तिरस्कृत हैं. इस समुदाय को समाज और सरकार के सहयोग की आवश्यकता है. कोरोना के वर्तमान संकट में सरकार को भी मानसिक रुप से बीमार और बेघर लोगों को बचाने के लिए योजना बनाकर उसे लागू करना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि मेंटल हेल्थकेयर एक्ट की धारा 3(3) के मुताबिक मानसिक रुप से बीमार लोगों की देखभाल करना दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है.

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