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Hindi Diwas 2021: 'तकनीक के दौर में निरंतर बढ़ रही हिंदी भाषा, अभी और काम करने की जरूरत'

14 सितंबर यानी आज हिंदी दिवस है. आज ही के दिन 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला था. बाद में इस दिन के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने इसे हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया और 14 सितंबर 1953 को पहला हिंदी दिवस मनाया गया.

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तकनीक के दौर में निरंतर बढ़ रही हिंदी
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Published : Sep 14, 2021, 7:55 AM IST

Updated : Sep 14, 2021, 9:33 AM IST

नई दिल्ली: आज हिंदी दिवस है. हिंदी दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों को इस बात से रूबरू करना है कि जब तक वे पूरी तरह से हिंदी का उपयोग नहीं करेंगे तब तक हिंदी का विकास नहीं हो सकता. लेकिन आज इस बदलते वक्त में हिंदी तकनीक से कमदताल कर रही है.

बदलते वक्त और तकनीक के दौर में हिंदी किस तरीके से तकनीक के साथ कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ रही है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने बालेंदु शर्मा दाधीच, निदेशक, भारतीय भाषा, माइक्रोसॉफ्ट से खासबात की. बातचीत में उन्होंने बताया कि सामान्य कामकाज में तकनीक का प्रयोग कोई बाधा नहीं है. बल्कि हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए तकनीक का प्रयोग करें यह आज की जरूरत है और इस दिशा में अभी और काम किया जाना बाकी है.

तकनीक के दौर में निरंतर बढ़ रही हिंदी.

ये भी पढ़ें: हिंदी दिवस : भाषाई एकरूपता पर राजनीतिक टकराव और असंतोष नया नहीं

वहीं बालेंदु शर्मा दाधीच ने कहा कि पिछले दो दशक से हिंदी और टेक्नोलॉजी के अंतर संबंध और मजबूत हुए हैं. उन्होंने कहा कि हिंदी में काम करने के लिए व्यक्ति को टेक्नोलॉजी की वजह से कोई विशेष रुकावट नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से अंग्रेजी या कोई अन्य विदेशी भाषा बोलने वाला व्यक्ति कंप्यूटर या मोबाइल पर आसानी से काम कर रहा है उसी तरह से आज हिंदी बोलने वाला व्यक्ति भी आसानी से काम कर पा रहा है. बालेंदु ने कहा कि भाषा को लेकर जितनी भी आवश्यकता है वह लगभग पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि जितना भी सुविधा भारतीय भाषा और हिंदी को लेकर है लोगों में उसे लेकर जागरूकता कमी है.

ये भी पढ़ें: Hindi Diwas 2021: 'हिंदी को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना अभी पूरा नहीं हुआ'

वहीं उन्होंने इसे लेकर कई सवाल भी उठाये और कहा कि जितनी भी आधुनिक सुविधाएं आई है उसका प्रयोग करते हुए क्या हम अपने कामकाज को बेहतर बना पाए हैं इसपर हमें सोचने की जरूरत है. साथ ही कहा कि क्या जितना बदलाव तकनीकि में हुआ है उसके जरिए स्किल को मजबूत कर पाए हैं या नहीं. वहीं उन्होंने कहा कि तकनीक तो आ गई है लेकिन क्या हम उस तकनीक का उपयोग करते हुए समाज या देश को कुछ नया दे रहे हैं. बढ़ती सुविधाओं का प्रयोग करते हुए क्या स्टार्टअप लेकर आ रहे हैं. सुविधाओं का उपयोग करते हुए समाज, हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं को कुछ दे पा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि क्या तकनीक के जरिए रोजगार पैदा कर पा रहे हैं या नहीं. शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के जरिए क्या युवाओं के भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: जानें क्यों 14 सितंबर को ही मनाया जाता है यह दिवस

वहीं बालेंदु शर्मा दाधीच ने कहा कि टेक्नोलॉजी तो केवल एक वाहन है जिस पर बैठकर हम चल रहे हैं, मुख्य बात यह है कि जिस लक्ष्य को हम प्राप्त करना चाह रहे हैं क्या वह हासिल हो रहा है या नहीं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन सभी बातों पर अभी और सोचने की जरूरत है. सामान्य कामकाज में तकनीक का प्रयोग करना कोई बाधा शेष नहीं है, लेकिन हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए तकनीक का प्रयोग करें यह आज की जरूरत है और इस दिशा में अभी और काम किया जाना बाकी है जो कि निरंतर होते रहना चाहिए.

नई दिल्ली: आज हिंदी दिवस है. हिंदी दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों को इस बात से रूबरू करना है कि जब तक वे पूरी तरह से हिंदी का उपयोग नहीं करेंगे तब तक हिंदी का विकास नहीं हो सकता. लेकिन आज इस बदलते वक्त में हिंदी तकनीक से कमदताल कर रही है.

बदलते वक्त और तकनीक के दौर में हिंदी किस तरीके से तकनीक के साथ कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ रही है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने बालेंदु शर्मा दाधीच, निदेशक, भारतीय भाषा, माइक्रोसॉफ्ट से खासबात की. बातचीत में उन्होंने बताया कि सामान्य कामकाज में तकनीक का प्रयोग कोई बाधा नहीं है. बल्कि हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए तकनीक का प्रयोग करें यह आज की जरूरत है और इस दिशा में अभी और काम किया जाना बाकी है.

तकनीक के दौर में निरंतर बढ़ रही हिंदी.

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वहीं बालेंदु शर्मा दाधीच ने कहा कि पिछले दो दशक से हिंदी और टेक्नोलॉजी के अंतर संबंध और मजबूत हुए हैं. उन्होंने कहा कि हिंदी में काम करने के लिए व्यक्ति को टेक्नोलॉजी की वजह से कोई विशेष रुकावट नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से अंग्रेजी या कोई अन्य विदेशी भाषा बोलने वाला व्यक्ति कंप्यूटर या मोबाइल पर आसानी से काम कर रहा है उसी तरह से आज हिंदी बोलने वाला व्यक्ति भी आसानी से काम कर पा रहा है. बालेंदु ने कहा कि भाषा को लेकर जितनी भी आवश्यकता है वह लगभग पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि जितना भी सुविधा भारतीय भाषा और हिंदी को लेकर है लोगों में उसे लेकर जागरूकता कमी है.

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वहीं उन्होंने इसे लेकर कई सवाल भी उठाये और कहा कि जितनी भी आधुनिक सुविधाएं आई है उसका प्रयोग करते हुए क्या हम अपने कामकाज को बेहतर बना पाए हैं इसपर हमें सोचने की जरूरत है. साथ ही कहा कि क्या जितना बदलाव तकनीकि में हुआ है उसके जरिए स्किल को मजबूत कर पाए हैं या नहीं. वहीं उन्होंने कहा कि तकनीक तो आ गई है लेकिन क्या हम उस तकनीक का उपयोग करते हुए समाज या देश को कुछ नया दे रहे हैं. बढ़ती सुविधाओं का प्रयोग करते हुए क्या स्टार्टअप लेकर आ रहे हैं. सुविधाओं का उपयोग करते हुए समाज, हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं को कुछ दे पा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि क्या तकनीक के जरिए रोजगार पैदा कर पा रहे हैं या नहीं. शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के जरिए क्या युवाओं के भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर पा रहे हैं.

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वहीं बालेंदु शर्मा दाधीच ने कहा कि टेक्नोलॉजी तो केवल एक वाहन है जिस पर बैठकर हम चल रहे हैं, मुख्य बात यह है कि जिस लक्ष्य को हम प्राप्त करना चाह रहे हैं क्या वह हासिल हो रहा है या नहीं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन सभी बातों पर अभी और सोचने की जरूरत है. सामान्य कामकाज में तकनीक का प्रयोग करना कोई बाधा शेष नहीं है, लेकिन हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए तकनीक का प्रयोग करें यह आज की जरूरत है और इस दिशा में अभी और काम किया जाना बाकी है जो कि निरंतर होते रहना चाहिए.

Last Updated : Sep 14, 2021, 9:33 AM IST
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