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दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो अपने पदों पर बने रहेंगे, हाईकोर्ट ने एलजी के आदेश पर लगाई रोक - issue of fellowship removal

Delhi Assembly Research Fellows will continue to hold their posts: दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो को हटाने के दिल्ली एलजी के आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. बीते 5 जुलाई को एलजी ने यह आदेश जारी किया था जिसके खिलाफ 19 फेलो ने हाईकोर्ट ने याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 21, 2023, 10:57 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो को हटाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दिया. हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो अपने पदों पर बने रहेंगे. उन्हें स्टाइपेंड राशि दी जाएगी. अदालत ने फेलो की याचिका पर दिल्ली विधानसभा सचिवालय, सर्विसेज और वित्त विभाग को दो सप्ताह के भीतर पक्ष रखने का आदेश दिया है.

क्या था मामला: 5 जुलाई को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो के अनुबंध समाप्त कर दिए गए थे. इसके बाद 17 फेलो ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया है कि दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो के रूप में लगे प्रोफेशनल अपने पदों पर बने रहेंगे.

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से साफ हो जाता है कि एलजी मनमाने तरीके से शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं. एलजी के पास कर्मचारियों को हटाने का अधिकार नहीं था. वह लगातार गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं. उनका काम दिल्ली सरकार को लंगड़ा बनाने के लिए हर दिन नए तरीके ढूंढना है, ताकि दिल्ली के लोगों को परेशानी हो. AAP ने कहा कि कुछ चुनिंदा अधिकारी और उपराज्यपाल मिलकर दिल्ली के जनहित के काम रोकने में लगे हैं.

एलजी ने किया मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि उनके स्टाइपेंड का भुगतान न करना और उनकी सेवाओं को बंद करना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह शक्ति का दुरुपयोग है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर में कार्यरत थे, जो विधान सभा और अध्यक्ष के तत्वावधान में कार्य करता है. सेवा और वित्त विभाग द्वारा हस्तक्षेप शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन था. उनकी सेवाओं को इस तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है. दिल्ली विधान सभा के साथ-साथ सरकार, याचिकाकर्ताओं को उनकी सेवा की शर्तों के अनुसार नियुक्त करने के वादे से बंधी हैं.

फेलोशिप की नियुक्ति रद्द करना सदन की अवमानना: दिल्ली उपराज्यपाल द्वारा विधानसभा के फेलोशिप हटाए जाने का मुद्दा सदन में भी उठाया गया था. आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा था कि आनन-फानन में फेलोशिप की नियुक्ति को रद्द करना सदन की अवमानना है. चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक ने कुछ आंकड़े भी पेश किए और कहा कि फेलोशिप के लिए 2900 लोगों ने आवेदन किया था. दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने आवेदकों के इंटरव्यू लिए जो रिसर्च फेलो थे. देश विदेश की यूनिवर्सिटी से पढ़कर आए लोगों को नियुक्ति की गई. फेलो को विधायकों और मंत्री के साथ अटैच किया गया था. संजीव झा ने कहा था कि फेलोशिप नियुक्ति को रद्द करना विधानसभा के कामकाज में अड़ंगा डालने और बदनाम करने का मामला है.

ये भी पढ़ें: G20 Summit के आयोजन से दिल्लीवालों को मिली कई सौगातें, 'भारत मंडपम' से लेकर 'इंटीग्रेटेड टनल तक, जानें लाभ

एलजी को पत्र लिखकर जताई थी आपत्ति: दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने दिल्ली एलजी को पत्र लिखकर मामले को लेकर आपत्ति जताई थी. राम निवास गोयल ने 7 जुलाई,2023 को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली विधानसभा के लिए फेलोशिप बंद करने का कोई कारण नहीं है. दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर के फेलो के खिलाफ की गई कोई भी कार्रवाई दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर ( डीएआरसी ) के विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना माना जा सकता है. गोयल ने यह भी तर्क दिया कि कार्यक्रम सेवाओं के दायरे में नहीं आता है. उन्होंने कहा, "कार्यक्रम अपने आप में कोई नियुक्ति या रोजगार नहीं है और सेवाओं के दायरे में नहीं आता है.

ये भी पढ़ें: सौरभ भारद्वाज का उपराज्यपाल पर हमला, कहा- दिल्लीवालों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित नहीं एलजी

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो को हटाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दिया. हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो अपने पदों पर बने रहेंगे. उन्हें स्टाइपेंड राशि दी जाएगी. अदालत ने फेलो की याचिका पर दिल्ली विधानसभा सचिवालय, सर्विसेज और वित्त विभाग को दो सप्ताह के भीतर पक्ष रखने का आदेश दिया है.

क्या था मामला: 5 जुलाई को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो के अनुबंध समाप्त कर दिए गए थे. इसके बाद 17 फेलो ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया है कि दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो के रूप में लगे प्रोफेशनल अपने पदों पर बने रहेंगे.

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से साफ हो जाता है कि एलजी मनमाने तरीके से शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं. एलजी के पास कर्मचारियों को हटाने का अधिकार नहीं था. वह लगातार गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं. उनका काम दिल्ली सरकार को लंगड़ा बनाने के लिए हर दिन नए तरीके ढूंढना है, ताकि दिल्ली के लोगों को परेशानी हो. AAP ने कहा कि कुछ चुनिंदा अधिकारी और उपराज्यपाल मिलकर दिल्ली के जनहित के काम रोकने में लगे हैं.

एलजी ने किया मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि उनके स्टाइपेंड का भुगतान न करना और उनकी सेवाओं को बंद करना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह शक्ति का दुरुपयोग है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर में कार्यरत थे, जो विधान सभा और अध्यक्ष के तत्वावधान में कार्य करता है. सेवा और वित्त विभाग द्वारा हस्तक्षेप शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन था. उनकी सेवाओं को इस तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है. दिल्ली विधान सभा के साथ-साथ सरकार, याचिकाकर्ताओं को उनकी सेवा की शर्तों के अनुसार नियुक्त करने के वादे से बंधी हैं.

फेलोशिप की नियुक्ति रद्द करना सदन की अवमानना: दिल्ली उपराज्यपाल द्वारा विधानसभा के फेलोशिप हटाए जाने का मुद्दा सदन में भी उठाया गया था. आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा था कि आनन-फानन में फेलोशिप की नियुक्ति को रद्द करना सदन की अवमानना है. चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक ने कुछ आंकड़े भी पेश किए और कहा कि फेलोशिप के लिए 2900 लोगों ने आवेदन किया था. दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने आवेदकों के इंटरव्यू लिए जो रिसर्च फेलो थे. देश विदेश की यूनिवर्सिटी से पढ़कर आए लोगों को नियुक्ति की गई. फेलो को विधायकों और मंत्री के साथ अटैच किया गया था. संजीव झा ने कहा था कि फेलोशिप नियुक्ति को रद्द करना विधानसभा के कामकाज में अड़ंगा डालने और बदनाम करने का मामला है.

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एलजी को पत्र लिखकर जताई थी आपत्ति: दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने दिल्ली एलजी को पत्र लिखकर मामले को लेकर आपत्ति जताई थी. राम निवास गोयल ने 7 जुलाई,2023 को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली विधानसभा के लिए फेलोशिप बंद करने का कोई कारण नहीं है. दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर के फेलो के खिलाफ की गई कोई भी कार्रवाई दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर ( डीएआरसी ) के विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना माना जा सकता है. गोयल ने यह भी तर्क दिया कि कार्यक्रम सेवाओं के दायरे में नहीं आता है. उन्होंने कहा, "कार्यक्रम अपने आप में कोई नियुक्ति या रोजगार नहीं है और सेवाओं के दायरे में नहीं आता है.

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