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हाईकोर्ट ने निर्माण मजदूरों के रजिस्ट्रेशन पर नगर निगमों से स्टेटस रिपोर्ट की तलब - निर्माण मजदूरों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों नगर निगमों, महानगरपालिका और कंटोनमेंट बोर्ड को नोटिस जारी कर पूछा कि उन्होंने संबंधित कानून को लागू करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए. साथ ही इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया.

High Court summoned report from Municipal Corporations
हाईकोर्ट ने नगर निगमों से रिपोर्ट तलब की
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Published : Dec 15, 2020, 7:38 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों, दिल्ली महानगरपालिका और कंटोनमेंट बोर्ड को नोटिस जारी कर पूछा कि उन्होंने संबंधित कानून को लागू करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.


दिल्ली में 10 लाख से ज्यादा निर्माण मजदूर
पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो निर्माण मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अखबारों में विज्ञापन निकाले. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अखबारों में विज्ञापन निकालने से निर्माण मजदूर आसानी से रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. याचिका वकील सुनील कुमार अलेदिया ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में 10 लाख से ज्यादा निर्माण मजदूर हैं, लेकिन उनमें से 37,127 मजदूरों का ही रजिस्ट्रेशन किया गया है. रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से ये मजूदर कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. उनके बैंक खातों में पैसे भी नहीं आ रहे हैं. रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उन्हें मजदूरी मिल रही है कि नहीं उसकी मानिटरिंग भी नहीं हो पा रही है.

लॉकडाउन की वजह से मजदूर हुए बेरोजगार
याचिका में कहा गया है कि कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन की वजह से ये मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. उनके लिए ये काफी विषम परिस्थिति है. याचिका में कहा गया है कि 2015 में रजिस्टर्ड निर्माण मजदूरों की संख्या तीन लाख थी जो अब चालीस हजार से भी कम हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि निर्माण मजदूरों का तुरंत रजिस्ट्रेशन किया जाए. उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने श्रम सचिवों और वेलफेयर बोर्ड के सदस्य सचिवों को निर्माण मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए जिम्मेदार ठहराया था.


ये भी पढ़ें: MCD किराया माफी मामले पर दिल्ली सरकार ने बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र


रजिस्ट्रेशन के लिए कैंप आयोजित करने की मांग
याचिका में निर्माण मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए दिल्ली आश्रय गृहों, दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी, श्रम विभाग, एनजीओ और आश्रय प्रबंधन एजेंसियों की मदद लेने का सुझाव दिया गया है. इनके रजिस्ट्रेशन के लिए विशेष कैंप आयोजित किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की सभी सुविधाओं का लाभ निर्माण मजदूरों को दिया जाए.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों, दिल्ली महानगरपालिका और कंटोनमेंट बोर्ड को नोटिस जारी कर पूछा कि उन्होंने संबंधित कानून को लागू करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.


दिल्ली में 10 लाख से ज्यादा निर्माण मजदूर
पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो निर्माण मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अखबारों में विज्ञापन निकाले. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अखबारों में विज्ञापन निकालने से निर्माण मजदूर आसानी से रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. याचिका वकील सुनील कुमार अलेदिया ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में 10 लाख से ज्यादा निर्माण मजदूर हैं, लेकिन उनमें से 37,127 मजदूरों का ही रजिस्ट्रेशन किया गया है. रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से ये मजूदर कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. उनके बैंक खातों में पैसे भी नहीं आ रहे हैं. रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उन्हें मजदूरी मिल रही है कि नहीं उसकी मानिटरिंग भी नहीं हो पा रही है.

लॉकडाउन की वजह से मजदूर हुए बेरोजगार
याचिका में कहा गया है कि कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन की वजह से ये मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. उनके लिए ये काफी विषम परिस्थिति है. याचिका में कहा गया है कि 2015 में रजिस्टर्ड निर्माण मजदूरों की संख्या तीन लाख थी जो अब चालीस हजार से भी कम हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि निर्माण मजदूरों का तुरंत रजिस्ट्रेशन किया जाए. उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने श्रम सचिवों और वेलफेयर बोर्ड के सदस्य सचिवों को निर्माण मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए जिम्मेदार ठहराया था.


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रजिस्ट्रेशन के लिए कैंप आयोजित करने की मांग
याचिका में निर्माण मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए दिल्ली आश्रय गृहों, दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी, श्रम विभाग, एनजीओ और आश्रय प्रबंधन एजेंसियों की मदद लेने का सुझाव दिया गया है. इनके रजिस्ट्रेशन के लिए विशेष कैंप आयोजित किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की सभी सुविधाओं का लाभ निर्माण मजदूरों को दिया जाए.

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