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अब राजस्थान हाईकोर्ट में जजों को नहीं बोला जाएगा 'मॉय लार्ड' और 'योर लॉर्डशिप' - माई लॉर्ड

राजस्थान हाईकोर्ट में अब माय लॉर्ड और योर लॉर्डशिप जैसे शब्द सुनने को नहीं मिलेंगे. मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता में फुल कोर्ट की बैठक में सभी जजों की सहमति से इसका निर्णय लिया गया है. इसके लिए हाईकोर्ट प्रशासन ने आदेश भी जारी किया है.

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Published : Jul 15, 2019, 10:20 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकीलों को अब जज के सामने अपनी बात रखने से पहले माय लॉर्ड या योर लॉर्डशिप जैसे शब्द नहीं बोलने होंगे. यानी कि अब हाइकोर्ट में वकीलों द्वारा दलील देते समय यह शब्द सुनने को नही मिलेंगे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता में हुई फुल कोर्ट की बैठक में यह निर्णय सभी जजों ने सहमति से लिया.

राजस्थान हाईकोर्ट में नहीं बोला जाएगा 'मॉय लार्ड' और 'योर लॉर्डशिप'

हाइकोर्ट प्रशासन द्वारा जारी आदेश में लिखा गया है कि संविधान ने सभी को बराबरी का दर्जा दिया है. इसलिए आम सहमति से सभी वकीलों को आग्रह करते है कि वे ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करें. अदालतों में ब्रिटिशकालीन व्यवस्था के समय से ही जज को भगवान का दर्जा देते हुए माय लॉर्ड जैसे शब्दों का चलन रहा है. लेकिन अब राजस्थान हाइकोर्ट के जजों ने यह सुनने से इनकार कर दिया है.

राजस्थान हाइकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एंव बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य रणजीत जोशी ने मुख्य न्यायाधीश की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि सम्भवत: राजस्थान हाइकोर्ट देश मे पहला न्यायालय है. जिसमें इन शब्दों का उपयोग वकीलों द्वारा करने के लिए मनाही की गई है. जोशी ने कहा कि बार को बेंच का सम्मान करने के लिए सर या श्रीमान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए. जिससे वकीलों के साथ-साथ आमजन में भी न्यायाधीशों के प्रति सम्मान बना रहे.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकीलों को अब जज के सामने अपनी बात रखने से पहले माय लॉर्ड या योर लॉर्डशिप जैसे शब्द नहीं बोलने होंगे. यानी कि अब हाइकोर्ट में वकीलों द्वारा दलील देते समय यह शब्द सुनने को नही मिलेंगे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता में हुई फुल कोर्ट की बैठक में यह निर्णय सभी जजों ने सहमति से लिया.

राजस्थान हाईकोर्ट में नहीं बोला जाएगा 'मॉय लार्ड' और 'योर लॉर्डशिप'

हाइकोर्ट प्रशासन द्वारा जारी आदेश में लिखा गया है कि संविधान ने सभी को बराबरी का दर्जा दिया है. इसलिए आम सहमति से सभी वकीलों को आग्रह करते है कि वे ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करें. अदालतों में ब्रिटिशकालीन व्यवस्था के समय से ही जज को भगवान का दर्जा देते हुए माय लॉर्ड जैसे शब्दों का चलन रहा है. लेकिन अब राजस्थान हाइकोर्ट के जजों ने यह सुनने से इनकार कर दिया है.

राजस्थान हाइकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एंव बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य रणजीत जोशी ने मुख्य न्यायाधीश की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि सम्भवत: राजस्थान हाइकोर्ट देश मे पहला न्यायालय है. जिसमें इन शब्दों का उपयोग वकीलों द्वारा करने के लिए मनाही की गई है. जोशी ने कहा कि बार को बेंच का सम्मान करने के लिए सर या श्रीमान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए. जिससे वकीलों के साथ-साथ आमजन में भी न्यायाधीशों के प्रति सम्मान बना रहे.

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जोधपुर । राजस्थान हाईकोर्ट गई सुनवाई के दौरान वकीलों को अब जज के सामने अपनी बात रखने से पहले माय लॉर्ड या लॉर्ड शिप जैसे शब्द नहीं बोलने होंगे। यानी कि अब हाइकोर्ट में वकीलों द्वारा दलील देते समय यह शब्द सुनने को नही मिलेंगे। हाई कोर्ट के मुख्य नयायाधीश एस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता में रविवार को हुई फूल कोर्ट को बैठक में यह निर्णय सभी जजों ने सहमति से लिया। हाइकोर्ट प्रशाशन द्वारा जारी आदेश में।लिखा गया है कि सभी संविधान ने बराबरी का दर्जा दिया है, इसलिये सभी आम सहमति से वकीलों को आग्रह करते है कि वे ऐसे शब्दों का प्रयोग नही करे। अदालतों में ब्रिटिश कालीन व्यवस्था के समय से ही जज को भगवान का दर्जा देते हुए माय लॉर्ड जैसे शब्दों का चलन रहा है। लेकिन अब राजस्थान हाइकोर्ट के जजों ने यह सुनने से इनकार कर दिया है। 

राजस्थान हाइकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष एव बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य रणजीत जोशी ने मुख्यन्यायाधीश की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि सम्भवत राजस्थान हाइकोर्ट देश मे पहला न्यायालय है जिसमे इन शब्दों का उपयोग वकीलों द्वारा करने के लिए मनाही की गई है। जोशी ने कहा कि बार को बेंच का सम्मान करने के।लिए सर या श्रीमान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे वकिलो के साथ साथ आमजन में भी न्यायाधीशों के प्रति सम्मान बना रहे। 


बाईट : रणजीत जोशी, अध्यक्ष, हाइकोर्ट एडवोकेट





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