नई दिल्ली: हाईकोर्ट आज पेमेंट प्लेटफार्म पेटीएम की ग्राहकों को फिशिंग के जरिए फंसाकर धोखाधड़ी करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा. पहले की सुनवाई में चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) को निर्देश दिया था कि वो टेलीमार्केटर्स के रजिस्ट्रेशन का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें.
नौ लाख टेलीमार्केटर्स का रजिस्ट्रेशन होना है
पिछले 15 जुलाई को पेटीएम ने कहा था कि ट्राई को गैर पंजीकृत टेलीमार्केटर्स के खिलाफ कार्रवाई करने का पर्याप्त अधिकार है. सुनवाई के दौरान पेटीएम की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने गैरजरूरी फोन कॉल्स और फिशिंग को रोकने के लिए टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशंस कस्टमर्स प्रिफ्रेंस रेगुलेशंस (टीसीसीसीपीआर) की धारा 3 को लागू करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि कुछ नौ लाख टेलीमार्केटर्स का रजिस्ट्रेशन होना है. जिसमें से बीस हजार टेलीमार्केटर्स पहले ही रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. अब तक करीब 80 हजार टेलीमार्केटर्स अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं.
फिशिंग के जरिए ग्राहकों को फंसाने का आरोप
पेटीएम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उसके ग्राहकों को फिशिंग के जरिए फंसाकर धोखाधड़ी किया जा रहा है और केंद्र सरकार और ट्राई इस फिशिंग गतिविधि को नहीं रोक रही है. पिछले 2 जून को पेटीएम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और ट्राई को नोटिस जारी किया था.
कोर्ट ने संचार मंत्रालय, ट्राई, सभी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को जवाब देने का निर्देश दिया था. पेटीएम की ओर से वकील करुणा नंदी ने कहा था कि उसके लाखों ग्राहकों के साथ फिशिंग गतिविधि के जरिये धोखाधड़ी की गई है. फिशिंग गतिविधि को मोबाइल प्रदाता कंपनियां रोक नहीं रही हैं. इससे उसे आर्थिक नुकसान के अलावा उसकी छवि को भी नुकसान हुआ है. पेटीएम ने इस नुकसान की भरपाई के लिए सौ करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है.
क्या है फिशिंग गतिविधि
फिशिंग गतिविधि एक साइबर क्राइम है. इसमें किसी व्यक्ति से ई-मेल, फोन या टेक्स्ट मैसेज से संपर्क किया जाता है. मैसेज भेजनेवाला व्यक्ति अपने को किसी संगठन का प्रतिनिधि बताता है और इस तरह वो संबंधित व्यक्ति के निजी डाटा को चुरा लेता है. वो लोगों के बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड का विवरण और पासवर्ड लेकर उन्हें चूना लगा देता है.
पेटीएम के ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप
याचिका में कहा गया है कि टेलीकॉम कंपनियां टीसीसीसीपीआर का उल्लंघन कर रही हैं. ट्राई ने एक नोटिफिकेशन के जरिए टीसीसीसीपीआर को मंजूरी दी थी. उसमें अनचाही व्यावसायिक सूचनाओं पर रोक लगाने की बात की गई है.
याचिका में कहा गया है कि ट्राई के नोटिफिकेशन में टेलीकॉम कंपनियों को ऐसे टेलीमार्केटर्स की पहचान कर उन पर रोक लगाने की जिम्मेदारी है. उनका बिना रजिस्ट्रेशन के काम करने देने की वजह से ही पेटीएम के ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी हुआ है.