नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया डील केस मामले में पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई 25 सितंबर को भी जारी रहेगी. चिदंबरम की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कल भी अपनी दलीलें जारी रखेंगे.
सोमवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि पैसा कंपनी के पास कहां से आया तब सिब्बल ने जवाब दिया कि ये बैंक से आया. सिब्बल ने कहा कि ये आरोप लगाया जा रहा है कि आईएनएक्स में डाउनस्ट्रीम चैनल से पैसा आया. आईएनएक्स न्यूज आईएनएक्स मीडिया कंपनी की सहयोगी कंपनी थी. सिब्बल ने एक प्रेस नोट दिखाया, जिसका विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें स्रोत बताना चाहिए कि वे ये सरकारी दस्तावेज कहां से लाए.
'दस्तावेज के बारे मे दें जानकारी'
हम जानना चाहते हैं कि आप ये दस्तावेज कहां से लाए. तब सिब्बल ने कहा कि ये पब्लिक डॉक्यूमेंट हैं और हम इन्हें दिखा सकते हैं. सिब्बल ने कहा कि फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की स्वीकृति मिली थी और उसमें सब कुछ वैध था. इसमें भ्रष्टाचार कहां है. उन्होंने कोर्ट को फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की मीटिंग के मिनट्स दिखाए. सबने फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की स्वीकृति देते समय सही काम किया. सिब्बल ने कहा कि हमने बताया है कि हमारे भागने की कोई संभावना नहीं है.
हमने 2007 से अब तक किसी को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की है. इस मामले में चिदंबरम को एक ही बार समन भेजा गया. सिब्बल ने कहा कि इस मामले में सभी जेल के बाहर हैं तो हमारे मुवक्किल को जेल में क्यों रखा गया है. दूसरे देशों को आग्रह का पत्र भी 2018 में भेजा गया, जिसका अब तक कोई जवाब नहीं आया है.
इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि चिदंबरम ने किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की हो. चिदंबरम 74 साल के हैं और उन्होंने कई मंत्रालयों में अपना समय दिया है. उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है.
'चिदंबरम के भागने की आशंका नहीं'
सिब्बल के बाद चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जनहित की इस कोर्ट का कानून है, हमारा मुवक्किल 11वां व्यक्ति है जिसने फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की स्वीकृति दी. चिदंबरम के भागने की कोई आशंका नहीं है. सीमा पार करना आसान नहीं है. वे 49 सालों से वकालत कर रहे हैं. इस देश में 3-4 मंत्रालयों को संभाला है. उनके खिलाफ असहयोग का जो आरोप लगाया जा रहा है वो आधारहीन है. उन्हें पूछताछ के लिए केवल एक बार 6 जून को बुलाया गया. साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने का सवाल ही नहीं होता क्योंकि इस केस से जुड़े सभी दस्तावेज सील कर लिए गए हैं. चिदंबरम के 34 दिनों की हिरासत के बाद भी कुछ नहीं निकला है. जो जांच करनी थी वो हो चुकी है. इसलिए जमानत मिलनी चाहिए.