ETV Bharat / state

जीटीबी की निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी, समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीज की गई थी जान

Delhi Govt Notice To GTB Hospital: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने पर घायल प्रमोद उर्फ पप्पू की मौत हो गई. इस मामले को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से चिकित्सा निदेशक अस्मिता एम राठौर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 10, 2024, 12:32 PM IST

नई दिल्ली: शराब के नशे में पुलिस की जिप्सी से गिरने के बाद घायल हुए प्रमोद उर्फ पप्पू की दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई. मौत के करीब एक सप्ताह बाद अब दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की नींद टूटी है. विभाग की एचआर मेडिकल शाखा के विशेष सचिव ने मामले में लापरवाही बरतने पर जीटीबी अस्पताल की चिकित्सा निदेशक अस्मिता एम राठौर को कारण बताओ नोटिस जारी करके तीन दिन के अंदर जवाब मांगा है.

जीटीबी की निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी
जीटीबी की निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी

साथ ही तीन जनवरी को न्यूरो सर्जरी विभाग में ड्यूटी पर तैनात सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर अमित की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट करने का भी आदेश दिया है. विशेष सचिव एचआर के द्वारा अस्मिता राठौर से पूछा गया है कि वह अपने स्तर पर मरीज को भर्ती करने को लेकर हुई लापरवाही का कारण बताएं. साथ ही इसमें उनके खिलाफ क्या कार्रवाई सही रहेगी यह भी बताएं.

गौरतलब है कि, दो जनवरी को शराब के नशे में जब उस्मानपुर थाना पुलिस प्रमोद को जिप्सी में बिठाकर थाने ले जा रही थी तो प्रमोद ने उल्टी करने के लिए जिप्सी की खिड़की से अपना सिर नीचे लटकाया था. नशे में होने के चलते वह जिप्सी से गिर गया और सिर में गंभीर चोट लगने की वजह से उसकी हालत बिगड़ गई. इसके बाद पुलिसकर्मी उसे लेकर जग प्रवेश चंद्र अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन, वहां पर उचित इलाज की व्यवस्था न होने के कारण उसे जीटीबी अस्पताल रेफर किया गया था. लेकिन, ज़ीटीबी अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन खराब होने की बात कह कर उसे लोकनायक अस्पताल भेजा गया था.

वहीं लोकनायक अस्पताल में वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कहकर उसे आरएमएल अस्पताल भेजा गया था. आरएमएल अस्पताल से भी बेड खाली न होने की बात कह कर उसे वापस भेज दिया गया. इसके बाद उसे फिर से जग प्रवेश चंद्र अस्पताल लाया गया, जहां सुबह छह बजे उसकी मौत हो गई. दिल्ली के चार-चार बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने के बाद हुई प्रमोद की मौत को लेकर दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठने लगे और इस मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में भी एक याचिका दायर कर दी गई, जिसमें कोर्ट की ओर से अस्पतालों से ज्यादा तलब किया गया. अब करीब एक सप्ताह बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने भी मामले में एक कारण बताओ नोटिस जारी कर खानापूर्ति करने की कोशिश की है.

हालांकि इस पूरे मामले में अस्पताल में एक सप्ताह से खराब पड़ी सीटी स्कैन मशीन को लेकर और अस्पताल में करीब साल भर से मरीजों के इलाज से संबंधित चीजों की कमी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. घटना के एक सप्ताह बाद भी ज़ीटीबी अस्पताल में हालात जस के तस बने हुए हैं. इस मामले में एक रेजिडेंट डॉक्टर को बलि का बकरा बनाकर खानापूर्ति की जा रही है. प्रमोद के परिवार में पत्नी ममता (44), एक बेटी ऋतिका (20), एक बेटा सुधांशू (17) और 15 साल का एक और बेटा है. इसके साथ ही बुजुर्ग मां और एक छोटा भाई जितेंद्र है.

नई दिल्ली: शराब के नशे में पुलिस की जिप्सी से गिरने के बाद घायल हुए प्रमोद उर्फ पप्पू की दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई. मौत के करीब एक सप्ताह बाद अब दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की नींद टूटी है. विभाग की एचआर मेडिकल शाखा के विशेष सचिव ने मामले में लापरवाही बरतने पर जीटीबी अस्पताल की चिकित्सा निदेशक अस्मिता एम राठौर को कारण बताओ नोटिस जारी करके तीन दिन के अंदर जवाब मांगा है.

जीटीबी की निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी
जीटीबी की निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी

साथ ही तीन जनवरी को न्यूरो सर्जरी विभाग में ड्यूटी पर तैनात सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर अमित की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट करने का भी आदेश दिया है. विशेष सचिव एचआर के द्वारा अस्मिता राठौर से पूछा गया है कि वह अपने स्तर पर मरीज को भर्ती करने को लेकर हुई लापरवाही का कारण बताएं. साथ ही इसमें उनके खिलाफ क्या कार्रवाई सही रहेगी यह भी बताएं.

गौरतलब है कि, दो जनवरी को शराब के नशे में जब उस्मानपुर थाना पुलिस प्रमोद को जिप्सी में बिठाकर थाने ले जा रही थी तो प्रमोद ने उल्टी करने के लिए जिप्सी की खिड़की से अपना सिर नीचे लटकाया था. नशे में होने के चलते वह जिप्सी से गिर गया और सिर में गंभीर चोट लगने की वजह से उसकी हालत बिगड़ गई. इसके बाद पुलिसकर्मी उसे लेकर जग प्रवेश चंद्र अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन, वहां पर उचित इलाज की व्यवस्था न होने के कारण उसे जीटीबी अस्पताल रेफर किया गया था. लेकिन, ज़ीटीबी अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन खराब होने की बात कह कर उसे लोकनायक अस्पताल भेजा गया था.

वहीं लोकनायक अस्पताल में वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कहकर उसे आरएमएल अस्पताल भेजा गया था. आरएमएल अस्पताल से भी बेड खाली न होने की बात कह कर उसे वापस भेज दिया गया. इसके बाद उसे फिर से जग प्रवेश चंद्र अस्पताल लाया गया, जहां सुबह छह बजे उसकी मौत हो गई. दिल्ली के चार-चार बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने के बाद हुई प्रमोद की मौत को लेकर दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठने लगे और इस मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में भी एक याचिका दायर कर दी गई, जिसमें कोर्ट की ओर से अस्पतालों से ज्यादा तलब किया गया. अब करीब एक सप्ताह बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने भी मामले में एक कारण बताओ नोटिस जारी कर खानापूर्ति करने की कोशिश की है.

हालांकि इस पूरे मामले में अस्पताल में एक सप्ताह से खराब पड़ी सीटी स्कैन मशीन को लेकर और अस्पताल में करीब साल भर से मरीजों के इलाज से संबंधित चीजों की कमी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. घटना के एक सप्ताह बाद भी ज़ीटीबी अस्पताल में हालात जस के तस बने हुए हैं. इस मामले में एक रेजिडेंट डॉक्टर को बलि का बकरा बनाकर खानापूर्ति की जा रही है. प्रमोद के परिवार में पत्नी ममता (44), एक बेटी ऋतिका (20), एक बेटा सुधांशू (17) और 15 साल का एक और बेटा है. इसके साथ ही बुजुर्ग मां और एक छोटा भाई जितेंद्र है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.