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कोरोना के कारण हुई मौतों का स्वास्थ्य विभाग ने किया विश्लेषण, जारी किए आंकड़े - Rajiv Gandhi Super Specialty Hospital

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किए गए मौत के आंकड़ों के विश्लेषण में ये भी बताया गया है कि जून की शुरुआत में अस्पतालों में भर्ती होने वाले अधिकतर लोगों की हालत काफी गंभीर थी और कई लोगों की 4 दिनों के अंदर मौत हो गई.

health department of delhi government conduct analysis on-deaths from corona data released
कोरोना से हुई मौतों को लेकर दिल्ली सरकार ने कराया विश्लेषण
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Published : Jul 26, 2020, 10:57 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने राजधानी में कोविड-19 के कारण हुई मौतों का विस्तार से विश्लेषण किया है. जिसमें पाया गया कि 1 से 12 जून और 1 से 12 जुलाई की अवधि के दौरान मौतों में 44 प्रतिशत की गिरावट आई है. 1 से 12 जून के दौरान 1089 मौतें हुई थीं, जबकि 1 से 12 जुलाई के बीच 605 मौतें हुई हैं.

कोरोना से हुई मौतों को लेकर दिल्ली सरकार ने कराया विश्लेषण
लगातार घट रहा मृत्युदर

विश्लेषण से पता चला है कि दिल्ली सरकार के कोविड अस्पतालों में जून से जुलाई तक मौतों में 58 प्रतिशत की कमी देखी गई, जो जून में 361 और जुलाई में 154 थी. वहीं सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी कोविड अस्पतालों में जून से जुलाई तक 25 प्रतिशत की कमी देखी गई और केंद्र सरकार के कोविड अस्पतालों में 55 प्रतिशत की कमी देखी गई. केंद्र सरकार के आरएमएल अस्पताल में मृत्यु दर (कुल भर्ती बनाम कुल मौतें) का प्रतिशत जून में 81 प्रतिशत थी, जो जुलाई में घट कर 58 प्रतिशत हो गई.

केंद्र सरकार के एक अन्य सफदरजंग अस्पताल में जून में मृत्यु दर 40 प्रतिशत से घट कर जुलाई में 31 प्रतिशत हो गई. दिल्ली सरकार के सबसे बड़े कोविड अस्पताल एलएनजेपी में मौतें जून की शुरुआत में 28 प्रतिशत थी, जो जुलाई की शुरुआत में घट कर 16 प्रतिशत हो गई. दिल्ली सरकार का राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल मृत्यु दर के मामले में राष्ट्रीय राजधानी के सबसे अच्छे कोविड अस्पतालों में से एक है, यहां जून की शुरुआत में 6 प्रतिशत और जुलाई की शुरुआत में 7 प्रतिशत मौतें हुई है.



दिल्ली सरकार के दावे के मुताबिक राजधानी में कोविड के कारण होने वाली मौतों में कमी के लिए पांच प्रमुख कदम उठाए गए :


1. व्यापक जांच: पहले प्रतिदिन औसतन 5,500 जांच हो रही थी, जिसे दिल्ली ने जुलाई की शुरुआत में बढ़ा कर 21,000 जांच प्रतिदिन कर दिया. आज की तारीख तक, दिल्ली में मौजूदा जांच दर 50,000 प्रति मिलियन है, जो अब तक देश में सबसे अधिक है. इससे यह सुनिश्चित हो गया कि संदिग्ध कोविड मरीज बिना समय गंवाए या गंभीर हुए जांच सुविधाओं तक आसानी से पहुंच सकते हैं, क्योंकि यह इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि जुलाई में भर्ती होने वाले मरीजों की मृत्यु, भर्ती होने के 24 घंटे या पहले 4 दिनों के भीतर कम हुई है.


2 ऑक्सीमीटर: दिल्ली सरकार ने शुरू से ही होम आइसोलेशन कार्यक्रम का समर्थन किया, यहां तक कि केंद्र सरकार के विरोध के खिलाफ गई और सभी होम आइसोलेशन रोगियों को मुफ्त में ऑक्सीमीटर प्रदान करने का निर्णय लिया. कुल 59,600 ऑक्सीमीटर खरीदे गए और मरीजों में वितरित किए गए. इससे यह सुनिश्चित हो गया कि होम आइसोलेशन में मरीज अपने नब्ज की निगरानी कर सकते हैं और हालत गंभीर होने की स्थिति में बिना समय गंवाए अस्पतालों में शिफ्ट करा देंगे.


3. एम्बुलेंस प्रणाली: कई राज्यों में सरकारी एंबुलेंस सिस्टम का अवलोकन किया गया, जिसमें पाया गया कि सरकारी एंबुलेंस सिस्टम कोविड मामलो में वृद्धि होने पर सही से सामना नहीं कर पा रही हैं, जिससे गंभीर मरीजों को अस्पतालों में शिफ्ट करने के दौरान देर हो जा रही है, कुछ ममालों में मौतें भी हो जाती है, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लाॅकडाउन की शुरूआत में ही बड़ी संख्या में एंबुलेंस बढ़ाने का आदेश दिया. साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं एंबुलेंस की रिपोर्ट और उसके रिस्पाॅस टाइम की निगरानी कर रहे हैं. लाॅकडाउन की शुरूआत में एंबुलेंस के बेड़े में मात्र 134 एंबुलेंस थी, जो जुलाई तक बढ़ कर 602 हो गई है और रिस्पाॅस टाइम 55 मिनट से घटकर 20-30 मिनट हो गया.


4. बेड और कोरोना एप की उपलब्धता: यह सुनिश्चित करने के लिए कि मरीज निजी या सरकारी अस्पतालों के बिना चक्कर लगाए और कागजी प्रक्रिया में अपना समय गंवाए बिना आसानी से अपनी पसंद के अस्पताल में बेड प्राप्त कर सकें, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. मई की शुरुआत में कोविड बेड की क्षमता 3700 से बढ़ कर जुलाई के अंत में लगभग 15,000 हो गई है. दिल्ली कोरोना एप लॉन्च करने का निर्णय लिया गया. यह देश के किसी भी शहर या राज्य के लिए पहला और एकमात्र ऐसा एप है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल में उपलब्ध बेड का पता लगाने में कोई समय न गंवाया जाए.

5. आईसीयू बेड पर ध्यान: जून की शुरुआत में मौतों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए और कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों के साथ बातचीत के आधार पर, सीएम केजरीवाल ने आईसीयू बेड के विस्तार पर बल दिया। जून की शुरुआत में 500 से कम आईसीयू बेड थे, जबकि आज की तारीख में दिल्ली के कोविड अस्पतालों में 2200 से अधिक आईसीयू बेड हैं, जिनमें से लगभग 1400 खाली हैं.


मृत्यु दर को और कम करने के उद्देश्य से, सीएम अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आईसीयू के बजाय वार्डों में होने वाली मृत्यु दर या अधिक अनुपात वाले सरकारी अस्पतालों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है, और विशेष उपायों की सिफारिश करने की आवश्यकता पर बल दिया है.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने राजधानी में कोविड-19 के कारण हुई मौतों का विस्तार से विश्लेषण किया है. जिसमें पाया गया कि 1 से 12 जून और 1 से 12 जुलाई की अवधि के दौरान मौतों में 44 प्रतिशत की गिरावट आई है. 1 से 12 जून के दौरान 1089 मौतें हुई थीं, जबकि 1 से 12 जुलाई के बीच 605 मौतें हुई हैं.

कोरोना से हुई मौतों को लेकर दिल्ली सरकार ने कराया विश्लेषण
लगातार घट रहा मृत्युदर

विश्लेषण से पता चला है कि दिल्ली सरकार के कोविड अस्पतालों में जून से जुलाई तक मौतों में 58 प्रतिशत की कमी देखी गई, जो जून में 361 और जुलाई में 154 थी. वहीं सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी कोविड अस्पतालों में जून से जुलाई तक 25 प्रतिशत की कमी देखी गई और केंद्र सरकार के कोविड अस्पतालों में 55 प्रतिशत की कमी देखी गई. केंद्र सरकार के आरएमएल अस्पताल में मृत्यु दर (कुल भर्ती बनाम कुल मौतें) का प्रतिशत जून में 81 प्रतिशत थी, जो जुलाई में घट कर 58 प्रतिशत हो गई.

केंद्र सरकार के एक अन्य सफदरजंग अस्पताल में जून में मृत्यु दर 40 प्रतिशत से घट कर जुलाई में 31 प्रतिशत हो गई. दिल्ली सरकार के सबसे बड़े कोविड अस्पताल एलएनजेपी में मौतें जून की शुरुआत में 28 प्रतिशत थी, जो जुलाई की शुरुआत में घट कर 16 प्रतिशत हो गई. दिल्ली सरकार का राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल मृत्यु दर के मामले में राष्ट्रीय राजधानी के सबसे अच्छे कोविड अस्पतालों में से एक है, यहां जून की शुरुआत में 6 प्रतिशत और जुलाई की शुरुआत में 7 प्रतिशत मौतें हुई है.



दिल्ली सरकार के दावे के मुताबिक राजधानी में कोविड के कारण होने वाली मौतों में कमी के लिए पांच प्रमुख कदम उठाए गए :


1. व्यापक जांच: पहले प्रतिदिन औसतन 5,500 जांच हो रही थी, जिसे दिल्ली ने जुलाई की शुरुआत में बढ़ा कर 21,000 जांच प्रतिदिन कर दिया. आज की तारीख तक, दिल्ली में मौजूदा जांच दर 50,000 प्रति मिलियन है, जो अब तक देश में सबसे अधिक है. इससे यह सुनिश्चित हो गया कि संदिग्ध कोविड मरीज बिना समय गंवाए या गंभीर हुए जांच सुविधाओं तक आसानी से पहुंच सकते हैं, क्योंकि यह इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि जुलाई में भर्ती होने वाले मरीजों की मृत्यु, भर्ती होने के 24 घंटे या पहले 4 दिनों के भीतर कम हुई है.


2 ऑक्सीमीटर: दिल्ली सरकार ने शुरू से ही होम आइसोलेशन कार्यक्रम का समर्थन किया, यहां तक कि केंद्र सरकार के विरोध के खिलाफ गई और सभी होम आइसोलेशन रोगियों को मुफ्त में ऑक्सीमीटर प्रदान करने का निर्णय लिया. कुल 59,600 ऑक्सीमीटर खरीदे गए और मरीजों में वितरित किए गए. इससे यह सुनिश्चित हो गया कि होम आइसोलेशन में मरीज अपने नब्ज की निगरानी कर सकते हैं और हालत गंभीर होने की स्थिति में बिना समय गंवाए अस्पतालों में शिफ्ट करा देंगे.


3. एम्बुलेंस प्रणाली: कई राज्यों में सरकारी एंबुलेंस सिस्टम का अवलोकन किया गया, जिसमें पाया गया कि सरकारी एंबुलेंस सिस्टम कोविड मामलो में वृद्धि होने पर सही से सामना नहीं कर पा रही हैं, जिससे गंभीर मरीजों को अस्पतालों में शिफ्ट करने के दौरान देर हो जा रही है, कुछ ममालों में मौतें भी हो जाती है, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लाॅकडाउन की शुरूआत में ही बड़ी संख्या में एंबुलेंस बढ़ाने का आदेश दिया. साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं एंबुलेंस की रिपोर्ट और उसके रिस्पाॅस टाइम की निगरानी कर रहे हैं. लाॅकडाउन की शुरूआत में एंबुलेंस के बेड़े में मात्र 134 एंबुलेंस थी, जो जुलाई तक बढ़ कर 602 हो गई है और रिस्पाॅस टाइम 55 मिनट से घटकर 20-30 मिनट हो गया.


4. बेड और कोरोना एप की उपलब्धता: यह सुनिश्चित करने के लिए कि मरीज निजी या सरकारी अस्पतालों के बिना चक्कर लगाए और कागजी प्रक्रिया में अपना समय गंवाए बिना आसानी से अपनी पसंद के अस्पताल में बेड प्राप्त कर सकें, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. मई की शुरुआत में कोविड बेड की क्षमता 3700 से बढ़ कर जुलाई के अंत में लगभग 15,000 हो गई है. दिल्ली कोरोना एप लॉन्च करने का निर्णय लिया गया. यह देश के किसी भी शहर या राज्य के लिए पहला और एकमात्र ऐसा एप है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल में उपलब्ध बेड का पता लगाने में कोई समय न गंवाया जाए.

5. आईसीयू बेड पर ध्यान: जून की शुरुआत में मौतों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए और कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों के साथ बातचीत के आधार पर, सीएम केजरीवाल ने आईसीयू बेड के विस्तार पर बल दिया। जून की शुरुआत में 500 से कम आईसीयू बेड थे, जबकि आज की तारीख में दिल्ली के कोविड अस्पतालों में 2200 से अधिक आईसीयू बेड हैं, जिनमें से लगभग 1400 खाली हैं.


मृत्यु दर को और कम करने के उद्देश्य से, सीएम अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आईसीयू के बजाय वार्डों में होने वाली मृत्यु दर या अधिक अनुपात वाले सरकारी अस्पतालों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है, और विशेष उपायों की सिफारिश करने की आवश्यकता पर बल दिया है.

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