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निर्भया को इंसाफ: तिहाड़ जेल के हेड वार्डर ने निभाई फांसी में अहम भूमिका

निर्भया के चारों आरोपियों को एक साथ फांसी की सजा देने के लिए जेल के हेट वार्डर भूपेंद्र की मदद ली गई थी. तिहाड़ जेल में एक समय पर 4 लोगों को फांसी पहली बार दी गई थी.

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निर्भया को इंसाफ
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Published : Mar 21, 2020, 1:22 PM IST

नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में निर्भया के गुनहगारों को फांसी देने में पवन जल्लाद के साथ-साथ जेल के हेड वार्डर भूपेंद्र ने भी अहम भूमिका निभाई. इन दोनों ने मिलकर निर्भया के दोषियों को 20 तारीख की सुबह 5:30 बजे फांसी के फंदे पर लटकाया.

हेड वार्डर ने निभाई फांसी में अहम भूमिका



चार दोषियों को एक साथ दी गई फांसी

ऐसा पहली बार हुआ है, जब तिहाड़ जेल में चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया है. इससे पहले कभी भी तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा देखने को नहीं मिला, इसलिए दोषियों की फांसी के लिए फांसी घर को तोड़ कर दोबारा से बनाया गया था. जिसमें दो तख्तों पर चार फंदे लगाए गए थे. ताकि चारों दोषियों को एक साथ एक ही समय पर फांसी दी जा सके.

हेड वार्डर भूपेंद्र ने दोषियों को फंदे पर लटकाया

फांसी के तख्त पर एक जल्लाद के जरिए ही चारों दोषियों को फांसी देना मुमकिन नहीं था, क्योंकि एक लीवर खींचने से केवल दो दोषी ही फांसी पर लटक पाते. इसलिए एक ही समय पर दूसरा लीवर खींचकर चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए अंतिम समय में जेल नंबर तीन के हेड वार्डर भूपेंद्र की सहायता ली गई. भूपेंद्र ने पवन जल्लाद के साथ दूसरी तरफ से लीवर खींचकर दोषियों को फांसी पर लटकाया.

नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में निर्भया के गुनहगारों को फांसी देने में पवन जल्लाद के साथ-साथ जेल के हेड वार्डर भूपेंद्र ने भी अहम भूमिका निभाई. इन दोनों ने मिलकर निर्भया के दोषियों को 20 तारीख की सुबह 5:30 बजे फांसी के फंदे पर लटकाया.

हेड वार्डर ने निभाई फांसी में अहम भूमिका



चार दोषियों को एक साथ दी गई फांसी

ऐसा पहली बार हुआ है, जब तिहाड़ जेल में चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया है. इससे पहले कभी भी तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा देखने को नहीं मिला, इसलिए दोषियों की फांसी के लिए फांसी घर को तोड़ कर दोबारा से बनाया गया था. जिसमें दो तख्तों पर चार फंदे लगाए गए थे. ताकि चारों दोषियों को एक साथ एक ही समय पर फांसी दी जा सके.

हेड वार्डर भूपेंद्र ने दोषियों को फंदे पर लटकाया

फांसी के तख्त पर एक जल्लाद के जरिए ही चारों दोषियों को फांसी देना मुमकिन नहीं था, क्योंकि एक लीवर खींचने से केवल दो दोषी ही फांसी पर लटक पाते. इसलिए एक ही समय पर दूसरा लीवर खींचकर चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए अंतिम समय में जेल नंबर तीन के हेड वार्डर भूपेंद्र की सहायता ली गई. भूपेंद्र ने पवन जल्लाद के साथ दूसरी तरफ से लीवर खींचकर दोषियों को फांसी पर लटकाया.

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