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दिल्ली में फैला था हैजा और चेचक, गुरु श्री हरकिशन साहिब ने की थी मदद - श्री हरकिशन महाराज जी

दिल्ली का गुरुद्वारा बाला साहिब सिखों के आठवें गुरु श्री हरकिशन महाराज जी को समर्पित है, जिन्होंने चेचक और हैजा की भयानक बीमारी फैलने के दौरान लोगों के बीच जाकर उनका इलाज किया और उनकी मदद भी की.

Gurudwara Bala Sahib dedicated to Shri Harkishan Maharaj Ji, the eighth Guru of the Sikhs
गुरुद्वारा बाला साहिब
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Published : Apr 5, 2021, 1:06 PM IST

नई दिल्ली: आउटर रिंग रोड के पास स्थित गुरुद्वारा बाला साहिब सिखों के आठवें गुरु श्री हरकिशन महाराज जी को समर्पित है. कहा जाता है कि गुरु महाराज जी ने अपना अंतिम समय इसी स्थान पर गुजारा था और उन्होंने अपना शरीर यहीं त्याग दिया था, जहां मौजूदा समय में गुरुद्वारा बाला साहिब बना हुआ है. इसी स्थान पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था, जिसके बाद उनकी अस्थियां दिल्ली से बाहर पातालपुरी और गुरुद्वारा कीरतपुर साहिब ले जाई गई थीं.

गुरुद्वारा बाला साहिब सिखों के आठवें गुरु श्री हरकिशन महाराज जी को समर्पित

चेचक और हैजा बीमारी को लेकर की थी मदद

बताया जाता है कि उस समय चेचक और हैजा की भयानक बीमारी फैली थी, तो गुरु श्री हरकिशन महाराज जी युवा अवस्था में लोगों के बीच जाकर उनका इलाज किया करते थे और उनकी मदद करते थे. यह देख कर हर कोई प्रभावित था कि एक छोटा बालक बिना किसी भेदभाव के हर किसी की मदद कर रहा है. गुरु महाराज जी ने हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हर एक समुदाय के लोगों की सेवा की थी.

तंबू लगाकर रहे थे गुरु श्री हरकिशन साहेब जी

जब वह स्वयं इस बीमारी की चपेट में आ गए, तो उन्होंने लोगों से कहा कि उन्हें शहर से दूर ले जाएं, जिससे कि अन्य लोगों को यह बीमारी न हो पाए, जिसके बाद लोग उन्हें शहर से बाहर इस जगह ले कर आ गए. जहां मौजूदा समय में गुरुद्वारा बाला साहिब बना हुआ है.

ये भी पढ़ें:-गुरुद्वारा बाला साहिब के किडनी डायलिसिस अस्पताल में हुए हादसे की जांच हो : पम्मा

मौजूदा समय में भगवान नगर, आश्रम के नजदीक आउटर रिंग रोड पर यह गुरुद्वारा स्थित है. बताया जाता है कि पहले यहां से यमुना बहती थी, लेकिन बाद में उसका रास्ता बदल दिया गया और यहां गुरुद्वारा बाला साहिब का निर्माण हुआ. गुरु जी महाराज यहां यमुना के किनारे अपनी इच्छा के अनुसार खुले मैदान में तंबू लगाकर रहे थे.


हर धर्म के लोगों की करते थे मदद

मान्यता यह भी है कि जब चेचक और हैजा जैसी बीमारी हुई थी तो गुरु महाराज जी ने अपने ऊपर यह बीमारी ले ली थी और बाल अवस्था में बिना किसी भेदभाव के हर किसी की मदद की थी. गुरु जी के इस भाव को देखकर उस समय हर एक धर्म के प्रतिनिधि उनसे प्रभावित हुए थे कि एक बालक हर एक धर्म के लोगों का बिना भेदभाव के सेवा कर रहा है. मुस्लिम लोग उन्हें बालापीर कहकर बुलाते थे.


दिल्ली के 10 प्रमुख गुरुद्वारों में से एक

गुरु महाराज जी को जब चेचक की बीमारी हुई , तब वह केवल 8 वर्ष के थे और आज जहां गुरुद्वारा बाला साहिब है. यहीं उन्होंने अपना अंतिम समय व्यतीत किया, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार भी यहीं किया गया. इसलिए इस गुरुद्वारे का नाम बाला साहिब गुरुद्वारा रखा गया. गुरुद्वारा बाला साहिब दिल्ली के 10 प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है और सिखों के आठवें गुरु श्री हरकिशन महाराज जी को समर्पित है.



ये भी पढ़ें:-मनजिंदर सिंह सिरसा का बड़ा ऐलान, बाला साहिब अस्पताल 4-5 महीनों में बनकर तैयार होगा

गुरुद्वारे में माता सुंदरी कौर और माता साहिब कौर जी के भी अंगीठे

गुरुद्वारा परिसर में श्री गुरु गोविंद सिंह जी के महल माता सुंदरी कौर जी और माता साहिब कौर जी के अंगीठे भी मौजूद हैं. इसके साथ ही लंगर हॉल भी यहां बना हुआ है, जहां पर हर वक्त लंगर चलता है और दर्शन करने के लिए आने वाले लोगों के लिए यात्री हॉल की सुविधा भी है. साथ ही एक पुस्तकालय भी बना हुआ है, जहां पर सिखों के सभी धार्मिक गुरुओं की किताबें मौजूद है और सिखों का इतिहास उन पुस्तकों में समाहित है.

देश का पहला मुफ्त डायलिसिस अस्पताल

मौजूदा समय में गुरुद्वारा बाला साहिब देश के सबसे बड़े डायलिसिस अस्पताल के चलते चर्चा में है. हाल ही में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से यहां पर देश का पहला सबसे बड़ा मुफ्त डायलिसिस अस्पताल का निर्माण कराया गया, जहां पर कोई भी व्यक्ति मुफ्त में डायलिसिस एमआरआई जैसी सुविधा का लाभ ले सकता है.

ये भी पढ़ें:-विश्व किडनी दिवस : इस अस्पताल में शुरू हुई निशुल्क डायलिसिस

इसके अलावा इस नए अस्पताल के साथ में पुरानी एक इमारत भी मौजूद है, जो करीब एक दशक से खंडहर बनी पड़ी है. जिसका निर्माण बाला साहेब अस्पताल के लिए किया गया था, लेकिन राजनीति की भेंट चल चुकी वो इमारत आज खंडहर का रूप ले चुकी है.

नई दिल्ली: आउटर रिंग रोड के पास स्थित गुरुद्वारा बाला साहिब सिखों के आठवें गुरु श्री हरकिशन महाराज जी को समर्पित है. कहा जाता है कि गुरु महाराज जी ने अपना अंतिम समय इसी स्थान पर गुजारा था और उन्होंने अपना शरीर यहीं त्याग दिया था, जहां मौजूदा समय में गुरुद्वारा बाला साहिब बना हुआ है. इसी स्थान पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था, जिसके बाद उनकी अस्थियां दिल्ली से बाहर पातालपुरी और गुरुद्वारा कीरतपुर साहिब ले जाई गई थीं.

गुरुद्वारा बाला साहिब सिखों के आठवें गुरु श्री हरकिशन महाराज जी को समर्पित

चेचक और हैजा बीमारी को लेकर की थी मदद

बताया जाता है कि उस समय चेचक और हैजा की भयानक बीमारी फैली थी, तो गुरु श्री हरकिशन महाराज जी युवा अवस्था में लोगों के बीच जाकर उनका इलाज किया करते थे और उनकी मदद करते थे. यह देख कर हर कोई प्रभावित था कि एक छोटा बालक बिना किसी भेदभाव के हर किसी की मदद कर रहा है. गुरु महाराज जी ने हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हर एक समुदाय के लोगों की सेवा की थी.

तंबू लगाकर रहे थे गुरु श्री हरकिशन साहेब जी

जब वह स्वयं इस बीमारी की चपेट में आ गए, तो उन्होंने लोगों से कहा कि उन्हें शहर से दूर ले जाएं, जिससे कि अन्य लोगों को यह बीमारी न हो पाए, जिसके बाद लोग उन्हें शहर से बाहर इस जगह ले कर आ गए. जहां मौजूदा समय में गुरुद्वारा बाला साहिब बना हुआ है.

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मौजूदा समय में भगवान नगर, आश्रम के नजदीक आउटर रिंग रोड पर यह गुरुद्वारा स्थित है. बताया जाता है कि पहले यहां से यमुना बहती थी, लेकिन बाद में उसका रास्ता बदल दिया गया और यहां गुरुद्वारा बाला साहिब का निर्माण हुआ. गुरु जी महाराज यहां यमुना के किनारे अपनी इच्छा के अनुसार खुले मैदान में तंबू लगाकर रहे थे.


हर धर्म के लोगों की करते थे मदद

मान्यता यह भी है कि जब चेचक और हैजा जैसी बीमारी हुई थी तो गुरु महाराज जी ने अपने ऊपर यह बीमारी ले ली थी और बाल अवस्था में बिना किसी भेदभाव के हर किसी की मदद की थी. गुरु जी के इस भाव को देखकर उस समय हर एक धर्म के प्रतिनिधि उनसे प्रभावित हुए थे कि एक बालक हर एक धर्म के लोगों का बिना भेदभाव के सेवा कर रहा है. मुस्लिम लोग उन्हें बालापीर कहकर बुलाते थे.


दिल्ली के 10 प्रमुख गुरुद्वारों में से एक

गुरु महाराज जी को जब चेचक की बीमारी हुई , तब वह केवल 8 वर्ष के थे और आज जहां गुरुद्वारा बाला साहिब है. यहीं उन्होंने अपना अंतिम समय व्यतीत किया, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार भी यहीं किया गया. इसलिए इस गुरुद्वारे का नाम बाला साहिब गुरुद्वारा रखा गया. गुरुद्वारा बाला साहिब दिल्ली के 10 प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है और सिखों के आठवें गुरु श्री हरकिशन महाराज जी को समर्पित है.



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गुरुद्वारे में माता सुंदरी कौर और माता साहिब कौर जी के भी अंगीठे

गुरुद्वारा परिसर में श्री गुरु गोविंद सिंह जी के महल माता सुंदरी कौर जी और माता साहिब कौर जी के अंगीठे भी मौजूद हैं. इसके साथ ही लंगर हॉल भी यहां बना हुआ है, जहां पर हर वक्त लंगर चलता है और दर्शन करने के लिए आने वाले लोगों के लिए यात्री हॉल की सुविधा भी है. साथ ही एक पुस्तकालय भी बना हुआ है, जहां पर सिखों के सभी धार्मिक गुरुओं की किताबें मौजूद है और सिखों का इतिहास उन पुस्तकों में समाहित है.

देश का पहला मुफ्त डायलिसिस अस्पताल

मौजूदा समय में गुरुद्वारा बाला साहिब देश के सबसे बड़े डायलिसिस अस्पताल के चलते चर्चा में है. हाल ही में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से यहां पर देश का पहला सबसे बड़ा मुफ्त डायलिसिस अस्पताल का निर्माण कराया गया, जहां पर कोई भी व्यक्ति मुफ्त में डायलिसिस एमआरआई जैसी सुविधा का लाभ ले सकता है.

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इसके अलावा इस नए अस्पताल के साथ में पुरानी एक इमारत भी मौजूद है, जो करीब एक दशक से खंडहर बनी पड़ी है. जिसका निर्माण बाला साहेब अस्पताल के लिए किया गया था, लेकिन राजनीति की भेंट चल चुकी वो इमारत आज खंडहर का रूप ले चुकी है.

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