नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 1984 के सिख कत्लेआम के केसों में से एक केस सज्जन कुमार के मामले में ज़मानत मिलने को लेकर विरोधी दल जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार की निंदा की. कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने वार्ता कर कहा कि सज्जन कुमार के खिलाफ केसों की पैरवी करने में मनजीत सिंह हमेशा नाकाम रहे हैं और मौजूदा टीम द्वारा केसों की डट कर पैरवी की जा रही है. कत्लेआम के सभी दोषियों को सजा दिलाने के लिए मुहिम जारी रहेगी.
नरसंहार केसों की अदालत में पैरवी कर रहे वकील गुरबख्श सिंह, उपाध्यक्ष सरदार आत्मा सिंह लुबाना सहित अन्यों द्वारा बताया गया कि जिस मामले में सज्जन कुमार की जमानत हुई है. वह केस अलग है और सज्जन कुमार को अलग केस में सजा हुई है. उन्होंने बताया कि दिसंबर 2018 में सज्जन कुमार को जिस दिल्ली कैंट की FIR जिसकी CBI ने जांच की तथा कड़कड़ढूमा अदालत ने उसे बरी किया था और दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसे सजा सुनाई थी, इस केस में वह जेल में बंद है इसमें उसे कोई ज़मानत नहीं मिली.
उन्होंने बताया कि दिल्ली कमेटी द्वारा पिछले 20 वर्षों में अधिवक्ता गुरबख्श सिंह ने नि:स्वार्थ हो कर सेवा की है तथा 35 वर्षों से यह सेवा करते आ रहे हैं. हम 1984 के सिख नरंसहार केसों की डट कर पैरवी कर रहे हैं और सभी दोषियों को सजा मिलने तक पैरवी करते रहेंगे. सरस्वती विहार के जिस केस में ज़मानत मिली है, उसकी बात करते हुए सरदार हरमीत सिंह कालका और सरदार जगदीप सिंह काहलों ने बताया कि इस मामले में गवाहों द्वारा कमेटी को वकालतनामा भर कर नहीं दिया गया, जिसके चलते वकील अदालत में पेश तो होते थे लेकिन जब जमानत की खबरें जगजाहिर हुईं तो हमारी वकील अवनीत कौर ने परिवारों से संपर्क कायम किया. उन्होंने वकालतनामे पर हस्ताक्षर कर दिये हैं और हम अब अदालत के माध्यम से जमानत को रद्द करवायेंगे.
उन्होंने बताया कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरदार मनजीत सिंह को राई का पहाड़ बनाने में महारत हासिल है और वह कौम को गुमराह करने पर लगे रहते हैं, जिससे कौम को नुकसान होने का भी डर है. जब मनजीत सिंह कमेटी के अध्यक्ष थे तब सज्जन कुमार को तीन अलग-अलग केसों में अदालत से जमानत मिली तब मनजीत सिंह ने चुप्पी साधे रखी. वास्तविकता तो यह है कि मनजीत सिंह इन केसों की पैरवी करने में नाकाम रहे थे. आज यह कमेटी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं.
दोनों नेताओं ने कहा कि वह हैरान हैं कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने भी बिना तथ्यों की पड़ताल किए दिल्ली कमेटी को जिम्मेदार ठहरा दिया है. जैसे सिंह साहिब बाकी मामलों पर विचार विमर्श करते हैं अगर इस मामले पर भी कर लेते तो बेहतर रहता, मगर अफसोस है कि ऐसा नहीं हुआ तथा इस संबंध में वह कुछ नहीं कहना चाहते, क्योंकि जत्थेदार सहिब बहुत ही आदरणीय शख्सीयत हैं.
दोनों नेताओं ने बताया कि सज्जन कुमार दिसंबर 2018 से जेल में बंद है और उसने 3 सितंबर 2021 में अंतरिम ज़मानत अर्जी लगाई थी. उसकी अर्जी अदालत द्वारा खारिज कर दी गई. 4 सितंबर 2020 को इसने जमानत अर्जी लगाई थी जिसमें अविनाश कुमार मिश्रा पेश हुए साथ ही श्री फुलका तथा श्री दवे पेश हुए और सज्जन कुमार की जमानत रद्द हुई है.
13 मई 2020 को सज्जन कुमार ने ग्रांट ऑफ पैरोल की अर्ज़ी लगाई थी जिसमें श्री अविनाश कुमार मिश्रा, दुष्यंत दवे और श्री फूलका पेश हुए और मेडिकल के आधार पर सज्जन कुमार की जमानत अर्जी रद्द हुई. दिल्ली कमेटी ने सभी केसों की पैरवी की. उन्होंने बताया कि फूलका ने भी विस्तार में बताया है और मोहर लगाई है कि दिल्ली कमेटी ने केस की पूरी पैरवी की है. दिल्ली कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में लगातार उसकी जेल से बाहर निकलने की कोशिश का पुरज़ोर विरोध किया. हमने उसकी प्रत्येक अर्जी का विरोध किया सज्ज्न कुमार ने बहुत बड़ा अपराध किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए उसकी जमानत हर बार रद्द की है जिसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट के भी आभारी हैं.
उन्होंने कहा कि दिल्ली कमेटी हमेशा सिख कत्लेआम के पीड़ितों की मदद की है और भविष्य में भी करती रहेगी तथा इनके इंसाफ की लड़ाई लड़ती रहेगी. इस मौके पर एडवोकेट गुरबख्श सिंह ने बताया कि कमेटी जिस प्रकार हमारी मदद कर रही है उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. गवाहों को पूरी सुरक्षा कमेटी ने प्रदान की और अदालत में पेशी के समय पूरी सुरक्षा दी. नरसंहार के दोषियों के ताकतवर होने के बावजूद कमेटी ने परवाह नहीं की, कमेटी हमेशा चौकस रही है और इन केसों की पूरी शिद्दत के साथ पैरवी कर रही है. कमेटी के उपाध्यक्ष आत्मा सिंह लुबाणा ने भी इन केसों की पैरवी पर प्रकाश डाला और कहा कि मनजीत सिंह सिख कौम की बड़ी संस्था के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं. इस मौके पर अन्यों के अलावा कमेटी के पदाधिकारी तथा वरिष्ठ सदस्य भी मौजूद रहे.
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