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शिक्षा मंत्री की पॉलिसी पर गेस्ट टीचर्स को नहीं है ऐतबार ! 7वें दिन भी प्रदर्शन जारी

बीते दिन दिल्ली सरकार ने गेस्ट टीचर्स के लिए जिस पॉलिसी का ऐलान किया, उस पर गेस्ट टीचर्स खुश नहीं है. नतीजा सातवें दिन भी शिक्षा मंत्री के आवास पर अतिथि अध्यापक प्रदर्शन कर रहे हैं

शिक्षा मंत्री की पॉलिसी पर गेस्ट टीचर्स को नहीं है ऐतबार !
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Published : Mar 7, 2019, 1:28 PM IST

नई दिल्ली: नियमित नौकरी के लिए प्रदर्शन कर रहे गेस्ट टीचर्स को केजरीवाल सरकार ने राहत देने के नाम पर कैबिनेट से पॉलिसी पास की है. जिसमें कहा गया कि गेस्ट टीचर्स नियमित अध्यापकों की तरह 60 बरस तक अपनी सेवाएं दे सकते हैं. लेकिन गेस्ट टीचर्स इस फैसले से खुश नहीं है उनका कहना है कि जो पॉलिसी कैबिनेट मीटिंग में पारित की गई वहां अतिथि शिक्षकों का एक भी नुमाइंदा नहीं था. गेस्ट टीचर्स का प्रदर्शन लगातार जारी है.

सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों का 58 साल की पॉलिसी को लेकर प्रदर्शन लगातार 6 दिन से जारी था, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने शिक्षकों के लिए कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर 60 साल की पॉलिसी को पारित कर दिया. लेकिन ये पॉलिसी तभी मान्य होगी जब एलजी अनिल बैजल इसे पारित करेंगे. इस बीच अतिथि शिक्षकों को स्कूलों में दोबारा ज्वाइन करने के लिए शिक्षा निदेशालय की तरफ से आदेश जारी किए गए हैं.

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लेकिन यहां भी स्पष्ट लिखा गया है कि कोर्ट का आदेश आने तक कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक, अटेंडेंस रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं करेगा. शिक्षा निदेशालय के जारी किए गए इस निर्देश को मानने से सभी अतिथि शिक्षकों ने इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि ये महज अपना काम निकलवाने के लिए एक षड्यंत्र रचा जा रहा है और अब कोई भी शिक्षक इस झांसे में आने वाला नहीं. पॉलिसी के सिवा कोई भी एक्सटेंशन स्वीकार नहीं किया जाएगा.

बता दें अतिथि शिक्षकों की अनुपस्थिति में चरमराई सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने बुधवार को आपातकालीन कैबिनेट की मीटिंग बुलाई थी जिसमें उन्होंने 60 साल की पॉलिसी को पारित कर शिक्षकों की मांगे मान ली गई. साथ ही इस पॉलिसी को एलजी के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया. अब देखने वाली बात होगी कि यह पॉलिसी एलजी के पास से कब तक पास होती है.

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शिक्षा मंत्री की पॉलिसी पर गेस्ट टीचर्स को नहीं है ऐतबार !

वहीं एक्सटेंशन के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी किए गए ऑर्डर को लेकर भी अतिथि शिक्षकों में काफी रोष है. उनका कहना है कि जब पॉलिसी बन ही रही थी तो एक्सटेंशन का सर्कुलर निकालने की क्या जरूरत पड़ गई. ऐसे में सभी के मन में सवाल खड़ा हो रहा है कि शिक्षा निदेशालय अपना उल्लू सीधा करने के लिए शिक्षकों को 15 दिन का लॉलीपॉप थमा रहा है. उस पर भी सैलरी मिलेगी या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है.

सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं लगाएगा, केवल एक सादे पन्ने पर हस्ताक्षर लिए जाएंगे. ऐसे में सभी अतिथि शिक्षकों ने स्कूलों का बहिष्कार कर दिया और 15 दिन का एक्सटेंशन लेने से मना कर दिया. सभी अपनी मांग पर अड़े हैं और प्रदर्शन सातवें दिन भी मनीष सिसोदिया के आवास पर जारी है.

इधर कैबिनेट में पॉलिसी पारित होने के बाद राजनीति गरमा गई है बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने ट्वीट कर एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने हरियाणा सरकार की बनाई गई पॉलिसी की तर्ज पर बनी पॉलिसी को दिल्ली में लागू करने पर खुशी जाहिर की है साथ ही शिक्षा मंत्री को ही अतिथि शिक्षकों की इस हालत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगर अतिथि शिक्षकों की पॉलिसी हरियाणा सरकार की बनाई गई पॉलिसी की तर्ज पर बनी है तो बीजेपी भी अतिथि शिक्षकों के समर्थन में ही खड़ी होगी और जो भी बन पड़ेगा उनके लिए जरूर करेगी.

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गुरुवार दोपहर 1बजे सिसोदिया आवास पर अतिथि शिक्षकों से मिलने का वक्त दिया गया है. मनोज तिवारी ने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को भी पॉलिसी के साथ बुलाया है ताकि उस पर भी चर्चा की जा सके और ये तय किया जा सके कि ये पॉलिसी हरियाणा सरकार की पॉलिसी जैसी है या नहीं.

नई दिल्ली: नियमित नौकरी के लिए प्रदर्शन कर रहे गेस्ट टीचर्स को केजरीवाल सरकार ने राहत देने के नाम पर कैबिनेट से पॉलिसी पास की है. जिसमें कहा गया कि गेस्ट टीचर्स नियमित अध्यापकों की तरह 60 बरस तक अपनी सेवाएं दे सकते हैं. लेकिन गेस्ट टीचर्स इस फैसले से खुश नहीं है उनका कहना है कि जो पॉलिसी कैबिनेट मीटिंग में पारित की गई वहां अतिथि शिक्षकों का एक भी नुमाइंदा नहीं था. गेस्ट टीचर्स का प्रदर्शन लगातार जारी है.

सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों का 58 साल की पॉलिसी को लेकर प्रदर्शन लगातार 6 दिन से जारी था, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने शिक्षकों के लिए कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर 60 साल की पॉलिसी को पारित कर दिया. लेकिन ये पॉलिसी तभी मान्य होगी जब एलजी अनिल बैजल इसे पारित करेंगे. इस बीच अतिथि शिक्षकों को स्कूलों में दोबारा ज्वाइन करने के लिए शिक्षा निदेशालय की तरफ से आदेश जारी किए गए हैं.

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लेकिन यहां भी स्पष्ट लिखा गया है कि कोर्ट का आदेश आने तक कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक, अटेंडेंस रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं करेगा. शिक्षा निदेशालय के जारी किए गए इस निर्देश को मानने से सभी अतिथि शिक्षकों ने इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि ये महज अपना काम निकलवाने के लिए एक षड्यंत्र रचा जा रहा है और अब कोई भी शिक्षक इस झांसे में आने वाला नहीं. पॉलिसी के सिवा कोई भी एक्सटेंशन स्वीकार नहीं किया जाएगा.

बता दें अतिथि शिक्षकों की अनुपस्थिति में चरमराई सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने बुधवार को आपातकालीन कैबिनेट की मीटिंग बुलाई थी जिसमें उन्होंने 60 साल की पॉलिसी को पारित कर शिक्षकों की मांगे मान ली गई. साथ ही इस पॉलिसी को एलजी के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया. अब देखने वाली बात होगी कि यह पॉलिसी एलजी के पास से कब तक पास होती है.

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शिक्षा मंत्री की पॉलिसी पर गेस्ट टीचर्स को नहीं है ऐतबार !

वहीं एक्सटेंशन के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी किए गए ऑर्डर को लेकर भी अतिथि शिक्षकों में काफी रोष है. उनका कहना है कि जब पॉलिसी बन ही रही थी तो एक्सटेंशन का सर्कुलर निकालने की क्या जरूरत पड़ गई. ऐसे में सभी के मन में सवाल खड़ा हो रहा है कि शिक्षा निदेशालय अपना उल्लू सीधा करने के लिए शिक्षकों को 15 दिन का लॉलीपॉप थमा रहा है. उस पर भी सैलरी मिलेगी या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है.

सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं लगाएगा, केवल एक सादे पन्ने पर हस्ताक्षर लिए जाएंगे. ऐसे में सभी अतिथि शिक्षकों ने स्कूलों का बहिष्कार कर दिया और 15 दिन का एक्सटेंशन लेने से मना कर दिया. सभी अपनी मांग पर अड़े हैं और प्रदर्शन सातवें दिन भी मनीष सिसोदिया के आवास पर जारी है.

इधर कैबिनेट में पॉलिसी पारित होने के बाद राजनीति गरमा गई है बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने ट्वीट कर एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने हरियाणा सरकार की बनाई गई पॉलिसी की तर्ज पर बनी पॉलिसी को दिल्ली में लागू करने पर खुशी जाहिर की है साथ ही शिक्षा मंत्री को ही अतिथि शिक्षकों की इस हालत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगर अतिथि शिक्षकों की पॉलिसी हरियाणा सरकार की बनाई गई पॉलिसी की तर्ज पर बनी है तो बीजेपी भी अतिथि शिक्षकों के समर्थन में ही खड़ी होगी और जो भी बन पड़ेगा उनके लिए जरूर करेगी.

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गुरुवार दोपहर 1बजे सिसोदिया आवास पर अतिथि शिक्षकों से मिलने का वक्त दिया गया है. मनोज तिवारी ने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को भी पॉलिसी के साथ बुलाया है ताकि उस पर भी चर्चा की जा सके और ये तय किया जा सके कि ये पॉलिसी हरियाणा सरकार की पॉलिसी जैसी है या नहीं.

Intro:सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों का 58 साल की पॉलिसी को लेकर प्रदर्शन लगातार 6 दिन से जारी था, जिसके चलते दिल्ली सरकार ने शिक्षकों के लिए कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर 60 साल की पॉलिसी को पारित कर दिया है. लेकिन यह पॉलिसी तभी मान्य होगी जब एलजी अनिल बैजल इसे पारित करेंगे. इस बीच अतिथि शिक्षकों को स्कूलों में दोबारा ज्वाइन करने के लिए शिक्षा निदेशालय की तरफ से आदेश जारी किए गए हैं लेकिन उसमें भी स्पष्ट लिखा गया है कि कोर्ट का आदेश आने तक कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक, अटेंडेंस रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं करेगा. शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए इस निर्देश को मानने से सभी अतिथि शिक्षकों ने इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि यह महज अपना काम निकलवाने के लिए एक षड्यंत्र रचा जा रहा है और अब कोई भी शिक्षक इस झांसे में आने वाला नहीं. पॉलिसी के सिवा कोई भी एक्सटेंशन आफ स्वीकार नहीं.


Body:बता दें कि अतिथि शिक्षकों की अनुपस्थिति में चरमराई सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने बुधवार को आपातकालीन कैबिनेट की मीटिंग बुलाई थी जिसमें उन्होंने 60 साल की पॉलिसी को पारित कर शिक्षकों की मांगे मान ली है. साथ ही इस पॉलिसी को एलजी के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है. अब देखने वाली बात होगी की यह पॉलिसी एलजी के पास से कब तक पास होती है. वहीं पॉलिसी पारित होने के बाद भी अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है. उनका कहना है कि जब यह पॉलिसी कैबिनेट मीटिंग में पारित की गई तो वहां अतिथि शिक्षकों का एक भी नुमाइंदा नहीं था इसलिए सभी की यह मांग है कि वह एक बार पॉलिसी मे लिखे गए बिंदुओं को पढ़ना चाहते हैं इसके बाद ही वह एलजी के पास इसे पास करने की गुहार लेकर पहुंचेंगे.

वहीं एक्सटेंशन के लिए शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए ऑर्डर को लेकर भी अतिथि शिक्षकों में काफी रोष है. उनका कहना है कि जब पॉलिसी बन ही रही थी तो एक्सटेंशन का सर्कुलर निकालने की क्या जरूरत पड़ गई. ऐसे में सभी के मन में सवाल खड़ा हो रहा है कि शिक्षा निदेशालय अपना उल्लू सीधा करने के लिए शिक्षकों को 15 दिन का लॉलीपॉप थमा रही है. उस पर भी सैलरी मिलेगी या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है क्योंकि सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं लगाएगा, केवल एक सादे पन्ने पर हस्ताक्षर लिए जाएंगे. ऐसे में सभी अतिथि शिक्षकों ने स्कूलों का बहिष्कार कर दिया और 15 दिन का एक्सटेंशन लेने से मना कर दिया. सभी अपनी मांग पर अड़े हैं और प्रदर्शन बदस्तूर सातवें दिन भी मनीष सिसोदिया के आवास पर जारी है.


Conclusion:वहीं कैबिनेट में पॉलिसी पारित होने के बाद राजनीति गरम हो गई है बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने ट्वीट कर एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई पॉलिसी की तर्ज पर बनी पॉलिसी को दिल्ली सरकार द्वारा पारित करने पर खुशी जाहिर की है साथ ही शिक्षा मंत्री को ही अतिथि शिक्षकों की इस हालत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि यदि अतिथि शिक्षकों की पॉलिसी हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई पॉलिसी की तर्ज पर बनी है तो बीजेपी भी अतिथि शिक्षकों के समर्थन में ही खड़ी होगी और जो भी बन पड़ेगा उनके लिए जरूर करेगी. इसके लिए उन्होंने गुरुवार दोपहर 1बजे सिसोदिया आवास पर अतिथि शिक्षकों से मिलने का वक्त दिया है. साथ ही उन्होंने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को भी पॉलिसी के साथ बुलाया है जिससे उस पर चर्चा की जा सके और यह तय किया जा सके कि वह हरियाणा सरकार द्वारा पारित पॉलिसी पर बना है या नहीं.
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