नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को कई सरकारी स्कूलों ने वेतनमान कम होने का नोटिस थमा दिया. साथ ही सीटेट की वैधता का खत्म होने का हवाला देकर बकाया वसूली का नोटिस दे दिया. इसका विरोध करते हुए अतिथि शिक्षकों ने कहा कि सीटेट की वैधता खत्म होना वेतनमान घटाने का कोई आधार नहीं है.
साथ ही कहा कि अगर यह नियम है तो नियमित शिक्षकों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. हालांकि, शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी स्कूलों को इस तरह का नोटिस वापस लेने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. साथ ही कहा गया है कि अतिथि शिक्षकों का मामला अदालत में लंबित होने के कारण उनकी सेवाएं अक्टूबर तक जारी रहेंगी.
अतिथि शिक्षकों का वेतनमान घटा दिया गया
बता दें कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 7 वर्ष से काम कर रहे अतिथि शिक्षकों का अचानक से वेतनमान घटा दिया गया. दिल्ली के कुछ सरकारी स्कूलों की ओर से उन्हें एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें 300 से 400 रुपये प्रतिदिन तक की कटौती उनके वेतन में किए जाने की बात कही गई है.
80 हजार का बकाया लौटाना पड़ सकता है
साथ ही सीटेट की वैधता खत्म होने के बाद से उन्होंने जो भी वेतन लिया है. उसमें से बकाया राशि लौटाने का भी नोटिस दिया गया है. इसके चलते अतिथि शिक्षकों को 80 हजार रुपये तक का बकाया लौटाना पड़ सकता है.
इन स्कूलों ने जारी किया नोटिस
दक्षिणी दिल्ली में देवली का बच्चा प्रसाद सर्वोदय कन्या विद्यालय, अंबेडकर नगर के सेक्टर 5 का गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल, अंबेडकर नगर सेक्टर 4 का सर्वोदय बाल विद्यालय आदि स्कूलों ने अतिथि शिक्षकों को इस तरह का नोटिस जारी कर दिया है जिसका अतिथि शिक्षक विरोध कर रहे हैं.
नोटिस को ज्यादती बताया
अतिथि शिक्षकों ने इस तरह के नोटिस को अपने साथ ज्यादती बताया है. उन्होंने कहा कि अगर यह नियम है तो केवल अतिथि शिक्षकों पर ही गाज क्यों गिरती है. यदि सीटेट की वैधता खत्म होना, अतिथि शिक्षकों का वेतनमान घटाने का क्राइटेरिया है तो यह क्राइटेरिया नियमित शिक्षकों पर भी लागू होना चाहिए. वहीं राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने अतिथि शिक्षकों के साथ किए गए इस बर्ताव की निंदा की है. इसके अलावा ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के सदस्य शोएब राणा ने भी नोटिस वापस लिए जाने की मांग की है.
वहीं सीटेट की वैधता समाप्त होने की बात को लेकर अतिथि शिक्षकों का तर्क है कि सीटेट की 7 साल की वैधता आवेदन करने के लिए निर्धारित होती है ना कि काम कर रहे शिक्षकों की योग्यता के लिए. ऐसे में सीटेट की वैधता खत्म होने के चलते वेतनमान घटा देना अतिथि शिक्षकों के साथ ज्यादती है.
नोटिस वापस लेने का आदेश जारी
हालांकि शिक्षा निदेशालय की ओर से इस तरह के नोटिस को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया गया है. एक उच्च अधिकारी ने कहा कि यह नोटिस स्कूलों ने बिना शिक्षा निदेशालय की अनुमति के भेजे हैं. साथ ही सभी स्कूलों को यह निर्देश दिया गया है कि अतिथि शिक्षकों का मामला अदालत में लंबित है और एलजी कार्यालय की ओर से अतिथि शिक्षकों को अक्टूबर तक सेवा जारी रखने का आदेश दिया गया है. इसलिए तब तक इस तरह का कोई भी नोटिस किसी भी अतिथि शिक्षक को जारी नहीं किया जा सकता.
बता दें कि लगभग 22 हज़ार अतिथि शिक्षक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत हैं जिन्हें प्रतिदिन के हिसाब से वेतन दिया जाता है और इनका कार्यकाल आगे बढ़ेगा या नहीं इसको लेकर अदालत में केस चल रहा है जिसकी सुनवाई अक्टूबर माह में होगी.