नई दिल्ली: इन दिनों देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. ऐसे में कई सरकारी विद्यालयों को शेल्टर होम्स में तब्दील कर विस्थापित मजदूरों को यहां ठहराया गया है. वहीं नॉर्थ दिल्ली डीएम की ओर से एक आदेश जारी किया गया है कि विस्थापित मजदूरों के लिए सभी शेल्टर होम्स में हैप्पीनेस और योग की क्लास लगाई जाएंगी. वहीं इसका राजकीय स्कूल शिक्षक संघ (जीएसटीए) ने पुरजोर विरोध किया है. राजकीय स्कूल शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव का कहना है कि कोरोना महामारी में बिना किसी जमीनी हकीकत को जांचे मात्र हैप्पीनेस क्लास का विज्ञापन करने के लिए शिक्षा मंत्री महामारी के दौर में भी वाहवाही लूटने का प्रयास कर रहे हैं.
'नशे की लत के शिकार'
विस्थापित मजदूरों के लिए हैप्पीनेस क्लास लगाए जाने के फरमान को लेकर राजकीय स्कूल शिक्षक संघ के महासचिव अजयवीर यादव ने कहा कि इस समय में सभी शिक्षक फ्रंटलाइन वॉरियर्स की तरह काम कर रहे हैं. ऐसे में अब हैप्पीनेस क्लास लगाने का फरमान सरासर निंदनीय है. उन्होंने कहा कि जिन मजदूरों के लिए सरकार हैप्पीनेस कराने की बात कर रही है. उन्हें बड़ी संख्या में बिना किसी स्कैनिंग या जांच के शेल्टर होम्स में ठहरा दिया गया है. इनमें से कई मजदूर ऐसे हैं. जो पहले से ही कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. उनका कोई उपचार तक नहीं हो पाया है. उसके अलावा ज्यादातर मजदूर तंबाकू, गुटखा, पान मसाला जैसे नशीले पदार्थों की लत से ग्रस्त हैं और लंबे समय से ये सब ना मिलने के कारण अब वो उत्पात मचाने लगे हैं. आलम ये है कि वो कई बार दीवार फांद कर बाहर भागने की कोशिश भी कर चुके हैं.
'मजदूरों को हैप्पीनेस क्लास देना उनका मजाक बनाना है'
अजय वीर यादव ने कहा कि शेल्टर होम में लोगों को जो सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. वो ऊंट के मुंह में जीरा के जैसी हैं. यानी महज खानापूर्ति हैं और वहां रहने वाले विस्थापित मजदूरों की अवस्था कारावास के कैदियों जैसी होकर रह गई है. सभी मूलभूत सुविधाओं से वंचित, व्याकुल, पीड़ित, आक्रोशित और उत्तेजित इस मजदूर वर्ग की दयनीय परिस्थिति में हैप्पीनेस और योग कक्षाएं कराना उनका मजाक बनाना है.
'35 सालों से नहीं हुई योगा शिक्षक की भर्ती, योग कौन कराएगा'
वहीं उन्होंने कहा कि दिल्ली में पिछले 35 साल से किसी भी योग शिक्षक की भर्ती नहीं हुई है और जो थोड़े बहुत योगा शिक्षक हैं. अभी वो भी एक साल में रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में इन शेल्टर होम्स में मजदूरों को योगा कौन कराएगा. वहीं उन्होंने शिक्षा मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि हैप्पीनेस क्लास शिक्षा मंत्री का एक जुनून है. जिससे वो हर परिस्थिति में प्रभावी दिखाने की कोशिश में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस समय मजदूरों को भोजन, पानी, दवा जैसी रोजमर्रा में इस्तेमाल आने वाली चीजों की जरूरत है. उन्हें वो मुहैया कराने के बजाय हैप्पीनेस क्लास देना उनके साथ मजाक करना है.
'जरूरी सुरक्षा उपकरणों से भी हैं मेहरूम'
साथ ही उन्होंने कहा कि इस समय दिल्ली के सभी शिक्षक कोरोना के इस युद्ध में सरकारी स्कूलों में बनाए शेल्टर होम, क्वॉरेंटाइन सेंटर, खाना वितरण केंद्र, हॉटस्पॉट एरिया और स्लम एरिया में लगातार देश हित में समर्पण भाव से कार्य कर रहे हैं. लेकिन सरकार को इतनी भी सुध नहीं कि उन्हें सेफ्टी मास्क, सैनिटाइजर जैसे मूलभूत उपकरण उपलब्ध कराए जाए.
उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस बात को भी दोहराया जिसमें उन्होंने कहा था कि सबसे पहले ड्यूटी कर रहे सरकारी लोगों की रैपिड जांच कराई जाएगी. इन सब के बावजूद ऐसे तनाव और कोविड-19 महामारी के समय में हैप्पीनेस और योगा क्लास को विज्ञापन बनाकर दिल्ली को अलग से दिखाकर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया वाहवाही लूटने की चेष्टा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो जानबूझकर शिक्षकों को मौत के कुएं में ढकेल रहे हैं. लेकिन शिक्षकों को मौत के बदले 1 करोड रुपये का सौदा भी ना मंजूर है.
वहीं उन्होंने कहा कि समस्त शिक्षक इस आदेश की भर्त्सना करते हैं और प्रशासन से जल्द से जल्द इस आदेश को वापस लेने की मांग करते हैं क्योंकि किसी भी परिस्थिति में इसका पालन संभव नहीं है.