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ऑनलाइन पढ़ाने से बढ़ी डाटा खपत, शिक्षकों ने याद दिलाया डाटा बिल भुगतान का वादा - दिल्ली स्कूल ऑनलाइन क्लास

कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब ऑनलाइन टीचिंग ही एकमात्र विकल्प रह गया है. शिक्षकों का बहुत सा डाटा इस्तेमाल हो रहा है. जिस कारण शिक्षकों को अब इंटरनेट का अतिरिक्त खर्च भी वहन करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकारी स्कूल शिक्षक संघ के सदस्य, शिक्षक दिल्ली सरकार को उनके 200 रुपये बिल भुगतान करने के वायदे को याद दिला रहे हैं.

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डाटा बिल भुगतान का वादा
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Published : Sep 19, 2020, 2:21 PM IST

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए टेबलेट मुहैया कराए थे. जो आज इस संक्रमण के दौरान ऑनलाइन क्लास देने के भी काम आ रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन क्लास के चलते शिक्षकों पर इंटरनेट के खर्चे का अतिरिक्त बोझ पड़ गया है. ऐसे में शिक्षक दिल्ली सरकार को उनके 200 रुपये बिल भुगतान करने के वायदे को याद दिला रहे हैं. मांग कर रहे हैं कि उनके डाटा खर्च का भुगतान दिया जाए.

डाटा बिल भुगतान का वादा
'टैबलेट तो मिले पर डाटा खर्च देने का वायदा भूली सरकार'
बता दें कि दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को टैबलेट मुहैया कराया था. साथ ही ये निर्देश दिया था कि छात्रों की हाजिरी सहित सभी काम टेबलेट पर ही किए जाएंगे. इसके अलावा शिक्षकों को 200 रुपए प्रति माह इंटरनेट खर्च भी देने की बात कही गई थी, लेकिन आज करीब डेढ़ साल बीत जाने पर भी किसी शिक्षक को टेबलेट बिल का भुगतान नहीं मिल पाया है.

वहीं कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब ऑनलाइन टीचिंग ही एकमात्र विकल्प रह गया है. शिक्षकों का बहुत सा डाटा इस्तेमाल हो रहा है और अब शिक्षक दिल्ली सरकार को उसके वायदे याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे दिल्ली सरकार लगभग भूल चुकी है.



'शिक्षकों को वहन करना पड़ रहा है नेट का अतिरिक्त खर्च'

वहीं इसको लेकर संतराम, सेक्रेटरी, डिस्ट्रिक्ट वेस्ट ए, जीएसटीए ने कहा कि इस महामारी के दौर में ऑनलाइन टीचिंग ही फिलहाल विकल्प के तौर पर उपलब्ध है लेकिन शिक्षकों को भी इस दौरान काफी खर्च वहन करना पड़ रहा है.


उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा परेशानी अतिथि शिक्षकों को हो रही है, जिनका वेतन मान भी कम है और उन्हें अपने घर खर्च के साथ-साथ उन्हें अब इंटरनेट का अतिरिक्त खर्च भी वहन करना पड़ रहा है. टैबलेट वितरण के दौरान 200 रुपये प्रति माह बिल भुगतान के लिए दिए जाने की भी बात कही गई थी, लेकिन उसकी प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी गई है कि अभी तक कोई उससे लाभ नहीं ले सका है.


ऐसे में उन्होंने कहा कि पोस्टपेड कनेक्शन की जो अनिवार्यता रखी गई है. उस पर विचार कर दिल्ली सरकार कोई ऐसा विकल्प निकाले कि प्रीपेड कनेक्शन से टेबलेट के जरिए ऑनलाइन क्लासेस दे रहे शिक्षकों को भी उनका डाटा खर्च मिल सके.



डाटा खर्च देने की मांग कर रहे हैं शिक्षक

वहीं जीएसटीए (सरकारी स्कूल शिक्षक संघ) के सदस्य सतीश ने कहा कि महामारी के दौरान में जब ऑनलाइन टीचिंग का ही सहारा है. ऐसे में शिक्षक और छात्र दोनों ही डाटा खर्च से परेशान है. जहां छात्रों के पास स्कूल आकर वर्कशीट लेने का विकल्प है. वहीं शिक्षकों के पास ऐसा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे में शिक्षकों की परेशानी को देखते हुए उन्हें डाटा के लिए फंड दिया जाना चाहिए. जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ ना पड़े.



बता दें कि शैक्षिक संस्थान बंद होने के बाद से शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. जबकि शिक्षा निदेशालय भी प्रतिदिन बच्चों के लिए वर्कशीट भेज रहा है. ऐसे में जो छात्र ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े हैं, वो ऑनलाइन ही वर्कशीट पूरा कर रहे हैं. जबकि जिनके पास संसाधन नहीं है. वो स्कूल आकर वर्कशीट ले जाकर और फिर उसे जमा करा रहे हैं.

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए टेबलेट मुहैया कराए थे. जो आज इस संक्रमण के दौरान ऑनलाइन क्लास देने के भी काम आ रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन क्लास के चलते शिक्षकों पर इंटरनेट के खर्चे का अतिरिक्त बोझ पड़ गया है. ऐसे में शिक्षक दिल्ली सरकार को उनके 200 रुपये बिल भुगतान करने के वायदे को याद दिला रहे हैं. मांग कर रहे हैं कि उनके डाटा खर्च का भुगतान दिया जाए.

डाटा बिल भुगतान का वादा
'टैबलेट तो मिले पर डाटा खर्च देने का वायदा भूली सरकार'
बता दें कि दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को टैबलेट मुहैया कराया था. साथ ही ये निर्देश दिया था कि छात्रों की हाजिरी सहित सभी काम टेबलेट पर ही किए जाएंगे. इसके अलावा शिक्षकों को 200 रुपए प्रति माह इंटरनेट खर्च भी देने की बात कही गई थी, लेकिन आज करीब डेढ़ साल बीत जाने पर भी किसी शिक्षक को टेबलेट बिल का भुगतान नहीं मिल पाया है.

वहीं कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब ऑनलाइन टीचिंग ही एकमात्र विकल्प रह गया है. शिक्षकों का बहुत सा डाटा इस्तेमाल हो रहा है और अब शिक्षक दिल्ली सरकार को उसके वायदे याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे दिल्ली सरकार लगभग भूल चुकी है.



'शिक्षकों को वहन करना पड़ रहा है नेट का अतिरिक्त खर्च'

वहीं इसको लेकर संतराम, सेक्रेटरी, डिस्ट्रिक्ट वेस्ट ए, जीएसटीए ने कहा कि इस महामारी के दौर में ऑनलाइन टीचिंग ही फिलहाल विकल्प के तौर पर उपलब्ध है लेकिन शिक्षकों को भी इस दौरान काफी खर्च वहन करना पड़ रहा है.


उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा परेशानी अतिथि शिक्षकों को हो रही है, जिनका वेतन मान भी कम है और उन्हें अपने घर खर्च के साथ-साथ उन्हें अब इंटरनेट का अतिरिक्त खर्च भी वहन करना पड़ रहा है. टैबलेट वितरण के दौरान 200 रुपये प्रति माह बिल भुगतान के लिए दिए जाने की भी बात कही गई थी, लेकिन उसकी प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी गई है कि अभी तक कोई उससे लाभ नहीं ले सका है.


ऐसे में उन्होंने कहा कि पोस्टपेड कनेक्शन की जो अनिवार्यता रखी गई है. उस पर विचार कर दिल्ली सरकार कोई ऐसा विकल्प निकाले कि प्रीपेड कनेक्शन से टेबलेट के जरिए ऑनलाइन क्लासेस दे रहे शिक्षकों को भी उनका डाटा खर्च मिल सके.



डाटा खर्च देने की मांग कर रहे हैं शिक्षक

वहीं जीएसटीए (सरकारी स्कूल शिक्षक संघ) के सदस्य सतीश ने कहा कि महामारी के दौरान में जब ऑनलाइन टीचिंग का ही सहारा है. ऐसे में शिक्षक और छात्र दोनों ही डाटा खर्च से परेशान है. जहां छात्रों के पास स्कूल आकर वर्कशीट लेने का विकल्प है. वहीं शिक्षकों के पास ऐसा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे में शिक्षकों की परेशानी को देखते हुए उन्हें डाटा के लिए फंड दिया जाना चाहिए. जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ ना पड़े.



बता दें कि शैक्षिक संस्थान बंद होने के बाद से शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. जबकि शिक्षा निदेशालय भी प्रतिदिन बच्चों के लिए वर्कशीट भेज रहा है. ऐसे में जो छात्र ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े हैं, वो ऑनलाइन ही वर्कशीट पूरा कर रहे हैं. जबकि जिनके पास संसाधन नहीं है. वो स्कूल आकर वर्कशीट ले जाकर और फिर उसे जमा करा रहे हैं.

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