नई दिल्ली: दिल्ली में पिछले करीब एक दशक से इंडिया आर्ट फेस्टिवल अपनी पूरी भव्यता और सांस्कृतिक रंगों को समेटने की अनूठी पहल करता रहा है. इस बार भी दो से पांच नवंबर तक दिल्ली का कंस्टीट्यूशन क्लब में लगे इंडिया आर्ट फेस्टिवल का रविवार को समापन होने जा रहा है. यह मेला 2 नवंबर को शुरू हुआ था और 5 नवंबर को इसका समापन होने जा रहा है. इस दौरान यहां हजारों की संख्या में कला प्रेमियों की भीड़ देखी गई. आपको बता दें कि यहां करीब चार सौ कलाकारों की 3500 से ज्यादा कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं. इन कलाकारों के लिए सौ कलात्मक बूथ भी बनाए गए हैं .
इंडिया आर्ट फेस्टिवल में कलाकारों को बड़ा मंच देने की कोशिश
इंडिया आर्ट फेस्टिवल के संस्थापक और प्रबंध निदेशक राजेन्द्र पाटील मानते हैं कि कलाकारों को जो सम्मान और जगह मिलनी चाहिए, उसके लिए उनका मंच धीरे धीरे एक बड़ा मंच बनता जा रहा है. फिलहाल दिल्ली के अलावा मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, अहमदाबाद और जयपुर जैसे शहरों में इंडिया आर्ट फेस्टिवल कलाकारों को बड़ा मंच देने की कोशिश कर रहा है.
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पूरे साल देश -विदेश में करीब 75 ऐसे आयोजन
साथ ही अब यह फेस्टिवल भारत के बाहर भी कनाडा, यूके, इस्राइल, कतर, श्रीलंका, सिंगापुर और यूएई जैसे देशों में पूरे साल करीब 75 ऐसे आयोजन करता है जिससे कला और कलाकारों को जन जन तक पहुंचाया जा सके. पाटील के मुताबिक उनका मकसद फेस्टिवल और गैलरी में प्रदर्शित की जाने वाली कलाकृतियों की क्वालिटी को लगातार बेहतर बनाना और आम आदमी के करीब पहुंचाना है.
कलाकारों को उनके काम की बेहतर कीमत मिल रही
बड़े नामों के साथ साथ उनका मुख्य जोर उन कलाकारों पर होता है जो स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, किसी संस्था से नहीं जुड़े हैं या जिन्हें बेहतर जगह या मंच नहीं मिल पाता. इंडिया आर्ट फेस्टिवल को एक ऐसे प्लेटफॉर्म के तौर पर विकसित किया गया है जहां कला के पारखी आए और इन कलाकृतियों, पेंटिग्स, मूर्तिशिल्प को उचित सम्मान मिले, और इनकी बेहतर तरीके से मार्केटिंग भी हो सके. कला के खरीदारों की संख्या भी यहां बढ़ रही है और कलाकारों को उनके काम की बेहतर कीमत मिल रही है.
लाइव पेंटिंग प्रदर्शनी और कलात्मक फिल्म स्क्रीनिंग इस बार है खास आकर्षण
इस बार इसमें पेंटिंग, मूर्तिशिल्प के अलावा कई फ्यूजन शो, लाइव संगीत प्रदर्शन, मंत्रमुग्ध कर देने वाली लाइव पेंटिंग की प्रदर्शनी और एक कलात्मक फिल्म स्क्रीनिंग भी हो रही है. इस आयोजन की एक विशिष्ट विशेषता ज्ञानवर्धक फिल्म "द इटरनल कैनवस - 12,000 इयर्स जर्नी थ्रू इंडियन आर्ट" है, जो सदियों से फैली भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत की एक सिनेमाई खोज है. यह सिनेमाई यात्रा प्रागैतिहासिक काल से लेकर समकालीन अभिव्यक्तियों तक भारतीय कला के विकास का व्यापक अवलोकन करने की कोशिश है.