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Safdarjung Hospital में एक बच्ची की हाथ की कटी अंगुली को पैर के अंगूठे से जोड़कर मिली नई जिंदगी

सफदरजंग अस्पताल में पैर की उंगलियों को हाथ में प्रत्यारोपित कर एक बच्ची को नई जिंदगी मिली है. बच्ची का चारा काटने की मशीन में अंगुली कट गई थी. इस तरह वह कोई भी काम नहीं कर पा रही थी. अब इस प्रत्यारोपण के बाद उसके अंग काम कर रहे हैं. यह अपनी तरह का पहला मामला है.

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Published : May 20, 2023, 1:48 PM IST

नई दिल्ली: सफदरजंग अस्पताल में एक सूक्ष्म जटिल सर्जरी कर एक बच्ची की कटी उंगलियों को जोड़कर उसे एक नया जीवन दिया गया है. प्रोफेसर राकेश कैन और उनकी टीम द्वारा एक दुर्लभ, जटिल सूक्ष्म संवहनी सर्जरी 'पैर की उंगलियों को उंगली रहित हाथ में प्रत्यारोपित' सफलतापूर्वक किया गया और उसे पूरी तरह से काम करने वाली उंगलियां दी गईं. अस्पताल के एमएस डॉ बी एल शेरवाल ने इस सफलता पर डॉ शलभ एचओडी और पूरी टीम को बधाई दी. 16 मई 2023 को इसकी सर्जरी की गई और चार पोस्ट ऑपरेटिव दिनों के बाद बच्चा ठीक है और उंगलियां ठीक से काम कर रही है.

चारा काटने की मशीन में कटी थी उंगलियां
बता दें कि अलवर राजस्थान की रहने वाली मायरा दो साल पहले एक दुर्घटना का शिकार हो गई थी. जब उसके हाथ घूमने वाली चारा काटने की मशीन में आ गए थे, जिसके परिणामस्वरूप सभी उंगलियों और दोनों हाथों की हथेली का हिस्सा पूरी तरह से कट गया था. उस समय उसका परिवार अंगुलियां मिलाने की उम्मीद लेकर अस्पताल गया था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका. तब से दोनों हाथों की अंगुलियों और अंगूठों के न होने के कारण उसने अपने नियमित काम करने या खिलौनों से खेलने में सक्षम नहीं थी. उसे इस डर से स्कूल में भर्ती नहीं किया गया था कि वह लिखने के लिए कलम नहीं पकड़ पाएगी.

बच्ची की उंगलियों का हुआ सफल प्रत्यारोपण
बच्ची की उंगलियों का हुआ सफल प्रत्यारोपण
बाएं पैर की उंगलियों को हाथ में लगायानायरा के पिता नेत राम, जो एक किसान के पुत्र हैं और स्नातक कर रहे हैं, उन्हें नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग में किए जा रहे फिंगर रिकंस्ट्रक्शन के संबंध में कुछ जानकारी मिली। इसलिए उन्होंने जनवरी 2023 में डॉक्टरों से सलाह ली। यहां उन्होंने बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टर से मिले। यहां इस प्रकार की पहले भी कई ऐतिहासिक पुनर्निर्माण सर्जरी की गई हैं। डॉ शलभ कुमार प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष की देखरेख में डॉक्टरों की टीम ने नायरा की जांच की और कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के लिए कार्यात्मक उंगलियों को देने के लिए बाएं पैर से पैर की दो उंगलियों को स्थानांतरित करने की योजना बनाई।बहुत जटिल और चुनौतियों से भरी थी सर्जरीडॉ. शलभ कुमार ने बताया कि ये बहुत ही जटिल सर्जिकल प्रक्रियाएं हैं, जिनमें रक्त परिसंचरण को बहाल करने के लिए रक्त वाहिकाओं जैसे पतले धागे को जोड़ने और कार्य करने के लिए नसों और टेंडन की आवश्यकता होती है. ये सर्जरी माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी की श्रेणी में आती है और इन्हें ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप के तहत किया जाता है. इस प्रकार की सर्जरी के लिए विशेषज्ञ और अनुभवी प्लास्टिक सर्जन और एनेस्थीसिया टीम की आवश्यकता होती है.
बहुत जटिल और चुनौतियों से भरी थी सर्जरी
बहुत जटिल और चुनौतियों से भरी थी सर्जरी

ये भी पढे़ंः Delhi Liquor Scam: सिसोदिया ने दो मोबाइल फोन नष्ट कर डिजिटल सबूत मिटाने की बात स्वीकारी, CBI ने दी जानकारी

9 घंटे की मैराथन सर्जरी कर नई उंगलियां बनाई
ऑपरेशन करने वाली सर्जिकल टीम का नेतृत्व प्लास्टिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. राकेश कैन, डॉ. सैमसन एमसीएच निवासी, डॉ. अकिला मोहन एमसीएच निवासी, डॉ. सन्नी गज्जर एमसीएच निवासी, डॉ. संगनिका उकिल, डॉ. रोहन कपूर एमसीएच निवासी और डॉ. रोहन कपूर कर रहे थे. कुल सर्जिकल समय 9 घंटे था. लंबे समय तक माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी, एनेस्थीसिया डॉ. संतवाना कोहली एसो द्वारा दिया गया था. प्रोफेसर डॉ. प्रतिभा एसो प्रोफेसर, डॉ. नीतू और डॉ. राधिका और पोस्ट ऑपरेटिव आईसीयू देखभाल प्रदान की गई. सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शेरवाल ने कहा कि पैर के अंगूठे का प्रत्यारोपण बहुत कठिन प्रक्रिया है और बहुत कम केंद्रों पर किया जाता है.

ये भी पढ़ेंः Defamation Case: नोरा फतेही द्वारा जैकलीन के खिलाफ दर्ज मानहानि के केस में सुनवाई आज

नई दिल्ली: सफदरजंग अस्पताल में एक सूक्ष्म जटिल सर्जरी कर एक बच्ची की कटी उंगलियों को जोड़कर उसे एक नया जीवन दिया गया है. प्रोफेसर राकेश कैन और उनकी टीम द्वारा एक दुर्लभ, जटिल सूक्ष्म संवहनी सर्जरी 'पैर की उंगलियों को उंगली रहित हाथ में प्रत्यारोपित' सफलतापूर्वक किया गया और उसे पूरी तरह से काम करने वाली उंगलियां दी गईं. अस्पताल के एमएस डॉ बी एल शेरवाल ने इस सफलता पर डॉ शलभ एचओडी और पूरी टीम को बधाई दी. 16 मई 2023 को इसकी सर्जरी की गई और चार पोस्ट ऑपरेटिव दिनों के बाद बच्चा ठीक है और उंगलियां ठीक से काम कर रही है.

चारा काटने की मशीन में कटी थी उंगलियां
बता दें कि अलवर राजस्थान की रहने वाली मायरा दो साल पहले एक दुर्घटना का शिकार हो गई थी. जब उसके हाथ घूमने वाली चारा काटने की मशीन में आ गए थे, जिसके परिणामस्वरूप सभी उंगलियों और दोनों हाथों की हथेली का हिस्सा पूरी तरह से कट गया था. उस समय उसका परिवार अंगुलियां मिलाने की उम्मीद लेकर अस्पताल गया था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका. तब से दोनों हाथों की अंगुलियों और अंगूठों के न होने के कारण उसने अपने नियमित काम करने या खिलौनों से खेलने में सक्षम नहीं थी. उसे इस डर से स्कूल में भर्ती नहीं किया गया था कि वह लिखने के लिए कलम नहीं पकड़ पाएगी.

बच्ची की उंगलियों का हुआ सफल प्रत्यारोपण
बच्ची की उंगलियों का हुआ सफल प्रत्यारोपण
बाएं पैर की उंगलियों को हाथ में लगायानायरा के पिता नेत राम, जो एक किसान के पुत्र हैं और स्नातक कर रहे हैं, उन्हें नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग में किए जा रहे फिंगर रिकंस्ट्रक्शन के संबंध में कुछ जानकारी मिली। इसलिए उन्होंने जनवरी 2023 में डॉक्टरों से सलाह ली। यहां उन्होंने बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टर से मिले। यहां इस प्रकार की पहले भी कई ऐतिहासिक पुनर्निर्माण सर्जरी की गई हैं। डॉ शलभ कुमार प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष की देखरेख में डॉक्टरों की टीम ने नायरा की जांच की और कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के लिए कार्यात्मक उंगलियों को देने के लिए बाएं पैर से पैर की दो उंगलियों को स्थानांतरित करने की योजना बनाई।बहुत जटिल और चुनौतियों से भरी थी सर्जरीडॉ. शलभ कुमार ने बताया कि ये बहुत ही जटिल सर्जिकल प्रक्रियाएं हैं, जिनमें रक्त परिसंचरण को बहाल करने के लिए रक्त वाहिकाओं जैसे पतले धागे को जोड़ने और कार्य करने के लिए नसों और टेंडन की आवश्यकता होती है. ये सर्जरी माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी की श्रेणी में आती है और इन्हें ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप के तहत किया जाता है. इस प्रकार की सर्जरी के लिए विशेषज्ञ और अनुभवी प्लास्टिक सर्जन और एनेस्थीसिया टीम की आवश्यकता होती है.
बहुत जटिल और चुनौतियों से भरी थी सर्जरी
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9 घंटे की मैराथन सर्जरी कर नई उंगलियां बनाई
ऑपरेशन करने वाली सर्जिकल टीम का नेतृत्व प्लास्टिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. राकेश कैन, डॉ. सैमसन एमसीएच निवासी, डॉ. अकिला मोहन एमसीएच निवासी, डॉ. सन्नी गज्जर एमसीएच निवासी, डॉ. संगनिका उकिल, डॉ. रोहन कपूर एमसीएच निवासी और डॉ. रोहन कपूर कर रहे थे. कुल सर्जिकल समय 9 घंटे था. लंबे समय तक माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी, एनेस्थीसिया डॉ. संतवाना कोहली एसो द्वारा दिया गया था. प्रोफेसर डॉ. प्रतिभा एसो प्रोफेसर, डॉ. नीतू और डॉ. राधिका और पोस्ट ऑपरेटिव आईसीयू देखभाल प्रदान की गई. सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शेरवाल ने कहा कि पैर के अंगूठे का प्रत्यारोपण बहुत कठिन प्रक्रिया है और बहुत कम केंद्रों पर किया जाता है.

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