नई दिल्ली: बीते दिनों मॉनसून की बारिश से दिल्ली वालों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ा. मिंटो ब्रिज के समीप एक शख्स को अपनी जान तक गंवानी पड़ी. आज केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इस समस्या का समाधान करने के लिए मीटिंग बुलाई थी, जिसमें लोक निर्माण विभाग की तरफ से कोई अधिकारी नहीं पहुंचे.
दिल्ली के वीआईपी इलाकों की छोड़ दें, तो अन्य इलाकों की सभी प्रमुख सड़कों की देखभाल लोक निर्माण विभाग के जिम्मे है. 60 मीटर से अधिक चौड़ी सभी सड़कों की देखभाल, मरम्मत, वहां पानी ना जमा हो, इन सभी के रखरखाव का काम लोक निर्माण विभाग के अधीन है. बारिश के दौरान जलभराव की सबसे अधिक समस्या लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर ही आई थी.
मंत्रालय ने बुलाई थी बैठक
जलभराव की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने मीटिंग बुलाई थी. इसमें शामिल बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने ईटीवी भारत को बताया कि इस अहम बैठक में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद समेत अन्य एजेंसियों के अधिकारी आए थे. लेकिन दिल्ली सरकार की तरफ से लोक निर्माण विभाग का कोई भी नुमाइंदा मीटिंग में नहीं आया. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि केजरीवाल सरकार कितनी गंभीर है.
मुख्यमंत्री दें जवाब
बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि आने वाले दिनों में अभी और बारिश होनी है. समस्या अभी शुरू हुई है मगर केजरीवाल सरकार जिस तरह असंवेदनशील है. इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को खुद विचार करने की जरूरत है. लोक निर्माण विभाग जो कि दिल्ली सरकार के अधीन है, उसके अधिकारी आते तो जलभराव की समस्या पर चर्चा हो सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
बता दें कि वर्ष 2012 तक दिल्ली में सिर्फ 1483 किलोमीटर लंबी सड़कें लोक निर्माण विभाग के अधीन आती थी. अन्य सड़कें नगर निगम के अधीन थी. मगर अदालत के फैसले के बाद 60 मीटर से अधिक चौड़ी सभी सड़कें लोक निर्माण विभाग के अधीन आ गई.