नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और अन्य संबंधित निकाय मेट्रो, ट्रेन डिपो से सटे फुटपाथ केवल यात्रियों के लिए हैं. इसके अलावे किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसे इस्तेमाल करने की अनुमति है.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फुटपाथ पर चलने का आम नागरिकों को पूरा अधिकार है. उनके लिए रास्ते को खाली कराया जाए, लेकिन दिल्ली में जगह-जगह अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत से फुटपाथ पर अवैध रूप से दुकानों का डेरा है. कहीं पक्की तो कही रेडी और खोमचे वालों का कब्जा है. तस्वीरें पटेल चौक मेट्रो स्टेशन के बाहर की है. दोनों ही तरफ फुटपाथ पर दुकानें बनी हुई है. यहां पक्की दुकानें है, इसके अलावा रेहड़ी खोमचे वाले भी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया था लेकिन उसके बाद भी फुटपाथ पर अवैध अतिक्रमण नजर आ रहा है.
फुटपाथ पर अवैध दुकानों का कब्जा: फुटपाथ से गुजर रहे डॉक्टर एमयू दुआ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उसका स्वागत है. अधिकारियों को इस पर विचार करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नकारा नहीं जा सकता है. हमारा यह अधिकार है कि हम फुटपाथ पर चलें. लेकिन जगह-जगह फुटपाथ पर अवैध दुकानें बन गई है. लोगों के चलने में काफी मुश्किलें होती है. ऐसे में जब फुटपाथ पर जगह नहीं होगी तो लोग सड़क पर चलेंगे. जब लोग सड़क पर चलेंगे तो हादसे का शिकार भी होंगे और उसका जिम्मेदार कौन होगा? इसकी जवाबदेही भी तय होनी चाहिए.
ये भी पढ़ें: Delhi flood: मंत्री आतिशी के आरोपों का राजस्व सचिव ने दिया जवाब, बताया राजनीति से प्रेरित!
कई इलाकों में बाढ़ का पानी जमा: दिल्ली के यमुना का जलस्तर धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ रहा है. यमुना किनारे बसे लोगों को राहत देने के लिए सरकारी एजेंसियां दिन रात बचाव कार्य में जुटी है. बाढ़ की चपेट में सबसे पहले यमुना खादर के इलाके के साथ अंतरराष्ट्रीय बस अड्डा के नजदीक मोन्सटी इलाका था, जिसमें बौद्ध धर्म के लोगों की दुकानें व रिहायशी मकान भी है. अब यह पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है. अब चूंकि यमुना का जलस्तर कम होने लगा है तो इन लोगों ने राहत की सांस ली है. हालांकि अभी भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है.
ये भी पढ़ें: Delhi flood: बाढ़ का पानी कम होने पर बढ़ सकता है मच्छर जनित बीमारियों का खतरा, बरतें ये सावधानियां