नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में सर्विसेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए पिछले महीने केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश का आम आदमी पार्टी सरकार व दिल्ली के मुख्यमंत्री विरोध कर रहे हैं. लेकिन इसी अध्यादेश के प्रावधान के तहत मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की पहली बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में दिल्ली सरकार में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर फैसला लिया जा सकता है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल के निवास पर यह पहली बैठक होगी. सूत्रों के अनुसार बैठक में प्राधिकरण एक अधिकारी वाई वीवी जे राजशेखर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार कर सकती है. हालांकि इससे पहले सरकार का यह भी कहना है कि यह प्राधिकरण दिखावटी निकाय के अलावा कुछ नहीं है. सर्विसेज से जुड़े कई प्रमुख प्रस्ताव मुख्य सचिव द्वारा मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण को दरकिनार कर सीधे उपराज्यपाल को भेजे जा रहे हैं. प्राधिकरण में अध्यक्ष समेत तीन सदस्य हैं जिसमें दो सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी हैं. लिहाजा मुख्यमंत्री अल्पमत में है.
सरकार का आरोप, अध्यादेश के नियमों का भी हो रहा उल्लंघन
मुख्यमंत्री कार्यालय का आरोप है कि पिछले दो हफ्ते से बेहद चौंकाने वाली और चिंताजनक घटनाएं सामने आ रही हैं. मुख्यमंत्री के सामने एक अधिकारी के निलंबन की फाइल रखी गई. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 की धारा 45एच की उप-धारा (2) के अनुसार मामला मुख्यमंत्री के समक्ष रखा गया था. इसमें कहा गया है कि प्राधिकरण के पास अनुशासनात्मक कार्रवाई को देखते हुए विजिलेंस और नॉन-विजिलेंस से संबंधित सभी मामलों और सभी ग्रुप ‘ए’ अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए सिफारिश करने की जिम्मेदारी होगी. जिसमें ऑल इंडिया सर्विसेज और दानिक्स के आधिकारी भी शामिल हैं, जोकि दिल्ली सरकार में सेवारत हैं.
मुख्यमंत्री को बनाया गया है प्राधिकरण का पदेन अध्यक्ष
केंद्र के अध्यादेश के अनुसार, मुख्यमंत्री को एनसीसीएसए का पदेन अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) इसके सदस्य होंगे. फाइल मिलने पर सीएम अरविंद केजीवाल ने उसमें कई कमियां और जानकारियों का अभाव पाया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने एनसीसीएसए की बैठक की तिथि तय होने से पहले तक उन कमियों और जानकारियों को ठीक करने का निर्देश देते हुए फाइल मुख्य सचिव को भेज दी थी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 की धारा 45एफ(1) के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की बैठक ऐसे समय और स्थान पर होगी, जिसे जरूरत के हिसाब से अथॉरिटी के अध्यक्ष की मंजूरी पर सदस्य सचिव तय कर सकते हैं.
सीएम ऑफिस ने मुख्य सचिव के हावी होने का लगाया आरोप
दिल्ली सरकार का आरोप है कि मुख्य सचिव ने केंद्र के अध्यादेश की धारा 45एफ (1) और संवैधानिक प्रक्रिया की अवेहलना करते हुए मुख्यमंत्री के निर्देशों को खारिज कर दिया है. मुख्य सचिव ने निर्वाचित मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन नहीं किया. इसके बजाय मुख्यमंत्री और एनसीसीएसए को दरकिनार कर अधिकारियों को निलंबित करने की सिफारिश की व फाइल सीधे एलजी को भेज दी. यह भी देखा गया है कि इस मामले के अलावा भी सर्विसेज से जुड़े कई मामलों में मुख्य सचिव ने सीएम और एनसीसीएसए को दरकिनार कर फाइलों को सीधे एलजी के पास भेजा.
राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की पहली बैठक होने से पहले इस तरह के कार्य स्पष्ट रूप से केंद्र की दुर्भावनापूर्ण मंशा को दर्शाते हैं कि वे किसी भी हालत में दिल्ली की चुनी हुई सरकार को किसी भी प्रकार की शक्ति का इस्तेमाल नहीं करने देना चाहते हैं. यहां तक कि एनसीसीएसए का गठन ही संदेहजनक है. केंद्र ने इस अथॉरिटी में मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) को शामिल किया है. साथ ही, यह भी आदेश दिया गया है कि समिति के सभी निर्णय सदस्यों के बहुमत के आधार पर तय किए जाएंगे. इस तरह से अथॉरिटी की हर बैठक का निष्कर्ष तो केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त दो सदस्य ही निकालेंगे और दिल्ली के सीएम हमेशा ही अल्पमत में रहेंगे.
जानिए कौन है वाई वीवी जे राजशेखर
दिल्ली सरकार में तैनात वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वाईवीवीजे राजशेखर तेजतर्रार अधिकारी हैं. वर्तमान में दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग में बतौर विशेष सचिव जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. पिछले कुछ महीनों से राजशेखर का आम आदमी पार्टी सरकार से टकराव चल रहा है. राजशेखर सीएम अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण से कथित भ्रष्टाचार सहित आप सरकार के खिलाफ कई आरोपों की जांच कर रहे हैं.
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज का आरोप है कि राजशेखर का सीबीआई, सीवीसी और सतर्कता के रडार पर रहने का इतिहास रहा है. साथ ही संवेदनशील फाइलों को अनाधिकृत रूप से अपने कब्जे में रखने की उनकी आदत रही है. पिछले दिनों जब सर्विसेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में आदेश दिया था, तब दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने राजशेखर की जिम्मेदारी वापस ले ली थी, हालांकि बाद में उन्हें सतर्कता निदेशालय द्वारा बहाल कर दिया गया.
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