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बड़ी लापरवाही: बिना फर्स्ट एड किट सड़कों पर दौड़ रही बेड़े में शामिल हुई 25 नई बसें!

दिल्ली को मिलीं आधुनिक बसों में फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयों की जगह सिर्फ खाली पॉलिथीन है. इसे मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन भी माना जा सकता है.

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Published : Aug 22, 2019, 3:09 PM IST

आधुनिक बसों में फर्स्ट एड बॉक्स खाली etv bharat

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के लोगों को जो आधुनिक बसें मिलीं हैं. उसमें यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर बड़ी चूक सामने आयी है. सड़कों पर उतरी 25 नई बसों में फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयों की जगह सिर्फ खाली पॉलिथीन है. इसे मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन भी माना जा सकता है.

आधुनिक बसों में फर्स्ट एड बॉक्स खाली

दवाइयां की जगह खाली पॉलिथीन
मंगलवार को इन बसों को सीएम अरविंद केजरीवाल और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने हरी झंडी दिखाई थी. इनमें से कुछ बसों को 543-A आनंद विहार से कापसहेड़ा बॉर्डर और कुछ को 534 महरौली से आनंद विहार टर्मिनल तक चलाया जा रहा है. ऐसी ही दो बसों की फर्स्ट एड किट को जब ईटीवी भारत की टीम ने देखा तो उसमें दवाइयां नहीं थीं.

First Aid boxes are empty in the new modern buses of Delhi
खाली फर्स्ट एड बॉक्स.

फर्स्ट एड किट का कोई जवाबदेह नहीं
बता दें कि मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री के हरी झंडी दिखाए जाने के तुरंत बाद इन बसों को रुट पर चलने के लिए भेज दिया गया था. बस के ड्राइवर और कंडक्टर को नई और आधुनिक बसों के हिसाब से ट्रेनिंग भी दी गई है. लेकिन जब उनसे फर्स्ट एड किट के बारे में सवाल किया तो उन्होंने अपनी नौकरी का हवाला देते हुए कुछ बोलने से मना कर दिया. वहीं इस विषय में डिम्ट्स के कर्नल एमएस रेखी ने कुछ भी पूछे जाने से पहले ये कहकर फोन काट दिया कि बसों के विषय में परिवहन विभाग ही कुछ बता पाएगा.

क्या कहता है नियम
गौर करने वाली बात है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत किसी भी सार्वजनिक वाहन को फर्स्ट एड बॉक्स के बिना सड़क पर उतारना इसका उल्लंघन माना जाता है. फर्स्ट एड किट का इस्तेमाल आपातकालीन स्थिति में यात्री को शुरुआती उपचार देने के लिए किया जाता है. बिना फर्स्ट एड किट के सड़क पर चल रही इन बसों में अगर किसी यात्री को फर्स्ट एड की जरूरत पड़ती है. तो उसका उपचार कैसे होगा ये परिवहन विभाग के अधिकारी ही बताएंगे. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से भी इस विषय में संपर्क नहीं हो पाया है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के लोगों को जो आधुनिक बसें मिलीं हैं. उसमें यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर बड़ी चूक सामने आयी है. सड़कों पर उतरी 25 नई बसों में फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयों की जगह सिर्फ खाली पॉलिथीन है. इसे मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन भी माना जा सकता है.

आधुनिक बसों में फर्स्ट एड बॉक्स खाली

दवाइयां की जगह खाली पॉलिथीन
मंगलवार को इन बसों को सीएम अरविंद केजरीवाल और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने हरी झंडी दिखाई थी. इनमें से कुछ बसों को 543-A आनंद विहार से कापसहेड़ा बॉर्डर और कुछ को 534 महरौली से आनंद विहार टर्मिनल तक चलाया जा रहा है. ऐसी ही दो बसों की फर्स्ट एड किट को जब ईटीवी भारत की टीम ने देखा तो उसमें दवाइयां नहीं थीं.

First Aid boxes are empty in the new modern buses of Delhi
खाली फर्स्ट एड बॉक्स.

फर्स्ट एड किट का कोई जवाबदेह नहीं
बता दें कि मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री के हरी झंडी दिखाए जाने के तुरंत बाद इन बसों को रुट पर चलने के लिए भेज दिया गया था. बस के ड्राइवर और कंडक्टर को नई और आधुनिक बसों के हिसाब से ट्रेनिंग भी दी गई है. लेकिन जब उनसे फर्स्ट एड किट के बारे में सवाल किया तो उन्होंने अपनी नौकरी का हवाला देते हुए कुछ बोलने से मना कर दिया. वहीं इस विषय में डिम्ट्स के कर्नल एमएस रेखी ने कुछ भी पूछे जाने से पहले ये कहकर फोन काट दिया कि बसों के विषय में परिवहन विभाग ही कुछ बता पाएगा.

क्या कहता है नियम
गौर करने वाली बात है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत किसी भी सार्वजनिक वाहन को फर्स्ट एड बॉक्स के बिना सड़क पर उतारना इसका उल्लंघन माना जाता है. फर्स्ट एड किट का इस्तेमाल आपातकालीन स्थिति में यात्री को शुरुआती उपचार देने के लिए किया जाता है. बिना फर्स्ट एड किट के सड़क पर चल रही इन बसों में अगर किसी यात्री को फर्स्ट एड की जरूरत पड़ती है. तो उसका उपचार कैसे होगा ये परिवहन विभाग के अधिकारी ही बताएंगे. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से भी इस विषय में संपर्क नहीं हो पाया है.

Intro:नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली के लोगों को नई और आधुनिक बसें मिलना तो शुरू हो गई हैं लेकिन इन बसों यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर एक बहुत बड़ी चूक है. सड़कों पर उतरी 25 नई बसों में सीसीटीवी, पैनिक बटन, जीपीएस और हाइड्रोलिक लिफ्ट जैसी तमाम आधुनिक सुविधाएं हैं लेकिन फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयों की जगह सिर्फ खाली पॉलिथीन है. इसे मोटर वाहन अधिनियम का भी उल्लंघन भी माना जा सकता है.



Body:मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के हरी झंडी दिखाए जाने के बाद सभी बसों को सड़क पर उतार दिया गया था. इनमें से कुछ बसों को 543 A आनंद विहार से कापसहेड़ा बॉर्डर और कुछ को 534 महरौली से आनंद विहार टर्मिनल तक चलाया जा रहा है. ऐसी ही दो बसों की फर्स्ट एड किट को जब ईटीवी भारत की टीम ने देखा तो उसमें दवाइयां नहीं थीं.

गौरतलब मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाए जाने के तुरंत बाद इन बसों रुट पर चलने के लिए भेज दिया गया था. बस के ड्राइवर और कंडक्टर को नई और आधुनिक बसों के हिसाब से ट्रेनिंग भी दी गई है लेकिन जब उनसे फर्स्ट एड किट के विषय में सवाल किया गया तब उन्होंने अपनी नौकरी का हवाला देते हुए कुछ बोलने से मना कर दिया. वहीं इस विषय में डिम्ट्स के कर्नल एम एस रेखी ने कुछ भी पूछे जाने से पहले ये कहकर फ़ोन काट दिया कि बसों के विषय में परिवहन विभाग ही कुछ बता पाएगा.



Conclusion:गौर करने वाली बात है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत किसी भी सार्वजनिक वाहन को फर्स्ट एड बॉक्स के बिना सड़क पर उतारना इसका उल्लंघन माना जाता है. फर्स्ट एड किट का इस्तेमाल आपातकालीन स्थिति में यात्री को शुरुआती उपचार देने के लिए किया जाता है. बिना फर्स्ट एड किट के सड़क पर चल रही इन बसों में अगर किसी यात्री को फर्स्ट एड की जरूरत पड़ती है तो उसका उपचार कैसे होगा ये परिवहन विभाग के अधिकारी ही बताएंगे. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से भी इस विषय में संपर्क नहीं हो पाया है.

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