नई दिल्ली: कर्नाटक के कलाकार शाह रशीद अहमद कादरी को शिल्प कला (बिदरी आर्ट) के लिए मोदी सरकार द्वारा दिए गए पद्मश्री पुरस्कार पर, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कहकर आभार जताया कि उन्हें यह उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि भाजपा की सरकार उन्हें पद्मश्री पुरस्कार देगी. उन्हें तो कांग्रेस की सरकार में ही पद्मश्री पुरस्कार मिलने का इंतजार था, लेकिन उन्हें पुरस्कार नहीं मिला. इसको लेकर विपक्षी दलों और राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज है. विपक्षी दल इसे कर्नाटक चुनाव से जोड़कर भाजपा सरकार का राजनीतिक स्टंट बता रहे हैं. वहीं, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के पूर्व कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद ने विपक्षी दलों के नाम अपना एक वीडियो जारी कर उन्हें सलाह दी है.
फिरोज भक्त अहमद ने वीडियो जारी कर कहा कि रमजान के पवित्र महीने में किसी को पुरस्कार मिला है, तो उसे मुबारकबाद देनी चाहिए. इसे कर्नाटक और 2024 के चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. इसे पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर रखकर देखना चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भगवान राम और श्री कृष्ण को जोड़ते हुए एक शेर पढ़ कर वीडियो में अपनी बात शुरू की. 'भारत में मेरे रहमते परवरदिगार है. कृपा श्रीराम की है कान्हा का प्यार है. वजीरे आजम को भी मेरी चिंता का इजहार है.' विपक्षी पार्टी के लोग कह रहे हैं कि रशीद अहमद कादरी का मोदी सरकार से अपनी भावनाएं शेयर करते हुए का वीडियो वायरल करके भाजपा राजनीतिक लाभ लेना चाहती है. यह गलत है. कांग्रेस सरकार में पद्मश्री अवार्ड न मिलने को लेकर उनके मन में एक फीलिंग थी उस फीलिंग को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साझा किया तो इसमें कुछ गलत नहीं है.
फिरोज भक्त अहमद का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुरू से ही सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास के हक में रहे हैं. प्रधानमंत्री ने पहले भी कहा है कि मुसलमान हमारी संतान के माफिक हैं. हम उनके साथ बराबरी का सलूक करना चाहते हैं. पद्मश्री पुरस्कार को लेकर कादरी साहब पर इतने अटैक किए जा रहे हैं तो वो ठीक नहीं हैं. कोई भी मुल्क हो, कोई भी पार्टी कभी अछूत नहीं होती है. किसी पार्टी का कोई नेता अच्छा काम करें, तो उसे खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसलिए विपक्षी पार्टियां अपने को दुश्मन ना बनाएं दोस्त बनें. फिर एक शेर पढ़ते हुए कुछ बात है कि 'हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा' पढ़कर उन्होंने अपनी बात खत्म की.
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