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दिल्लीः सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने लगाई पाठशाला, बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा

राजधानी दिल्ली से सटे सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है. इसी बीच किसानों ने यहां आने वाले बच्चों के लिए पाठशाला लगाई है. जहां कूड़ा उठाने वाले गरीब बच्चों को आंदोलनकारी किसान पढ़ा रहे हैं.

farmers set up school on delhi singhu border
सिंघु बॉर्डर किसान पाठशाला
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Published : Dec 18, 2020, 8:03 PM IST

नई दिल्लीः कृषि बिल के विरोध में दिल्ली से सटे सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन लगातार जारी है. एक तरफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आंदोलन में आए बच्चे के लिए पढ़ाई की व्यवस्था की गई है. आंदोलनकारी किसानों के बीच से ही कुछ युवाओं ने गरीब बच्चे, जो कूड़ा उठाने आते हैं, उन्हें पढ़ाना शुरू कर दिया है.

सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने लगाई पाठशाला

पढ़ा रहे युवाओं का कहना है कि उन्होंने शुरुआत एक दो बच्चों से की थी, लेकिन धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है और स्कूल की तरह यहां पर बच्चे पढ़ने आने लगे हैं. इस बारे में एक युवती ने बताया कि उनकी पंजाब में एक संस्था है, जो शिक्षा पर काम करती है. संस्था के माध्यम से गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम किया जाता है.

पढ़ाई के साथ खान-पीने का भी प्रबंध

बता दें कि यहां बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ खाने पीने का प्रबंध भी है. बच्चे यहां मौज-मस्ती भी करते हैं. वहीं आंदोलन के समाप्त हो जाने के बाद इस बच्चों की पढ़ाई को लेकर किसानों ने बताया कि वे इन बच्चों को अपनी संस्था के माध्यम से पढ़ाने की कोशिश करेंगे.

फिलहाल किसान आंदोलन को आज 23 दिन होने को है. लेकिन अभी किसान व केंद्र सरकार के बीच कोई रास्ता नहीं निकला है. पर आंदोलन को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि ये लंबे समय तक चलने वाला है. ऐसे में आंदोलन में आए शिक्षित युवा बच्चों को पढ़ा कर उनके भविष्य को निखारने में योगदान दे रहे हैं.

नई दिल्लीः कृषि बिल के विरोध में दिल्ली से सटे सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन लगातार जारी है. एक तरफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आंदोलन में आए बच्चे के लिए पढ़ाई की व्यवस्था की गई है. आंदोलनकारी किसानों के बीच से ही कुछ युवाओं ने गरीब बच्चे, जो कूड़ा उठाने आते हैं, उन्हें पढ़ाना शुरू कर दिया है.

सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने लगाई पाठशाला

पढ़ा रहे युवाओं का कहना है कि उन्होंने शुरुआत एक दो बच्चों से की थी, लेकिन धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है और स्कूल की तरह यहां पर बच्चे पढ़ने आने लगे हैं. इस बारे में एक युवती ने बताया कि उनकी पंजाब में एक संस्था है, जो शिक्षा पर काम करती है. संस्था के माध्यम से गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम किया जाता है.

पढ़ाई के साथ खान-पीने का भी प्रबंध

बता दें कि यहां बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ खाने पीने का प्रबंध भी है. बच्चे यहां मौज-मस्ती भी करते हैं. वहीं आंदोलन के समाप्त हो जाने के बाद इस बच्चों की पढ़ाई को लेकर किसानों ने बताया कि वे इन बच्चों को अपनी संस्था के माध्यम से पढ़ाने की कोशिश करेंगे.

फिलहाल किसान आंदोलन को आज 23 दिन होने को है. लेकिन अभी किसान व केंद्र सरकार के बीच कोई रास्ता नहीं निकला है. पर आंदोलन को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि ये लंबे समय तक चलने वाला है. ऐसे में आंदोलन में आए शिक्षित युवा बच्चों को पढ़ा कर उनके भविष्य को निखारने में योगदान दे रहे हैं.

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