- सड़कों पर अन्नदाता
- 35 दिनों से जारी संघर्ष
- 6 दौर की वार्ता
- ना सरकार झुकी, ना किसान
- एक बार फिर होगा वही प्रयास
- क्या 7वीं बार में पूरी होगी किसानों की आस?
आज जब दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों की केंद्र सरकार के साथ सातवें दौर की वार्ता होगी, तो सभी की नजरें इसी पर टिकी होगीं. एक तरफ जहां किसानों से साफ कहा कि वे अपने एजेंडे पर ही बात करेंगे, वहीं अभी सरकार के रूख को लेकर कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.
केंद्र और किसानों के बीच इस वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने वरिष्ठ भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों ने इस बैठक में इस बारे में चर्चा की कि बुधवार को किसानों के साथ होने वाली वार्ता में सरकार का क्या रुख रहेगा.
किसानों की मांग
दरअसल, केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और वे संबंधित कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इन किसानों में ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं. किसानों ने मांग पूरी न होने पर आगामी दिनों में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.
इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक हुई पांच दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. केंद्र ने गतिरोध को समाप्त करने के लिए 30 दिसंबर को होने वाली अगले दौर की वार्ता के लिए 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है.
अब तक हुई पांच दौर की बातचीत में पिछले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी. छठे दौर की वार्ता नौ दिसंबर को होनी थी, लेकिन इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह और किसान संगठनों के कुछ नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता न मिलने पर इसे रद्द कर दिया गया था.
सरकार का पक्ष
उधर सरकार ने तीनों नए कृषि कानूनों को बड़े कृषि सुधार करार दिया है और कहा है कि इनसे किसानों की आय बढ़ेगी, लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को आशंका है कि इनकी वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी प्रणाली खत्म हो जाएगी तथा वे बड़े उद्योग घरानों की दया पर निर्भर हो जाएंगे.
वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का दावा है कि इस बार मैच जीतकर जाएंगे. फिलहाल सभी की नजरें आज की वार्ता पर टिकीं हैं, जिससे केंद्र और किसानों के बीच के गतिरोध की आगे की दिशा साफ हो जाएगी.