नई दिल्ली: भारत और कनाडा के बीच तनाव लगातार बढ़ते नजर आ रहे हैं. भारत से हर साल कई लोग पढ़ने और नौकरी करने कनाडा जाते हैं. इस माहौल में वो सभी लोग डरे हुए हैं जिनके रिश्तेदार या परिवार को कोई अपना फिलहाल कनाडा में है. सबसे बड़ी चिंता जो लोगों के मन में है वो हैं कि उनके अपने इस वक्त कनाडा में सुरक्षित हैं भी या नहीं?
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच विवाद गहरा गया है. हालांकि, भारत के विदेश मंत्री ने शुक्रवार को आम लोगों के लिए एक बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने सभी लोगों से कहा है कि जिनके भी परिजन फिलहाल कनाडा में है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत और कनाडा के रिश्तों का प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर नहीं पड़ेगा. ऐसे माहौल में 'ETV भारत' ने कुछ ऐसे अभिभावकों से बात कि जिनके बच्चे कनाडा में पढ़ाई करने गए हैं या वहां पर नौकरी कर रहे हैं और जाना कि अभी उन्हें कैसा महसूस हो रहा है और वो इस स्थिति के साथ कैसे जी रहे हैं.
क्या बोले परिजन: रविंदर कौर बताती है कि कनाडा में उनके भाई के बेटे, बहु और बच्चे कनाडा में रहते हैं. उन्होंने बताया कि वो टेंशन में हैं. उनके भाई और भाभी का देहांत कुछ वर्ष पहले हो गया था जिसके बाद वो ही उनका परिवार है. बात तो रोज होती है, वो अब तक सुरक्षित हैं, लेकिन हमसब यहां दहशत में हैं. रोज डर लगता है कि कहीं कोई दिक्कत ना हो जाए.
मनप्रीत कौर बताती है कि उनका भाई कनाडा में रहता है. यह डर बना रहता है कि उनके फैमली मेंबर कनाडा में सुरक्षित हैं या नहीं. आखिरी बार जब बात हुई थी तो उन्होंने बताया था कि कनाडा के कुछ जगहों पर तनाव है. उन्होंने कहा था कि जिन जगहों पर वो हैं वहां हालात सामान्य है. कौर ने कहा कि चिंता तो हमेशा ही लगी रहती है कि जरूरत पड़ने पर क्या वो आसानी से भारत लौट सकेंगे? क्या हम पहले की तरह वहां जा सकेंगे या वो यहां आ सकेंगे ?
अनिता शर्मा बताती है कि उनका बेटा 2 साल से कनाडा में रह रहा है. दो साल पहले लो एमबीए की पढ़ाई करने कनाडा गया था. फिलहाल वह अभी वहीं जॉब कर रहा है. बेटे से रोज बात होती है. कनाडा में जिस जगह वह रहता है, वहां स्थिति सामान्य है. लेकिन जो भी मीडिया पर दिखाया जा रहा है उसे देखकर टेंशन होती है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार से विनती है कि कनाडा में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.
भारत से हर वर्ष काफी संख्या में छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा जाते हैं. 2021 की जनगणना के अनुसार कनाडा में भारतीय मूल के लगभग 14 लाख लोग रह रहे हैं. ये कनाडा की कुल आबादी का 3.7 प्रतिशत हिस्सा हैं. इनमें लगभग 7 लाख आबादी सिखों की है. कनाडा की कुल आबादी तकरीबन तीन करोड़ 82 लाख है. इनमें से 2.6% यानी 9 लाख 42 हजार 170 पंजाबी हैं. पंजाब के लोग न केवल कनाडा में नौकरी करते हैं, बल्कि वहां की बिजनेस कम्युनिटी में भी उनका अच्छा-खासा दबदबा है. खासकर एग्रीकल्चर और डेयरी फार्मिंग वगैरह में तो पंजाबी पूरी तरह डॉमिनेट करते हैं.
पंजाबियों के अलावा कनाडा में दूसरे भारतीयों की भी अच्छी-खासी तादाद है. हरियाणा, राजस्थान, यूपी, नई दिल्ली और दक्षिण भारत के कई राज्यों के लोग बड़ी संख्या में कनाडा में हैं. भारत से हर साल हजारों स्टूडेंट्स भी कनाडा जाते हैं.
कैसे शुरू हुआ विवाद: भारत और कनाडा के बीच ताजा विवाद की शुरुआत 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 समिट में भाग लेने पहुंचे कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के सामने उनके देश में बढ़ रही खालिस्तानी गतिविधियों का मामला उठाया. मोदी ने कनाडाई सरकार से उसकी धरती पर चल रही अलगाववादी गतिविधियां रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा.
पीएम मोदी के इस बात पर कनाडा के प्रधानमंत्री नाराज हो गए. जस्टिन ट्रूडो ने मोदी से कहा कि कनाडा के घरेलू मामलों और राजनीति में भारत सरकार दखल ना दे। यही नहीं ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को अपने देश का नागरिक बताते हुए मोदी के सामने उसकी हत्या का मामला भी उठाया.
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विदेश मंत्रालय है सजग: मोदी सरकार ने पैरेंट्स की चिंता दूर करते हुए मौजूदा हालात को लेकर कुछ जानकारियां दी. विदेश मंत्रालय ने 44 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेस में कनाडा को लेकर एक-एक सवाल का जवाब दिया. विदेश मंत्रालय का कहना है कि रिश्तों का असर भारत के छात्रों पर नहीं पड़ेगा. यहां तक कि वीजा पर लगाई गई अस्थाई पाबंदी का असर भी भारतय छात्रों पर नहीं होगा. यानी कनाडा में पढ़ रहे छात्रों के परिजनों को डरने की कोई जरूरत नहीं है.
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि खालिस्तानी आतंकी की हत्या में भारत की कोई भूमिका नहीं है. कनाडा सरकार की तरफ से कोई सबूत नहीं दिए गए हैं.
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