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जानिए, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन पर एक्सपर्ट की राय - स्तनपान कराने वाली महिलाओं का वैक्सीनेशन

कोरोना का टीका गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं को लगाने को लेकर अभी असमंजस का मौहाल है. इसी को लेकर Etv भारत ने AIIMS के जच्चा बच्चा विभाग की सीनियर रेजिडेंट Gynecologist डॉक्टर तरगप्रीत कौर से बात की और जाना कि वैक्सीन गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए कितनी जरूरी और सुरक्षित है.

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गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन पर एक्सपर्ट की राय
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Published : May 18, 2021, 10:04 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना के खतरे के बीच क्या गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं को भी वैक्सीन लगाई जानी चाहिए, इसको लेकर सरकार विचार कर रही है और जल्द ही इस पर फैसला लिया जा सकता है. इसी बीच Etv भारत ने आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के जच्चा बच्चा विभाग में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर काम कर रही Gynecologist डॉक्टर तरगप्रीत कौर से जानकारी ली.

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन पर एक्सपर्ट की राय
FOGSI संगठन ने महिलाओं के लिए वैक्सीन को आवश्यक माना

डॉक्टर तरगप्रीत ने बताया गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं में वैक्सीनेशन को लेकर अभी ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है. लेकिन इस वक्त दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं, जिसमें कोवैक्सीन एक मरे हुए वायरस से बनी हुई वैक्सीन है. वहीं दूसरी तरफ कोविशील्ड एक वेक्टर बोर्न वैक्सीन है. डॉक्टर ने बताया कि द फेडरेशन ऑफ आब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ऑफ इंडिया (FOGSI) संगठन ने भी यह माना है कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए शुरू किया जाना चाहिए.

HC: 18 से कम आयुवर्ग पर को-वैक्सीन ट्राइल को चुनौती देने वाली याचिका दायर

वैक्सीनेशन से जच्चा और बच्चा दोनों की होगी सुरक्षा

डॉ तरगप्रीत ने बताया जो वैक्सीन है वह जच्चा और बच्चा दोनों के लिए सुरक्षित है और यदि गर्भवती महिला या ब्रेस्टफीडिंग वाली महिला को वैक्सीन लगाई जाएगी, तो वह महिला के खून में ऐसे पदार्थ पैदा करेगी, जिससे कि महिलाओं को कोरोनावायरस से लड़ने में ताकत मिलेगी. इसके साथ ही महिला के खून के जरिए ही वही पदार्थ बच्चे के खून में आवलनाल से जायंगे. डॉक्टर ने बताया कि हालांकि गर्भवती महिलाओं और ब्रेस्टफीडिंग वाली महिलाओं को वैक्सीन दिए जाने को लेकर अभी ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है, लेकिन यह माना गया है कि वैक्सीन का जिस प्रकार से असर सामान्य लोगों में हो रहा है, वैसा ही असर इन महिलाओं में भी होगा.


दूसरी लहर में गर्भवती महिलाएं और बच्चे हुए थे प्रभावित

डॉक्टर ने बताया कि कोरोनावायरस की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में गर्भवती महिलाएं और बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें गर्भवती महिलाओं में ऑक्सीजन की कमी के चलते वेंटिलेटर, ICU आदि की आवश्यकता पड़ी है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं, बच्चों और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इसीलिए भी इन महिलाओं को वैक्सीन लगाए जाने का सुझाव दिया जा रहा है. इसके साथ ही कोरोना से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल करें, बार-बार हाथ धोए, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करें. यदि बहुत ज्यादा जरूरी हो तभी डॉक्टर के पास जाएं या फिर टेलिफोनिक कंसल्टेशन के जरिए आप डॉक्टर से सलाह लेते रहें.

तीसरी लहर से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी

Gynecologist तरनप्रीत कौर ने सरकार से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन का प्रोडक्शन किया जाना चाहिए और इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए. जिससे कि गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया जा सके. डॉक्टर ने कहा कि तीसरी लहर में बच्चों को लेकर जो खतरा बताया जा रहा है, उसको देखते हुए जल्द से जल्द इन महिलाओं के लिए भी वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया जाना चाहिए. जिससे कि माताओं के साथ-साथ बच्चों को भी संक्रमण से सुरक्षित किया जा सके.

नई दिल्ली: कोरोना के खतरे के बीच क्या गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं को भी वैक्सीन लगाई जानी चाहिए, इसको लेकर सरकार विचार कर रही है और जल्द ही इस पर फैसला लिया जा सकता है. इसी बीच Etv भारत ने आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के जच्चा बच्चा विभाग में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर काम कर रही Gynecologist डॉक्टर तरगप्रीत कौर से जानकारी ली.

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन पर एक्सपर्ट की राय
FOGSI संगठन ने महिलाओं के लिए वैक्सीन को आवश्यक माना

डॉक्टर तरगप्रीत ने बताया गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं में वैक्सीनेशन को लेकर अभी ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है. लेकिन इस वक्त दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं, जिसमें कोवैक्सीन एक मरे हुए वायरस से बनी हुई वैक्सीन है. वहीं दूसरी तरफ कोविशील्ड एक वेक्टर बोर्न वैक्सीन है. डॉक्टर ने बताया कि द फेडरेशन ऑफ आब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ऑफ इंडिया (FOGSI) संगठन ने भी यह माना है कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए शुरू किया जाना चाहिए.

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वैक्सीनेशन से जच्चा और बच्चा दोनों की होगी सुरक्षा

डॉ तरगप्रीत ने बताया जो वैक्सीन है वह जच्चा और बच्चा दोनों के लिए सुरक्षित है और यदि गर्भवती महिला या ब्रेस्टफीडिंग वाली महिला को वैक्सीन लगाई जाएगी, तो वह महिला के खून में ऐसे पदार्थ पैदा करेगी, जिससे कि महिलाओं को कोरोनावायरस से लड़ने में ताकत मिलेगी. इसके साथ ही महिला के खून के जरिए ही वही पदार्थ बच्चे के खून में आवलनाल से जायंगे. डॉक्टर ने बताया कि हालांकि गर्भवती महिलाओं और ब्रेस्टफीडिंग वाली महिलाओं को वैक्सीन दिए जाने को लेकर अभी ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है, लेकिन यह माना गया है कि वैक्सीन का जिस प्रकार से असर सामान्य लोगों में हो रहा है, वैसा ही असर इन महिलाओं में भी होगा.


दूसरी लहर में गर्भवती महिलाएं और बच्चे हुए थे प्रभावित

डॉक्टर ने बताया कि कोरोनावायरस की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में गर्भवती महिलाएं और बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें गर्भवती महिलाओं में ऑक्सीजन की कमी के चलते वेंटिलेटर, ICU आदि की आवश्यकता पड़ी है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं, बच्चों और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इसीलिए भी इन महिलाओं को वैक्सीन लगाए जाने का सुझाव दिया जा रहा है. इसके साथ ही कोरोना से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल करें, बार-बार हाथ धोए, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करें. यदि बहुत ज्यादा जरूरी हो तभी डॉक्टर के पास जाएं या फिर टेलिफोनिक कंसल्टेशन के जरिए आप डॉक्टर से सलाह लेते रहें.

तीसरी लहर से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी

Gynecologist तरनप्रीत कौर ने सरकार से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन का प्रोडक्शन किया जाना चाहिए और इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए. जिससे कि गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया जा सके. डॉक्टर ने कहा कि तीसरी लहर में बच्चों को लेकर जो खतरा बताया जा रहा है, उसको देखते हुए जल्द से जल्द इन महिलाओं के लिए भी वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया जाना चाहिए. जिससे कि माताओं के साथ-साथ बच्चों को भी संक्रमण से सुरक्षित किया जा सके.

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