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Cyber ​​fraud with BSF Jawans: 65 बीएसएफ कर्मियों के रिटायरमेंट फंड से निकाले 70 लाख रुपये, आरोपी गिरफ्तार

राजधानी में बीएसएफ के एनपीएस यूनिट के कर्मचारियों के परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर से 70 लाख रुपये निकालने वाले वाले पूर्व बीएसएफ कॉन्स्टेबल को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी को 2019 में बीएसएफ से निकाल दिया गया था.

intelligence fusion and strategic operation unit
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Published : Feb 28, 2023, 1:59 PM IST

Updated : Feb 28, 2023, 2:29 PM IST

प्रशांत गौतम, पुलिस उपायुक्त

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने ईंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन यूनिट (आईएफएसओ) रिटायरमेंट फंड से रुपए निकालकर ठगी के मामले का भंडाफोड़ किया है. घटना की शिकायत सीमा सुरक्षा बल के एनपीएस यूनिट ने की थी, जिसके बाद शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी कॉन्स्टेबल घनश्याम यादव को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी पहले भी धोखाधड़ी के मामले में वांछित था. उसने भारतीय सीमा सुरक्षा बल में भर्ती होने वाले दो नए रिक्रूटों को फर्जी अप्वाइंटमेंट लेटर भी दिया था. आरोपी को बीएसएफ ने वर्ष 2019 में बिना कारण बताए अनुपस्थित रहने और अपनी महिला मित्र की दस्तावेजों की मदद से फर्जी आईडी कार्ड बनाने के मामले में निष्कासित कर दिया था.

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम ने बताया कि, बीएसएफ के एनपीएस यूनिट ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दी थी कि कोरोना काल में करीब 89 ट्रांजेक्शन के जरिए 70 लाख रुपये परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर से निकाल लिए गए हैं. यह पैसे करीब 65 कर्मचारियों के खातों से निकाले गए थे. इस फंड में कर्मचारी 25 फीसदी खुद भुगतान करता है, जबकि शेष भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है. उन्होंने बताया कि आरोपी 122 बटालियन में तैनात था, जिसके दौरान उसे परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर यूनिट के लॉगिन पासवर्ड की जानकारी हो गई थी. 2019 में उसे बाहर किए जाने के बाद उसने लॉगिन पासवर्ड का इस्तेमाल कर अलग-अलग खातों से करीब 70 लाख रुपए निकाल लिए.

यह भी पढ़ें-दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल ने विजय चौक के पास खुद को लगाई आग

पुलिस ने बताया कि आरोपी 122 बटालियन में एनपीएस यूनिट में ही तैनात था. इस दौरान वह एनसीएस पोर्टल से परिचित हो गया. उसे एनपीएस पोर्टल के लॉगइन आईडी और पासवर्ड पता थे, जिससे वह पोर्टल को अवैध रूप से एक्सेस कर पा रहा था. पुलिस ने बताया कि आरोपी ने उन खातों को टारगेट किया, जो मोबाइल नंबर, पैन नंबर और ईमेल से लिंक नहीं थे. क्योंकि परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर में किसी भी बदलाव पर व खाताधारक के मोबाइल और मेल आईडी पर संदेश भेजता है, जिसके बाद ओटीपी जेनरेट किया जाता है. लेकिन ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर न जुड़ा होने की वजह से खाताधारकों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाई और आरोपी ने उनके खाते में जमा रकम को निकाल लिया.

यह भी पढ़ें-Howrah court life imprisonment BSF jawan: नाबालिग से गैंगरेप के मामले में बीएसएफ के दो जवानों को उम्रकैद की सजा

प्रशांत गौतम, पुलिस उपायुक्त

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने ईंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन यूनिट (आईएफएसओ) रिटायरमेंट फंड से रुपए निकालकर ठगी के मामले का भंडाफोड़ किया है. घटना की शिकायत सीमा सुरक्षा बल के एनपीएस यूनिट ने की थी, जिसके बाद शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी कॉन्स्टेबल घनश्याम यादव को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी पहले भी धोखाधड़ी के मामले में वांछित था. उसने भारतीय सीमा सुरक्षा बल में भर्ती होने वाले दो नए रिक्रूटों को फर्जी अप्वाइंटमेंट लेटर भी दिया था. आरोपी को बीएसएफ ने वर्ष 2019 में बिना कारण बताए अनुपस्थित रहने और अपनी महिला मित्र की दस्तावेजों की मदद से फर्जी आईडी कार्ड बनाने के मामले में निष्कासित कर दिया था.

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम ने बताया कि, बीएसएफ के एनपीएस यूनिट ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दी थी कि कोरोना काल में करीब 89 ट्रांजेक्शन के जरिए 70 लाख रुपये परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर से निकाल लिए गए हैं. यह पैसे करीब 65 कर्मचारियों के खातों से निकाले गए थे. इस फंड में कर्मचारी 25 फीसदी खुद भुगतान करता है, जबकि शेष भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है. उन्होंने बताया कि आरोपी 122 बटालियन में तैनात था, जिसके दौरान उसे परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर यूनिट के लॉगिन पासवर्ड की जानकारी हो गई थी. 2019 में उसे बाहर किए जाने के बाद उसने लॉगिन पासवर्ड का इस्तेमाल कर अलग-अलग खातों से करीब 70 लाख रुपए निकाल लिए.

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पुलिस ने बताया कि आरोपी 122 बटालियन में एनपीएस यूनिट में ही तैनात था. इस दौरान वह एनसीएस पोर्टल से परिचित हो गया. उसे एनपीएस पोर्टल के लॉगइन आईडी और पासवर्ड पता थे, जिससे वह पोर्टल को अवैध रूप से एक्सेस कर पा रहा था. पुलिस ने बताया कि आरोपी ने उन खातों को टारगेट किया, जो मोबाइल नंबर, पैन नंबर और ईमेल से लिंक नहीं थे. क्योंकि परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर में किसी भी बदलाव पर व खाताधारक के मोबाइल और मेल आईडी पर संदेश भेजता है, जिसके बाद ओटीपी जेनरेट किया जाता है. लेकिन ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर न जुड़ा होने की वजह से खाताधारकों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाई और आरोपी ने उनके खाते में जमा रकम को निकाल लिया.

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Last Updated : Feb 28, 2023, 2:29 PM IST
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