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विश्व मे हर तीन सेकेंड में कोई न कोई मनोभ्रम से हो रहा ग्रसित, 2050 तक 13.9 करोड़ लोगों के इसका शिकार होने का अनुमान

dementia a threat: बुजुर्ग लोगों में डिमेंशिया का खतरा बढ़ता जा रहा है. इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के केंद्रीय स्वास्थ्य शिक्षा ब्यूरो की ओर से प्रगति मैदान में लगे ट्रेड फेयर में कैंप लगाया गया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 23, 2023, 3:57 PM IST

बुजुर्गों में बढ़ता जा रहा डिमेंशिया का खतरा

नई दिल्ली: डिमेंशिया बीमारी का मुख्य लक्षण याददाश्त खोने या निर्णय लेने की क्षमताओं का कम होना है. भारत में 80 साल या इससे अधिक उम्र के लगभग 20 प्रतिशत लोग इससे प्रभावित हैं. वर्तमान में दुनिया भर में 5.5 करोड़ से अधिक लोग डिमेंशिया से प्रभावित हैं और हर साल लगभग एक करोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं. यह बीमीरी अल्जाइमर के कारण होती है. कुल आंकड़ो में से 60 से 70 प्रतिशत लोगों को अल्जाइमर रोग है.

विश्व में 2030 तक 7.8 करोड़ और 2050 तक 13.9 करोड़ लोगों को डिमेंशिया होने का अनुमान है. दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे ट्रेड फेयर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के केंद्रीय स्वास्थ्य शिक्षा ब्यूरो की ओर से कैंप लगाकर लोगों को बीमारी के बारे में जागरूक किया जा रहा है.

ये होती है अल्जाइमर बीमारी :
केंद्रीय स्वास्थ्य ब्यूरो के कंसल्टेंट संजय कुमार ने बताया कि अल्जाइमर बीमारी तेजी से फैलने वाला एक न्यूरोलॉजिकल विकार है. इसके कारण मस्तिष्क सिकुड़ जाता है और मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत हो जाती हैं. डिमेंशिया का मुख्य कारण अल्जाइमर बीमारी होती है. यह सोचने और सामाजिक व्यवहार को क्षीण कर देती है. जिससे व्यक्ति के स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है.

अल्जाइमर बीमारी आमतौर पर 60 वर्ष की आयु के बाद होती है हालांकि 60 वर्ष की आयु से पहले भी विकसित हो सकती है. अल्जाइमर्स बीमारी धीरे-धीरे होती है. कुछ लोगों को इसका पता भी नहीं चल पाता है. वह अपने भूलने की आदत को बुढ़ापे का दोष मान लेते हैं. समय के साथ याददाश्त संबंधी समस्याएं और गंभीर होती जाती हैं. इस बीमारी में नींद में परेशानी, भूख में कमी, उदासी, चिंता, व्याकुलता महसूस होती है. कभी-कभी मरीज आक्रामक भी हो जाता है. बीमारी बढ़ने पर अधिकांश लोगों को ऐसे व्यक्ति की जरूरत पड़ जाती है जो उनकी जरूरत का ध्यान रख सकें.

अल्जाइमर बीमारी के कारक :
अल्जाइमर जैसी बीमारी का कारण वायु प्रदूषण, अवसाद, सामाजिक अलगाव, मोटापा, मधुमेह, शारीरिक निष्क्रियता, मदिरा वह तंबाकू का सेवन, श्रवण दोष, सर में चोट, मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि हैं. इस बीमारी के कारण लोगों का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है.

अल्जाइमर के प्रारंभिक लक्षण :
- वस्तुओं को याद रख पाने में कठिनाई व बार-बार एक ही प्रश्न करना.
- हिसाब लगाने रोजमर्रा की आवश्यक वस्तु को खरीदने या गणित के सरल सवालों को न हल कर पाना.
- साधारण कार्यों को करने में कठिनाई होना या गलत निर्णय लेना.
- सामाजिक गतिविधियों में दिलचस्पी न लेना.


अल्जाइमर बीमारी के बाद के लक्षण :
- दांतों में ब्रश करना और बालों में कंघी करने का तरीका भूल जाना
- समय, व्यक्ति और स्थान के विषय में असमंजस होना.
- सामान्य चीजों या परिचित व्यक्तियों जैसे पारिवार के सदस्यों, सहायक कर्मचारियों इत्यादि के नामों को भूल जाना.
- बातचीत समझने में परेशानी होना. अपनी देख-भाल और स्वच्छता का ध्यान न रख पाना.

अल्जाइमर का इलाज :
केंद्रीय स्वास्थ्य ब्यूरो के कंसलटेंट संजय कुमार के मुताबिक इस बीमारी का कोई स्थाई इलाज नहीं है. नियमित व्यायाम करें, मानसिक क्रियाकलापों का अभ्यास करने जैसे प्रतिदिन मेडिटेशन और ध्यान एकाग्र करना, पहेलियां बुझाना, ताश, कैरम बोर्ड खेलना, संगीत सुनना. पौष्टिक आहार में सब्जियां, फल, साबुत अनाज, कम वसा वाले दूध के उत्पादन और कम प्रोटीन वाले आहार लें.

चिकित्सकों की सलाह पर सप्लीमेंट का भी प्रयोग कर सकते हैं. उक्त रक्तचाप और मधुमेह की समस्या ना बढ़े इसके लिए नियमित जांच कराएं. धूम्रपान और शराब से बचें. इससे काफी हद तक राहत मिल सकती है. सेंट्रल हेल्थ एजुकेशन ब्यूरो के हेल्पलाइन नंबर 0804611 0007 या 14567 पर कॉल कर मदद ले सकते हैं.

ये भी पढ़ें: मानसिक बीमारी आम बीमारियों जैसी, इसे लेकर शर्म नहीं करनी चाहिए: मंजू सिवाच

ये भी पढ़ें: एथलीट के शरीर में बनने वाले प्रोटीन से संभव है अल्जाइमर्स, अन्य न्यूरोलाजिकल बीमारियों का इलाज

बुजुर्गों में बढ़ता जा रहा डिमेंशिया का खतरा

नई दिल्ली: डिमेंशिया बीमारी का मुख्य लक्षण याददाश्त खोने या निर्णय लेने की क्षमताओं का कम होना है. भारत में 80 साल या इससे अधिक उम्र के लगभग 20 प्रतिशत लोग इससे प्रभावित हैं. वर्तमान में दुनिया भर में 5.5 करोड़ से अधिक लोग डिमेंशिया से प्रभावित हैं और हर साल लगभग एक करोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं. यह बीमीरी अल्जाइमर के कारण होती है. कुल आंकड़ो में से 60 से 70 प्रतिशत लोगों को अल्जाइमर रोग है.

विश्व में 2030 तक 7.8 करोड़ और 2050 तक 13.9 करोड़ लोगों को डिमेंशिया होने का अनुमान है. दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे ट्रेड फेयर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के केंद्रीय स्वास्थ्य शिक्षा ब्यूरो की ओर से कैंप लगाकर लोगों को बीमारी के बारे में जागरूक किया जा रहा है.

ये होती है अल्जाइमर बीमारी :
केंद्रीय स्वास्थ्य ब्यूरो के कंसल्टेंट संजय कुमार ने बताया कि अल्जाइमर बीमारी तेजी से फैलने वाला एक न्यूरोलॉजिकल विकार है. इसके कारण मस्तिष्क सिकुड़ जाता है और मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत हो जाती हैं. डिमेंशिया का मुख्य कारण अल्जाइमर बीमारी होती है. यह सोचने और सामाजिक व्यवहार को क्षीण कर देती है. जिससे व्यक्ति के स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है.

अल्जाइमर बीमारी आमतौर पर 60 वर्ष की आयु के बाद होती है हालांकि 60 वर्ष की आयु से पहले भी विकसित हो सकती है. अल्जाइमर्स बीमारी धीरे-धीरे होती है. कुछ लोगों को इसका पता भी नहीं चल पाता है. वह अपने भूलने की आदत को बुढ़ापे का दोष मान लेते हैं. समय के साथ याददाश्त संबंधी समस्याएं और गंभीर होती जाती हैं. इस बीमारी में नींद में परेशानी, भूख में कमी, उदासी, चिंता, व्याकुलता महसूस होती है. कभी-कभी मरीज आक्रामक भी हो जाता है. बीमारी बढ़ने पर अधिकांश लोगों को ऐसे व्यक्ति की जरूरत पड़ जाती है जो उनकी जरूरत का ध्यान रख सकें.

अल्जाइमर बीमारी के कारक :
अल्जाइमर जैसी बीमारी का कारण वायु प्रदूषण, अवसाद, सामाजिक अलगाव, मोटापा, मधुमेह, शारीरिक निष्क्रियता, मदिरा वह तंबाकू का सेवन, श्रवण दोष, सर में चोट, मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि हैं. इस बीमारी के कारण लोगों का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है.

अल्जाइमर के प्रारंभिक लक्षण :
- वस्तुओं को याद रख पाने में कठिनाई व बार-बार एक ही प्रश्न करना.
- हिसाब लगाने रोजमर्रा की आवश्यक वस्तु को खरीदने या गणित के सरल सवालों को न हल कर पाना.
- साधारण कार्यों को करने में कठिनाई होना या गलत निर्णय लेना.
- सामाजिक गतिविधियों में दिलचस्पी न लेना.


अल्जाइमर बीमारी के बाद के लक्षण :
- दांतों में ब्रश करना और बालों में कंघी करने का तरीका भूल जाना
- समय, व्यक्ति और स्थान के विषय में असमंजस होना.
- सामान्य चीजों या परिचित व्यक्तियों जैसे पारिवार के सदस्यों, सहायक कर्मचारियों इत्यादि के नामों को भूल जाना.
- बातचीत समझने में परेशानी होना. अपनी देख-भाल और स्वच्छता का ध्यान न रख पाना.

अल्जाइमर का इलाज :
केंद्रीय स्वास्थ्य ब्यूरो के कंसलटेंट संजय कुमार के मुताबिक इस बीमारी का कोई स्थाई इलाज नहीं है. नियमित व्यायाम करें, मानसिक क्रियाकलापों का अभ्यास करने जैसे प्रतिदिन मेडिटेशन और ध्यान एकाग्र करना, पहेलियां बुझाना, ताश, कैरम बोर्ड खेलना, संगीत सुनना. पौष्टिक आहार में सब्जियां, फल, साबुत अनाज, कम वसा वाले दूध के उत्पादन और कम प्रोटीन वाले आहार लें.

चिकित्सकों की सलाह पर सप्लीमेंट का भी प्रयोग कर सकते हैं. उक्त रक्तचाप और मधुमेह की समस्या ना बढ़े इसके लिए नियमित जांच कराएं. धूम्रपान और शराब से बचें. इससे काफी हद तक राहत मिल सकती है. सेंट्रल हेल्थ एजुकेशन ब्यूरो के हेल्पलाइन नंबर 0804611 0007 या 14567 पर कॉल कर मदद ले सकते हैं.

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