नई दिल्ली: जी-20 सम्मेलन की तैयारियों के मद्देनजर डीडीए ने मेरिडियन होटल के पास स्थित झुग्गी बस्ती के 124 घरों को खाली करने का नोटिस जारी किया है. बस्ती के लोगों को 16 मई को नोटिस प्राप्त हुआ है. उन्हें बताया गया है कि 22 मई से लेकर 25 मई के बीच यहां पर डिमोलिशन किया जाएगा. इसलिए उससे पहले ही लोग खुद ही झुग्गी बस्ती को खाली कर दें. वहीं, मजदूर आवास संघर्ष समिति के संयोजक निर्मल गोराना ने आरोप लगाया है कि डीडीए ने बिना पुनर्वास की व्यवस्था किए झुग्गी के लोगों को घर खाली करने के लिए कहा है, जो असंवैधानिक है.
निर्मल ने कहा कि झुग्गी खाली कराने से पहले लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए थी. इस बस्ती में लगभग 124 परिवार है, जो 1995 से यहां रहते हैं. इन परिवारों में कुल 500 से अधिक लोग हैं, जिनमें 200 बच्चे और 100 महिलाएं हैं. निर्मल गोराना ने बताया कि मजदूर आवास संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने झुग्गी बस्ती का दौरा किया और वहां से लोगों से मुलाकात की. लोगों ने बताया कि उनसे जबरदस्ती उसके घर खाली करवाया जा रहा है.
निर्मल ने बताया कि समिति ने सीपीडब्ल्यूडी के डायरेक्टर जनरल, डूसिब के सीईओ, दिल्ली बाल संरक्षण अधिकार आयोग (डीसीपीसीआर) के चेयरमैन को पत्र लिखकर मांग की है कि घर खाली कराए जाने से पहले उनके रहने का इंतजाम किया जाए. उन्होंने कहा कि दिल्ली की 675 जेजे बस्ती डूसिब के तहत आते हैं. डूसिब की वेबसाइट पर इस बस्ती का भी नाम है. वेबसाइट पर यह बस्ती 479वें नंबर पर जेजे कोड 500 के साथ उपलब्ध है.
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निर्मल ने कहा कि दिल्ली स्लम एंड जेजे रिहैबिलिटेशन पॉलिसी 2015 के तहत पुनर्वास की व्यवस्था किए बिना इन लोगों को झुग्गी से नहीं हटाया जा सकता है. गौरतलब है कि जी-20 सम्मेलन की तैयारियों के मद्देनजर राजधानी दिल्ली के विभिन्न झुग्गी बस्तियों से अतिक्रमण हटाया जा रहा है. इसी के तहत इस झुग्गी को भी नोटिस दिया गया है.
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