नई दिल्ली: राजधानी में 15 अक्टूबर से श्रीराम भारतीय कला केंद्र, अपनी प्रसिद्ध वार्षिक रामलीला प्रस्तुति 'श्री राम' का 67वां संस्करण प्रस्तुत करेगा. इसमें भगवान राम के जन्म से लेकर उनके राज्याभिषेक तक के जीवन को दर्शाया जाएगा. यह रामलीला भरतनाट्यम और कलारीपयट्टू से लेकर मयूरभंज छाऊ और उत्तर भारत के लोक नृत्यों की नृत्य शैलियों के साथ, हिंदुस्तानी शास्त्रीय रागों पर आधारित लयबद्ध संगीत के साथ, प्रतिदिन शाम 6.30 बजे से रात नौ तक किया जाएगा.
इसका उद्घाटन भारत सरकार में आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी करेंगे. इस रामलीला को 1957 में शुरू किया गया था. यह प्रस्तुती भगवान राम के जीवन और कार्यों को नृत्य, नाटक और संगीत के माध्यम से दर्शकों के सामने की जाती है. इस दौरान कलाकर दो घंटे और 40 मिनट के भीतर यह रामायण का मनोरंजक और भावनात्मक रूप प्रस्तुत करते हैं. इस रामलीला की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे देश के लगभग सभी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्ति देख चुके हैं. यह रामलीला शानदार वेशभूषा, लाइटिंग, कोरियोग्राफी और संगीत के साथ प्रस्तुत की जाती है.
28 दृश्यों वाले रामलीला में भगवान राम के जन्म से लेकर सीता के साथ उनके विवाह, कैकेयी के कहने पर उनके 14 साल के वनवास, राम को वापस लाने के लिए भरत का प्रयास, रावण द्वारा सीता का अपहरण तक की कहानी को बखूबी दर्शाया जाता है. इसकी खासियत है कि इसे देश के लगभग सभी राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस प्रदर्शन को देखा है.
यह भी पढ़ें-CM केजरीवाल ने मोदी सरकार कसा तंज, कहा- पढ़-लिखकर रोजगार न मिले तो फिर शिक्षा किस काम की