नई दिल्ली: बहादुर शाह जफर रोड पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर और उससे लगे एक मस्जिद के बाहर बने चबूतरों को शनिवार को पीडब्ल्यूडी द्वारा ध्वस्त किया जा रहा है. यह डिमोलिशन अभियान दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद किया जा रहा है. मंदिर और मस्जिद प्रबंधन का आरोप है कि पीडब्ल्यूडी ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिना कोई नोटिस दिए यह एंक्रोचमेंट ड्राइव शुरू की है. वहीं पीडब्ल्यूडी अधिकारी कह रहे हैं कि उन्होंने सिर्फ कोर्ट के आदेश का पालन किया है.
मंदिर प्रबंधन से जुड़े सुरेश बेदी ने बताया कि यह मंदिर बेहद प्राचीन है. अंग्रेजों के जमाने से इस मंदिर में पूजा-पाठ किया जाता रहा है. हाल ही में पीडब्ल्यूडी की तरफ से उन्हें अतिक्रमण का एक नोटिस मिला, जिस पर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. पीडब्ल्यूडी ने बताया कि सड़क के किनारे बने फुटपाथ का चौड़ीकरण किया जाना है. इसके लिए मंदिर द्वारा बनाए गए चबूतरे को तोड़ा जाएगा. इस दौरान मंदिर की ही बगल में स्थित मस्जिद के भी चबूतरे को तोड़े जाने का निर्देश दिया गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने पीडब्ल्यूडी को मंदिर और मस्जिद प्रशासन से बातचीत कर नियत तारीख तय कर कार्रवाई किए जाने का निर्देश दिया था. लेकिन पीडब्ल्यूडी ने बिना किसी पूर्व नोटिस के शनिवार सुबह से फुटपाथ तोड़ने का अभियान शुरू कर दिया.
मंदिर कमेटी के सलाहकार प्रीतम धारीवाल बताते हैं कि यह मंदिर 350 साल पुराना है. इस मंदिर के साथ ही इस मस्जिद का भी इतिहास उतना ही पुराना है क्योंकि दोनों एक साथ ही बनाए गए थे. चाहे मुगल हो या फिर अंग्रेज दोनों ने ही शिवालयों को नुकसान पहुंचाने का काम नहीं किया, लेकिन स्वतंत्र भारत की सरकार विदेशियों को चौड़े फुटपाथ दिखाने के लिए अपने आस्था के मंदिरों को ध्वस्त कर रही है.
उन्होंने कहा कि मंदिर पुरानी मथुरा रोड पर बनाया गया था, जो कि वर्तमान में बहादुर शाह जफर रोड के नाम से जानी जाती है. इस दौरान पूरे सड़क पर मैदान था, जहां मंदिर अपनी सीमा पर ही बना हुआ है. पीडब्ल्यूडी अधिकारी भी मंदिर को अतिक्रमण की जगह पर नहीं मानते हैं. उन्होंने जोड़ा कि अंग्रेज शासन में ना केवल मंदिर परिसर प्रबंधन ट्रस्ट को मान्यता दी बल्कि भूमि भी प्रबंधन ट्रस्ट के नाम पर आवंटित की थी. मंदिर में हो रही तोड़फोड़ को लेकर मंदिर प्रबंधन ने काली मास्क लगाकर अपना विरोध जारी रखा है. उनका कहना है कि हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन इस तोड़फोड़ का मूक समर्थन नहीं कर रहे हैं.