नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विस्तार कार्य के तीसरे फेस का काम शुरू हो चुका है. इस फेज का सबसे बड़ा निर्माण एलिवेटेड टैक्सीवे का काम पूरा कर दिया गया है. साथ ही नवनिर्मित एलिवेटेड टैक्सी वे की जांच और निरीक्षण के लिए ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
जांच के बाद एयरपोर्ट नियामक संस्थानों की तरफ से हरी झंडी मिलते ही सितंबर से एलिवेटेड टैक्सी-वे पर ऑपरेशनल फंक्शन शुरू कर दिया जाएगा. IGI एयरपोर्ट पर बन रहे इस नए टैक्सी-वे की लंबाई 1.8 किमी और चौड़ाई 203 मीटर होगी. यह टैक्सीवे एक 8 मीटर ऊंचे पुल पर बन रहा है. इसके तैयार हो जाने से एलिवेटेड टैक्सी वे टर्मिनल-1 व टर्मिनल-3 आपस में जोड़ दिए जाएंगे. इसके शुरू होने से टर्मिनल-3 में अधिक विमानों की आवाजाही भी शुरू हो सकेगी.
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इसका सीधा असर रनवे पर विमानों के ट्रैफिक को कम करने पर रहेगा और उड़ानों के संचालन में विलंब की समस्या से निजात भी मिलेगी. अब तक टैक्सी-वे पर जगह नहीं मिलने के कारण कई विमानों को टर्मिनल के पास खड़ा कर दिया जाता है. इससे विमानों के आवागमन में दिक्कत होती है. साथ ही ये एलिवेटेड टैक्सी वे टर्मिनल 1 व टर्मिनल 3 को आपस में जोड़ने का काम करेगा.
दिल्ली इंटरनेशन एयरपोर्ट लिमिटेड द्वारा तैयार नवनिर्मित टैक्सी वे E -9, F -3 और F-4 टर्मिनल 1 तक ले जाते हैं. नया एप्रन टी-1 के लिए तीन चरणों में बनाया जा रहा है. पहले चरण में 82 कोड सी स्टैंडों में से 19 को अक्टूबर 2021 में चालू किया गया था. दूसरे चरण में अगस्त 2022 में 14 स्टैंडों को अपने निर्धारित समय से दो माह पहले ही चालू कर दिया गया था. इसे चालू करने के साथ ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल को वहां से उड़ानों के संचालन के लिए सौंप दिया गया था.
इस नए टैक्सी-वे पर ऑपरेशनल फंक्शन शुरू हो जाने के बाद इससे सीधे रूप से हवाई यात्रियों को फायदा होगा. साथ ही एयरलाइंस को विमान को रनवे पर लंबी दूरी तय करने के दौरान खपत होने वाले एविएशन फ्यूल में भी कमी आएगी. वर्तमान में आईजीआई के रनवे संख्या 29/11 से विमान को उड़ान भरने के लिए दो किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी होती है. नए टैक्सी वे के शुरू होने के बाद यह दूरी काफी कम हो जाएगी. रनवे पर उतरने या उड़ान भरने के दौरान विमानों के संचालन के समय में भी कमी आएगी. विमान में ईंधन की खपत की कमी से एयरपोर्ट पर होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी.
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