नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते देश के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ऐसे में छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें ऑनलाइन क्लासेस दी जा रही हैं. ऑनलाइन क्लास देने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना भी बहुत जरूरी है, जिससे वह तकनीक का पूरा इस्तेमाल कर सकें.
बड़ी संख्या में छात्र होंगे लाभान्वित
इसको लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजन कॉलेज ने देशभर के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की पहल की शुरुआत की है. इसे लेकर रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर एसपी अग्रवाल ने कहा कि पहले हमने अपने कॉलेज के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया और अब हम इसे अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हैं कि देशभर के कॉलेजों के शिक्षकों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाए, जिससे छात्र बड़ी संख्या में लाभान्वित हो सकें.
ऑनलाइन टीचिंग के लिए दिया गया प्रशिक्षण
वहीं रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर एसपी अग्रवाल ने कहा कि रामानुजन कॉलेज में शिक्षकों को ऑनलाइन टीचिंग के लिए प्रशिक्षण देना, तब से ही शुरू कर दिया गया था जब कोरोना जैसी कोई चीज नहीं थी, जोकि आज काम आ रही है. उनका कहना है कि पहले जो ट्रेनिंग सिर्फ क्लास रूम लेवल पर थी. आज वह समय की जरूरत बन गई है. इसलिए जब छात्रों की छुट्टी थी और शिक्षक ही स्कूल आ रहे थे, ऐसे में रामानुजन कॉलेज में शिक्षकों को ऑनलाइन टीचिंग के लिए प्रशिक्षण दिया गया और उसी का नतीजा है कि लॉकडाउन के दौरान छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई अच्छे से हो पाई.
शिक्षकों को प्रशिक्षित करना नैतिक जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि अपने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के बाद ऐसा लगा कि देश के सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. इसको लेकर रामानुजन कॉलेज ने पूरी तैयार की और कई शिक्षकों को इस प्रशिक्षण प्रोग्राम से जोड़ा. उन्होंने बताया कि अलग-अलग विश्वविद्यालय और कॉलेजों से अब तक लगभग 50 हज़ार से अधिक शिक्षक ऑनलाइन टीचिंग का प्रशिक्षण ले चुके हैं. साथ ही कहा कि अब उनका ध्येय है कि वह अगले तीन हफ्तों में 2 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित कर सकें.
मामूली शुल्क पर दिया जाएगा प्रशिक्षण
वहीं शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए फीस की बात करें तो उन्होंने कहा कि इस पप्रशिक्षण की तैयारी में कॉलेज प्रशासन का काफी पैसा लगा, इसके बाबत प्रशिक्षण के लिए बहुत मामूली शुल्क रखा गया है. उन्होंने कहा कि 500 से 1 हजार रुपये तक का शुल्क इसके लिए निर्धारित किया गया है, जिसे देकर शिक्षक प्रशिक्षण ले सकते हैं. इसके लिए बाकायदा सर्टिफिकेट भी जारी किया जाएगा जो आगे उनकी प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन में गिना जाएगा.
साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह संक्रमण लगातार बढ़ रहा है और अभी तक उसकी वैक्सीन नहीं बन पाई है. ऐसे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि विश्वविद्यालय को कब तक बंद रखना पड़ेगा. ऐसे में ऑनलाइन टीचिंग पद्धति को सीखना ही एकमात्र बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए एकमात्र उपाय है. वहीं प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि उनकी योजना है कि अपनी इस पहल का वह लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा सकें.